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आरबीआई: आर्थिक गतिविधियों में मजबूती, 12 महीने में रफ्तार पकड़ लेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

आरबीआई: आर्थिक गतिविधियों में मजबूती, 12 महीने में रफ्तार पकड़ लेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

सार

आरबीआई के सोमवार को जारी बुलेटिन में कहा कि टीकाकरण मोर्चे पर भारत की प्रगति भी काफी तेज रही है। आपूर्ति के मोर्चे पर रबी की बुआई पिछले साल के स्तर से भी आगे निकल गई है। लेख के मुताबिक, विनिर्माण व विभिन्न सेवा क्षेत्रों के विस्तार से कुल आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : पीटीआई

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आरबीआई ने कहा कि भारत की कुल आर्थिक गतिविधियां बैंक ऋण में तेजी और उपभोक्ता विश्वास में सुधार आने से मजबूत बनी हुई हैं। ओमिक्रॉन के ‘एक लहर के बजाय अचानक आई बाढ़’ ही रहने की उम्मीद से भविष्य को लेकर संभावनाओं में सुधार हुआ है। 

आरबीआई के सोमवार को जारी बुलेटिन में कहा कि टीकाकरण मोर्चे पर भारत की प्रगति भी काफी तेज रही है। आपूर्ति के मोर्चे पर रबी की बुआई पिछले साल के स्तर से भी आगे निकल गई है। लेख के मुताबिक, विनिर्माण व विभिन्न सेवा क्षेत्रों के विस्तार से कुल आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हैं। कारोबारी विश्वास बढ़ने और विभिन्न उच्च तीव्रता संकेतकों में तेजी से भी स्थिति सुधरी है। हालांकि, उपभोक्ता विश्वास कोविड-पूर्व स्तर पर नहीं लौट पाया है। इसकी प्रमुख वजह व्यापार और रोजगार स्थितियों से जुड़ी अनिश्चितताएं हैं। 

महामारी और वैश्विक स्तर पर अड़चनों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 12 महीने में रफ्तार पकड़ेगी। पीडब्ल्यूसी के वार्षिक वैश्विक सीईओ सर्वे में शामिल 99 फीसदी भारतीय सीईओ का मानना है कि अगले 12 महीनों में आर्थिक वृद्धि दर में सुधार होगा। 94 फीसदी मानते हैं कि अगले एक साल में वैश्विक वृद्धि दर भी सुधरेगी। वैश्विक स्तर पर ऐसा मानने वाले 77 फीसदी सीईओ हैं। 

भारत में इस साल 50 स्टार्टअप यूनिकॉन बन सकते हैं। इससे 2022 में एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप की संख्या 100 के पार पहुंच सकती है। सलाहकार फर्म पीडब्ल्यूसी ने कहा कि करीब 50 स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनका मूल्यांकन बढ़कर अरब डॉलर से अधिक हो सकता है।

भारत में 2021 में सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के मूल्यांकन में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली। इस दौरान यूनिकॉर्न की संख्या बढ़कर 68 हो गई। देश ने 2021 में 43 यूनिकॉर्न जोड़े। पीडब्ल्यूसी इंडिया के मुताबिक, सिर्फ अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में  भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में 10 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया गया। फर्म के पार्टनर अमित नवका ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2021 में वृद्धि स्तर के सौदे तेजी से बढ़े। 

महामारी और डिजिटल परिचालन में तेजी से बैंक और वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं। ये इन घटनाओं से निपटने के लिए जूझ रहे हैं। डेलॉय इंडिया ने सोमवार को कहा कि अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी की घटनाओं में बढ़ोतरी के लिए जिन प्रमुख कारणों की पहचान की गई है, उनमें रिमोट वर्किंग, शाखा से अलग बैंकिंग माध्यमों का बढ़ता उपयोग और फॉरेंसिक विश्लेषण साधनों की सीमित उपलब्धता शामिल है।

सर्वे में 78 फीसदी ने आशंका जताई कि अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी के मामले बढ़ सकते हैं। यह सर्वे भारत में स्थित विभिन्न वित्तीय संस्थानों के 70 वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत पर आधारित है, जो जोखिम प्रबंधन, लेखा परीक्षण, संपत्ति वसूली जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें शामिल बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों में निजी, सार्वजनिक, विदेशी, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शामिल थे।

विस्तार

आरबीआई ने कहा कि भारत की कुल आर्थिक गतिविधियां बैंक ऋण में तेजी और उपभोक्ता विश्वास में सुधार आने से मजबूत बनी हुई हैं। ओमिक्रॉन के ‘एक लहर के बजाय अचानक आई बाढ़’ ही रहने की उम्मीद से भविष्य को लेकर संभावनाओं में सुधार हुआ है। 

आरबीआई के सोमवार को जारी बुलेटिन में कहा कि टीकाकरण मोर्चे पर भारत की प्रगति भी काफी तेज रही है। आपूर्ति के मोर्चे पर रबी की बुआई पिछले साल के स्तर से भी आगे निकल गई है। लेख के मुताबिक, विनिर्माण व विभिन्न सेवा क्षेत्रों के विस्तार से कुल आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हैं। कारोबारी विश्वास बढ़ने और विभिन्न उच्च तीव्रता संकेतकों में तेजी से भी स्थिति सुधरी है। हालांकि, उपभोक्ता विश्वास कोविड-पूर्व स्तर पर नहीं लौट पाया है। इसकी प्रमुख वजह व्यापार और रोजगार स्थितियों से जुड़ी अनिश्चितताएं हैं। 

महामारी और वैश्विक स्तर पर अड़चनों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 12 महीने में रफ्तार पकड़ेगी। पीडब्ल्यूसी के वार्षिक वैश्विक सीईओ सर्वे में शामिल 99 फीसदी भारतीय सीईओ का मानना है कि अगले 12 महीनों में आर्थिक वृद्धि दर में सुधार होगा। 94 फीसदी मानते हैं कि अगले एक साल में वैश्विक वृद्धि दर भी सुधरेगी। वैश्विक स्तर पर ऐसा मानने वाले 77 फीसदी सीईओ हैं। 

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