न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 22 Mar 2022 11:16 PM IST
सार
शिवसेना सांसद श्रीरंग बरने ने एनसीपी पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि शिवसेना के सांसदों को ही भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
शिवसेना के सांसद श्रीरंग बरने ने मंगलवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की सत्ता में काबिज महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सत्ता की सबसे बड़ी लाभार्थी है। उन्होंने यह भी कहा कि और राज्य सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना के कार्यकर्ताओं को यहां भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
बरने ने दावा किया कि एनसीपी कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि वे पुणे जिले की अपनी मावल लोकसभा सीट को पार्थ पवार के लिए छोड़ दें और राज्यसभा चले जाएं। पार्थ पवार एनसीपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे हैं। गौरतलब है कि 2019 लोकसभा चुनाव में मावल सीट से बरने ने पार्थ पवार को हराया था।
जालना जा रहे बरने ने रास्ते में एक मराठी समाचार चैनल से बातचीत करते हुए कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह मांग किसने की है। अगला लोकसभा चुनाव दो साल बाद होना है। हमें पता करना चाहिए कि यह (मावल सीट छोड़ने की) मांग किसने की है और किसने कहने पर की है।
उन्होंने आगे कहा कि मावल लोकसभा क्षेत्र में एक विधानसभा सीट को छोड़कर एनसीपी की ताकत सीमित है। बरने ने यह भी कहा कि इस बात का पता लगाना चाहिए कि क्या एनसीपी जानबूझकर शिवसेना को भड़का रही है। बरने ने आरोप लगाया कि हमारे लोकसभा क्षेत्र के शिवसेना के कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
विस्तार
शिवसेना के सांसद श्रीरंग बरने ने मंगलवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की सत्ता में काबिज महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सत्ता की सबसे बड़ी लाभार्थी है। उन्होंने यह भी कहा कि और राज्य सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना के कार्यकर्ताओं को यहां भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
बरने ने दावा किया कि एनसीपी कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि वे पुणे जिले की अपनी मावल लोकसभा सीट को पार्थ पवार के लिए छोड़ दें और राज्यसभा चले जाएं। पार्थ पवार एनसीपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे हैं। गौरतलब है कि 2019 लोकसभा चुनाव में मावल सीट से बरने ने पार्थ पवार को हराया था।
जालना जा रहे बरने ने रास्ते में एक मराठी समाचार चैनल से बातचीत करते हुए कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह मांग किसने की है। अगला लोकसभा चुनाव दो साल बाद होना है। हमें पता करना चाहिए कि यह (मावल सीट छोड़ने की) मांग किसने की है और किसने कहने पर की है।
उन्होंने आगे कहा कि मावल लोकसभा क्षेत्र में एक विधानसभा सीट को छोड़कर एनसीपी की ताकत सीमित है। बरने ने यह भी कहा कि इस बात का पता लगाना चाहिए कि क्या एनसीपी जानबूझकर शिवसेना को भड़का रही है। बरने ने आरोप लगाया कि हमारे लोकसभा क्षेत्र के शिवसेना के कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
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