वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, रियाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 25 Jan 2022 05:12 PM IST
सार
जानकारों का कहना है कि बाजार के इस रुझान से तेल उत्पादक देशों को काफी लाभ हो रहा है। लेकिन दुनिया भर के उपभोक्ताओं पर इसकी कड़ी मार पड़ रही है। अमेरिका से लेकर यूरोप और एशिया तक में पेट्रोलियम और गैस की कीमत में इस महीने और उछाल आई है। जबकि पहले से ही यहां उपभोक्ता इसकी महंगी कीमत चुका रहे थे…
हाल के हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव तेजी से चढ़ा है। बीते बुधवार को यह 2014 के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था। जानकारों का कहना है कि कम से कम फरवरी तक ये ट्रेंड जारी रहेगा। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण महामारी की आई ताजा लहर के बावजूद कच्चे तेल का दाम चढ़ा है। इसकी वजह यह है कि महामारी के इस दौर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग पर कोई असर नहीं पड़ा है।
इस महंगाई की एक और वजह यह है कि हाल में बढ़ी मांग के मुताबिक तेल उत्पादक देशों ने सप्लाई नहीं बढ़ाई है। तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने तेल उत्पादन को पहले के स्तर पर ही रखने का फैसला किया है। नतीजतन, पिछले दस दिन से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव लगभग 85 डॉलर प्रति बैरल बना रहा है। इसे देखते हुए विशेषज्ञ ये अनुमान लगाने में जुटे हुए हैं कि ये भाव कहां तक चढ़ेगा।
कई जगह बढ़ रहा है अंतरराष्ट्रीय तनाव
जानकारों के मुताबिक इस समय कई मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ने के संकेत हैं। यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और पश्चिमी देशों का टकराव बढ़ा है, दूसरी तरफ यमन के गृह युद्ध की आग प्रमुख तेल उत्पादक देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तक पहुंच गई है। एक अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देश लीबिया अभी चुनाव के दौर में है। चुनाव के बाद वहां बनने स्थिति को लेकर आशंकाएं बनी हुई हैं। तेल की महंगाई के पीछे इन सभी पहलुओं की भूमिका है।
अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन शैक्स के विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस वर्ष कच्चे तेल का भाव 96 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। 2023 में यह 105 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। तेल की महंगाई अभी जारी रहने के इस अनुमान से दूसरे विशेषज्ञ भी सहमत लगते हैँ।
90 डॉलर के ऊपर चला जाएगा भाव
थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल ग्लोबल एनर्जी सेंटर के उप निदेशक रीड ब्लेकमोर ने टीवी चैनल अल-जरीरा से कहा कि निकट भविष्य में तेल का भाव 85 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जाने की संभावना नहीं दिख रही है। बल्कि ज्यादा संभावना यही है कि यह आने वाले हफ्तों में 90 डॉलर के ऊपर चला जाएगा। बाजार के ट्रेंड्स का विश्लेषण करने वाली संस्था रायस्टेड एनर्जी से जुड़े एनालिस्ट लुई डिक्सन ने तो अनुमान लगाया है कि कुछ समय के लिए ये भाव 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर भी जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि बाजार के इस रुझान से तेल उत्पादक देशों को काफी लाभ हो रहा है। लेकिन दुनिया भर के उपभोक्ताओं पर इसकी कड़ी मार पड़ रही है। अमेरिका से लेकर यूरोप और एशिया तक में पेट्रोलियम और गैस की कीमत में इस महीने और उछाल आई है। जबकि पहले से ही यहां उपभोक्ता इसकी महंगी कीमत चुका रहे थे।
इस बीच खबर है कि महंगाई से परेशान अपने देशवासियों को राहत दिलाने की कोशिश में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन तेल उत्पादक देशों से कूटनीतिक संपर्क करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि उन देशों को उत्पादन बढ़ाने के लिए राजी किया जा सके।
विस्तार
हाल के हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव तेजी से चढ़ा है। बीते बुधवार को यह 2014 के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था। जानकारों का कहना है कि कम से कम फरवरी तक ये ट्रेंड जारी रहेगा। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण महामारी की आई ताजा लहर के बावजूद कच्चे तेल का दाम चढ़ा है। इसकी वजह यह है कि महामारी के इस दौर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग पर कोई असर नहीं पड़ा है।
इस महंगाई की एक और वजह यह है कि हाल में बढ़ी मांग के मुताबिक तेल उत्पादक देशों ने सप्लाई नहीं बढ़ाई है। तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने तेल उत्पादन को पहले के स्तर पर ही रखने का फैसला किया है। नतीजतन, पिछले दस दिन से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव लगभग 85 डॉलर प्रति बैरल बना रहा है। इसे देखते हुए विशेषज्ञ ये अनुमान लगाने में जुटे हुए हैं कि ये भाव कहां तक चढ़ेगा।
कई जगह बढ़ रहा है अंतरराष्ट्रीय तनाव
जानकारों के मुताबिक इस समय कई मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ने के संकेत हैं। यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और पश्चिमी देशों का टकराव बढ़ा है, दूसरी तरफ यमन के गृह युद्ध की आग प्रमुख तेल उत्पादक देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तक पहुंच गई है। एक अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देश लीबिया अभी चुनाव के दौर में है। चुनाव के बाद वहां बनने स्थिति को लेकर आशंकाएं बनी हुई हैं। तेल की महंगाई के पीछे इन सभी पहलुओं की भूमिका है।
अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन शैक्स के विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस वर्ष कच्चे तेल का भाव 96 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। 2023 में यह 105 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। तेल की महंगाई अभी जारी रहने के इस अनुमान से दूसरे विशेषज्ञ भी सहमत लगते हैँ।
90 डॉलर के ऊपर चला जाएगा भाव
थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल ग्लोबल एनर्जी सेंटर के उप निदेशक रीड ब्लेकमोर ने टीवी चैनल अल-जरीरा से कहा कि निकट भविष्य में तेल का भाव 85 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जाने की संभावना नहीं दिख रही है। बल्कि ज्यादा संभावना यही है कि यह आने वाले हफ्तों में 90 डॉलर के ऊपर चला जाएगा। बाजार के ट्रेंड्स का विश्लेषण करने वाली संस्था रायस्टेड एनर्जी से जुड़े एनालिस्ट लुई डिक्सन ने तो अनुमान लगाया है कि कुछ समय के लिए ये भाव 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर भी जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि बाजार के इस रुझान से तेल उत्पादक देशों को काफी लाभ हो रहा है। लेकिन दुनिया भर के उपभोक्ताओं पर इसकी कड़ी मार पड़ रही है। अमेरिका से लेकर यूरोप और एशिया तक में पेट्रोलियम और गैस की कीमत में इस महीने और उछाल आई है। जबकि पहले से ही यहां उपभोक्ता इसकी महंगी कीमत चुका रहे थे।
इस बीच खबर है कि महंगाई से परेशान अपने देशवासियों को राहत दिलाने की कोशिश में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन तेल उत्पादक देशों से कूटनीतिक संपर्क करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि उन देशों को उत्पादन बढ़ाने के लिए राजी किया जा सके।
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