अमर उजाला ब्यूरो/एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Sun, 27 Mar 2022 06:05 AM IST
सार
जांच समिति के मुताबिक यह विफलता तब हुई, जब रॉकेट उड़ान के आखिरी चरण में जाने वाला था। श्रीहरिकोटा से पिछले साल 12 अगस्त को जीआईएसएटी-1 को लेकर जीएसएलवी-एफ-10 रॉकेट ने सामान्य रूप से उड़ान भरी थी, 307 सेकंड की उड़ान के बाद प्रक्षेपण को निरस्त कर दिया गया।
ख़बर सुनें
विस्तार
जांच के लिए गठित विफलता विश्लेषण समिति (एफएसी) ने पाया कि टैंक में अतिरिक्त दवाब को कम करने के लिए लगे वेंट एंड रिलीफ वाल्व (वीआरवी) की सॉफ्ट सील में क्षति की वजह से हाइड्रोजन टैंक में दवाब कम हो गया, जिसकी वजह से रॉकेट के दूसरे तरल हाइड्रोजन (एलएच-2) टैंक से क्रायोजेनिक इंजन को ईंधन की आपूर्ति में बाधा आई और इंजन नहीं चला।
समिति के मुताबिक यह विफलता तब हुई, जब रॉकेट उड़ान के आखिरी चरण में जाने वाला था। श्रीहरिकोटा से पिछले साल 12 अगस्त को जीआईएसएटी-1 को लेकर जीएसएलवी-एफ-10 रॉकेट ने सामान्य रूप से उड़ान भरी थी, 307 सेकंड की उड़ान के बाद प्रक्षेपण को निरस्त कर दिया गया।
पहले भी नाकाम हो चुके हैं कई अभियान
इससे पहले 2019 में चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण को भी हीलियम रिसाव की वजह से टालना पड़ा था। हालांकि, इस दौरान अच्छी बात यह रही कि इसकी जानकारी उड़ान शुरू होने से पहले ही मिल गई, जिसकी वजह से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। 2010 में जीएसएलवी में लगातार दो बार गड़बड़ियों की वजह से मिशन टालने पड़े। जीएसएलवी के अलावा 2017 में पीएसएलवी-सी39 की हीटशील्ड नहीं हटने की वजह से आईआरएनएसएस-1एच मिशन भी नाकाम हो गया था।