कालीचरण, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 11 Apr 2022 05:59 AM IST
सार
पुरानी होने के साथ कार की आईडीवी (इंश्योर्ड डिक्लीयर्ड वैल्यू) यानी बाजार कीमत घटती जाती है। जीरो डेप्रिसिएशन कवर नहीं लेने पर नए पार्ट्स लगाने का पूरा खर्च बीमा कंपनी नहीं उठाती हैं। कुछ रकम का भुगतान आपको ही करना पड़ता है।
नई कार खरीदने पर कंपनी की ओर से एक साल तक के लिए इंश्योरेंस मिलता है। एक साल बाद जब आप कार इंश्योरेंस रिन्यू कराते हैं तो उसके साथ जीरो डेप्रिसिएशन कवर जरूर लें। यह न सिर्फ आपको दुर्घटना की स्थिति में थर्ड पार्टी लायबिलिटी से बचाता है बल्कि बाढ़, ओलावृष्टि, तूफान, भूकंप व चट्टा खिसकने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से कार को होने वाले नुकसान की भी भरपाई करता है। दंगों और अन्य मानव निर्मित आपदाओं से हुए नुकसान को भी कवर करता है। आजकल वाहन बीमा करने वाली कंपनियां कार इंश्योरेंस खरीदते समय जीरो-डेप्रिसिएशन कवर जरूर देती हैं।
ऐसे घटती जाती है गाड़ियों की वैल्यू
वाहन की उम्र |
डेप्रिसिएशन दर |
छह माह तक |
00 |
छह माह से एक साल तक |
5 फीसदी |
एक साल से दो साल तक |
10 फीसदी |
दो साल से तीन साल तक |
15 फीसदी |
तीन साल से चार साल तक |
25 फीसदी |
चार साल से पांच साल तक |
35 फीसदी |
पांच साल से 10 साल तक |
40 फीसदी |
10 साल से ज्यादा |
50 फीसदी |
इन पार्ट्स पर भी असर
- आपकी कार में लगे रबर/ नाइलॉन/प्लास्टिक पार्ट्स, ट्यूब, बैटरी, पेंट वर्क और एयरबैग पर 50 फीसदी।
- फाइबर ग्लास कम्पोनेंट पर 30 फीसदी डेप्रिसिएशन होता है।
- ग्लास से बने वाहनों के पार्ट्स पर इसका असर नहीं होता है।
ऐसे समझें गणित
मान लीजिए, दुर्घटना में आपकी कार में लगे फाइबर ग्लास के पार्ट्स खराब (डैमेज) हो जाते हैं, जिन्हें बदलने का खर्च 20,000 रुपये आता है। सामान्य कार इंश्योरेंस होने पर बीमा कंपनी केवल 14,000 रुपये का ही भुगतान करेगी। बाकी 6,000 रुपये आपको अपनी जेब से भरने पड़ेंगे। वहीं, जीरो डेप्रिसिएशन कवर होने पर बीमा कंपनी पार्ट्स बदलने का पूरा खर्च उठाएगी।
क्या होता है जीरो डेप्रिसिएशन
पुरानी होने के साथ कार की आईडीवी (इंश्योर्ड डिक्लीयर्ड वैल्यू) यानी बाजार कीमत घटती जाती है। जीरो डेप्रिसिएशन कवर नहीं लेने पर नए पार्ट्स लगाने का पूरा खर्च बीमा कंपनी नहीं उठाती हैं। कुछ रकम का भुगतान आपको ही करना पड़ता है। इसके उलट, जीरो डेप्रिसिएशन कवर लेने पर अगर आपकी कार को किसी हादसे में नुकसान पहुंचता है तो इंश्योरेंस कंपनी दावे की सारी रकम का भुगतान करती है।
अधिकतम 7 साल पुरानी कारें ही कवर
जीरो डेप्रिसिएशन कवर अधिकतम 5-7 साल पुरानी कारों के लिए होता है। अगर आप दुर्घटना संभावित क्षेत्र में रहते हैं तो आपको जीरो डेप्रिसिएशन कवर लेना चाहिए। नई चालकों, नए कार मालिकों और लग्जरी कार मालिकों के लिए भी यह जरूरी है। अगर कार के स्पेयर पार्ट्स की कीमत बहुत ज्यादा है तो यह कवर जरूर लें। यह आपको आर्थिक नुकसान से बचाता है। -टीए रामालिंगम, मुख्य तकनीक अधिकारी, बजाज आलियांज
विस्तार
नई कार खरीदने पर कंपनी की ओर से एक साल तक के लिए इंश्योरेंस मिलता है। एक साल बाद जब आप कार इंश्योरेंस रिन्यू कराते हैं तो उसके साथ जीरो डेप्रिसिएशन कवर जरूर लें। यह न सिर्फ आपको दुर्घटना की स्थिति में थर्ड पार्टी लायबिलिटी से बचाता है बल्कि बाढ़, ओलावृष्टि, तूफान, भूकंप व चट्टा खिसकने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से कार को होने वाले नुकसान की भी भरपाई करता है। दंगों और अन्य मानव निर्मित आपदाओं से हुए नुकसान को भी कवर करता है। आजकल वाहन बीमा करने वाली कंपनियां कार इंश्योरेंस खरीदते समय जीरो-डेप्रिसिएशन कवर जरूर देती हैं।
ऐसे घटती जाती है गाड़ियों की वैल्यू
वाहन की उम्र |
डेप्रिसिएशन दर |
छह माह तक |
00 |
छह माह से एक साल तक |
5 फीसदी |
एक साल से दो साल तक |
10 फीसदी |
दो साल से तीन साल तक |
15 फीसदी |
तीन साल से चार साल तक |
25 फीसदी |
चार साल से पांच साल तक |
35 फीसदी |
पांच साल से 10 साल तक |
40 फीसदी |
10 साल से ज्यादा |
50 फीसदी |
इन पार्ट्स पर भी असर
- आपकी कार में लगे रबर/ नाइलॉन/प्लास्टिक पार्ट्स, ट्यूब, बैटरी, पेंट वर्क और एयरबैग पर 50 फीसदी।
- फाइबर ग्लास कम्पोनेंट पर 30 फीसदी डेप्रिसिएशन होता है।
- ग्लास से बने वाहनों के पार्ट्स पर इसका असर नहीं होता है।
ऐसे समझें गणित
मान लीजिए, दुर्घटना में आपकी कार में लगे फाइबर ग्लास के पार्ट्स खराब (डैमेज) हो जाते हैं, जिन्हें बदलने का खर्च 20,000 रुपये आता है। सामान्य कार इंश्योरेंस होने पर बीमा कंपनी केवल 14,000 रुपये का ही भुगतान करेगी। बाकी 6,000 रुपये आपको अपनी जेब से भरने पड़ेंगे। वहीं, जीरो डेप्रिसिएशन कवर होने पर बीमा कंपनी पार्ट्स बदलने का पूरा खर्च उठाएगी।
क्या होता है जीरो डेप्रिसिएशन
पुरानी होने के साथ कार की आईडीवी (इंश्योर्ड डिक्लीयर्ड वैल्यू) यानी बाजार कीमत घटती जाती है। जीरो डेप्रिसिएशन कवर नहीं लेने पर नए पार्ट्स लगाने का पूरा खर्च बीमा कंपनी नहीं उठाती हैं। कुछ रकम का भुगतान आपको ही करना पड़ता है। इसके उलट, जीरो डेप्रिसिएशन कवर लेने पर अगर आपकी कार को किसी हादसे में नुकसान पहुंचता है तो इंश्योरेंस कंपनी दावे की सारी रकम का भुगतान करती है।
अधिकतम 7 साल पुरानी कारें ही कवर
जीरो डेप्रिसिएशन कवर अधिकतम 5-7 साल पुरानी कारों के लिए होता है। अगर आप दुर्घटना संभावित क्षेत्र में रहते हैं तो आपको जीरो डेप्रिसिएशन कवर लेना चाहिए। नई चालकों, नए कार मालिकों और लग्जरी कार मालिकों के लिए भी यह जरूरी है। अगर कार के स्पेयर पार्ट्स की कीमत बहुत ज्यादा है तो यह कवर जरूर लें। यह आपको आर्थिक नुकसान से बचाता है। -टीए रामालिंगम, मुख्य तकनीक अधिकारी, बजाज आलियांज
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