न्यूज डेस्क अमर उजाला,तिरुवनन्तपुरम
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Thu, 17 Feb 2022 10:34 PM IST
सार
केरल के रहने वाले मुहम्मद गुरुक्कल रिटायर होने के बाद युवाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहे हैं। बाद गुरुक्कल केरल के कोझिकोड में कलारीप्पयाट्टू की ट्रेनिंग दे रहे हैं और खास बात यह है कि वे इसके लिए कोई फीस भी नहीं लेते।
कलरीपायट्टु
– फोटो : social media
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विस्तार
रिटायर होने के बाद बहुत से लोग जहां आराम की जिंदगी जीना चाहते हैं, वहीं केरल के रहने वाले मुहम्मद गुरुक्कल रिटायर होने के बाद युवाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहे हैं। मुहम्मद गुरुक्कल पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे और अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं। रिटायर होने के बाद गुरुक्कल केरल के कोझिकोड में कलारीप्पयाट्टू की ट्रेनिंग दे रहे हैं और खास बात यह है कि वे इसके लिए कोई फीस भी नहीं लेते।
कलारीप्पयाट्टू, मार्शल आर्ट का पारंपरिक रूप है। उनसे इसकी ट्रेनिंग लेने के लिए लड़के और लड़कियां दोनों आते हैं, ताकि वे मुश्किल वक्त में अपना बचाव कर सकें। उन्होंने बताया कि वे अब तक तीन हजार युवाओं को कलारीप्पयाट्टू की ट्रेनिंग दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा उनका एक आयुर्वेद सेंटर भी है।
क्या है कलारीप्पयाट्टू
केरल का यह परंपरागत मार्शल आर्ट सदियों पुराना है। यह केरल के अलावा कर्नाटक और तमिलनाडु में भी काफी लोकप्रिय है। ऐसा बताया जाता है कि इसकी शुरुआत तीन हजार साल पहले केरल राज्य से हुई थी। इसमें ओट्टा, मैपयट्टु या शरीर का व्यायाम और पुलियांकम या तलवार से लड़ाई की जाती है।
मलयालम भाषा में कलारि का मतलब है युद्ध का मैदान और पयट्टू का मतलब है पारंगत यानी ट्रेंड होना। यानी कलयारिपट्टू का अर्थ है युद्ध के मैदान में जाने के लिए पारंगत होना। केरल का पर्यटन विभाग पारंपरिक मार्शल आर्ट फॉर्म को बढ़ावा देने के लिए वेल्लार क्राफ्ट विलेज में कलारीपयट्टू अकादमी की स्थापना कर रही है।