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ईडी की कार्रवाई: तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक के पूर्व चेयरमैन के 294 करोड़ रुपये के शेयर जब्त किए

सार

ईडी ने तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक के पूर्व अध्यक्ष के करोड़ों रुपये कीमत के शेयर जब्त किए हैं। वहीं, आयकर विभाग ने राजस्थान और महाराष्ट्र में अलग-अलग कार्रवाइयों में करोड़ों रुपये की काली कमाई का पता लगाया है।

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा कानून) के कथित उल्लंघन से जुड़ी जांच के मामले में तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष नेसमणिमारन मुथु उर्फ एमजीएम मारन के 293.91 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर जब्त किए हैं। जब्त संपत्तियां चार भारतीय कंपनियों, ‘सदर्न एग्रीफ्यूरेन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड’, ‘आनंद ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड’, ‘एमजीएम एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘एमजीएम बीच रिजॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड’ में मुथु के शेयरों के रूप में हैं। 
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि मुथु ने वित्त वर्ष 2005-06 और 2006-07 के दौरान सिंगापुर में दो कंपनियां बनाईं और 293.1 करोड़ रुपये निवेश किए। आरबीआई से स्वीकृति लिए बिना निवेश किया गया था। साथ ही भारतीय नियामकों से विदेश में इतने बड़े निवेश का स्रोत भी छिपाया गया। 
बयान में कहा गया कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की धारा 37ए(1) के तहत ईडी को ऐसे शख्स की घरेलू संपत्तियां जब्त करने का अधिकार दिया गया है, जिसने भारत का निवासी रहते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी लिए बिना किसी अन्य देश में संपत्तियां अर्जित कीं या फिर भारत के बाहर निवेश किया। इसने बताया कि चूंकि विदेशी निवेश की धनराशि पांच करोड़ 29 लाख 86 हजार 250 सिंगापुरी डॉलर है, तो इसके बराबर 291.31 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की गई हैं।

आयकर विभाग ने बिजली उपकरणों निर्माण और कर्ज देने के कारोबार से जुड़े राजस्थान के दो समूहों पर छापेमारी में 300 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता लगाया है। सीबीडीटी ने मंगलवार को बताया कि ये छापे 22 दिसंबर को मारे गए और जयपुर, मुंबई व हरिद्वार में स्थित दो अज्ञात समूहों के करीब 50 परिसरों में तलाशी ली गई।
 
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा, जब्त किए गए सबूतों के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि स्विच, तारें, एलईडी बनाने के कारोबार में शामिल कई इकाइयां नियमित बहीखाते में दर्ज किए बिना ऐसे सामान बेच रही है और आय को कम करने के लिए फर्जी खर्चों का दावा कर रही है।

सीबीडीटी ने कहा कि लेनदेन के सबूतों से 150 करोड़ रुपये से अधिक की आय का पता चला है जिसका खुलासा नहीं किया गया था। उसने दावा किया कि समूह के एक अहम व्यक्ति ने 55 करोड़ रुपये की अज्ञात आय स्वीकार की और इस पर कर देने की पेशकश की। विभाग ने दोनों समूहों की 17 करोड़ रुपये की नकदी और आभूषण भी जब्त किए हैं।

एक अन्य समूह से संबंधित जब्त किए गए दस्तावेजों से पता चला कि अधिकतर कर्ज नकद में दिए गए और इसके लिए ऊंचे दर पर ब्याज लिया गया। इस कारोबार में शामिल व्यक्तियों की आय की विवरणी में न तो अग्रिम कर्ज और न ही उस पर अर्जित ब्याज से हुई आय का खुलासा किया गया है। इस समूह की 150 करोड़ से अधिक की अज्ञात आय के सबूत मिले हैं।

आयकर विभाग ने महाराष्ट्र में नंदुरबार और धुले के दो समूहों पर छापे मारकर पांच करोड़ नकद और पांच करोड़ के आभूषण जब्त किए। वहीं, 200 करोड़ के अवैध लेनदेन का भी खुलासा हुआ है। यह अभियान बीते 22 दिसंबर को नंदुरबार, धुले और नासिक में 25 ठिकानों पर चलाया गया था। फिलहाल विभाग की ओर से दोनों मामलों की जांच जारी है। 

पहले समूह के जब्त दस्तावेज से यह स्पष्ट है कि बड़े पैमाने पर कर योग्य आय को छिपाने का प्रयास किया गया और खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। विभाग की ओर से जारी बयान के मुताबिक पहले समूह ने करीब 150 करोड़ की आय का खुलासा नहीं किया। वहीं, दूसरे समूह के दस्तावेज से पता चला कि 52 करोड़ से अधिक के नकद ऋण दिए गए।

विस्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा कानून) के कथित उल्लंघन से जुड़ी जांच के मामले में तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष नेसमणिमारन मुथु उर्फ एमजीएम मारन के 293.91 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर जब्त किए हैं। जब्त संपत्तियां चार भारतीय कंपनियों, ‘सदर्न एग्रीफ्यूरेन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड’, ‘आनंद ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड’, ‘एमजीएम एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘एमजीएम बीच रिजॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड’ में मुथु के शेयरों के रूप में हैं। 

एजेंसी ने एक बयान में कहा कि मुथु ने वित्त वर्ष 2005-06 और 2006-07 के दौरान सिंगापुर में दो कंपनियां बनाईं और 293.1 करोड़ रुपये निवेश किए। आरबीआई से स्वीकृति लिए बिना निवेश किया गया था। साथ ही भारतीय नियामकों से विदेश में इतने बड़े निवेश का स्रोत भी छिपाया गया। 

बयान में कहा गया कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की धारा 37ए(1) के तहत ईडी को ऐसे शख्स की घरेलू संपत्तियां जब्त करने का अधिकार दिया गया है, जिसने भारत का निवासी रहते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी लिए बिना किसी अन्य देश में संपत्तियां अर्जित कीं या फिर भारत के बाहर निवेश किया। इसने बताया कि चूंकि विदेशी निवेश की धनराशि पांच करोड़ 29 लाख 86 हजार 250 सिंगापुरी डॉलर है, तो इसके बराबर 291.31 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की गई हैं।

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