न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Fri, 11 Mar 2022 10:13 PM IST
सार
एजेंसी के वकील ने कहा कि ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि उसे विश्वास था कि वह पकड़ा नहीं जाएगा। वह सोच रहा था कि ‘योगी’ की पहचान नहीं होगी। वह योगी की मेल आईडी चला रहा था और चित्रा को मेल भेजकर उनके फैसलों को प्रभावित कर रहा था।
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विस्तार
जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि पूर्व समूह संचालन अधिकार सुब्रमण्यम ही ‘हिमालय योगी’ है और वह ही चित्रा के फैसलों को प्रभावित करता था। इसे संबंध में पर्याप्त सुबूत भी हैं। एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा और सीओओ आनंद को इस महीने की शुरुआत में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। आनंद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई ने दलील दी कि नए तथ्य उभर कर सामने आए हैं और इनकी जांच की आवश्यकता है। दोनों के सेशेल्स, मॉरिशस का दौरा किए जाने की भी जांच की जरूरत है।
प्रभावशाली व्यक्ति, देश से हो सकता है फरार
सीबीआई के वकील ने कहा कि हमने 832 जीबी डाटा जब्त किया है। यह डाटा आर्काइव से मिला है। हमने माइक्रोसॉफ्ट से पूरा डाटा मांगा है। वह जांच में भी सहयोग नहीं कर रहा है। यहां तक उसने कई सामग्री और चुनिंदा ईमेल भी डिलीट कर दिए हैं। आनंद बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति है और वह देश से भाग भी सकता है। उसके फरार होने का खतरा है।
योगी के मेल को चला रहा था, फैसलों को कर रहा था प्रभावित
सीबीआई की दलील पर विशेष जज संजीव अग्रवाल ने कहा, लेकिन वह पिछले चार सालों के दौरान तो नहीं भागा। इस मामले में 2018 में एफआईआर दर्ज हुई थी। इस पर एजेंसी के वकील ने कहा कि ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि उसे विश्वास था कि वह पकड़ा नहीं जाएगा। वह सोच रहा था कि ‘योगी’ की पहचान नहीं होगी। वह योगी की मेल आईडी चला रहा था और चित्रा को मेल भेजकर उनके फैसलों को प्रभावित कर रहा था।
जमानत याचिका पर 24 को आएगा फैसला
विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने दोनों पक्षों की दलील पूरी होने के बाद जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया और कहा कि याचिका पर आदेश 24 मार्च को जारी किया जाएगा। आनंद के वकील अर्शदीप सिंह खुराना ने कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों का सवाल है, याचिकाकर्ता को इस मामले में गलत ढंग से फंसाया गया है, वह लगाए गए आरोपों से किसी भी तरह से संबंधित नहीं हैं। उसने कोई अपराध नहीं किया है।