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अफगानिस्तान संकट: वार्ता के लिए रूस ने बुलाई अहम बैठक, अमेरिका ने शामिल होने से किया इनकार

सार

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि रूस द्वारा 20 अक्तूबर को आयोजित ‘अफगानिस्तान पर वार्ता’ में अमेरिका शामिल नहीं होगा। 
 

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस
– फोटो : ANI

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रूस ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर एक अहम बैठक बुलाई है। 20 अक्तूबर को होने वाली ‘मास्को फार्मेट’ वार्ता में भाग लेने के लिए रूस ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल को भी आमंत्रित किया है। रूस ने तालिबान के प्रतिनिधियों को भी बैठक में आमंत्रित किया है। अगस्त में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद यह पहली बैठक होगी।

अमेरिका ने वार्ता में शामिल होने से किया इनकार
अमेरिका ने कहा कि वह रूस द्वारा घोषित अफगानिस्तान पर वार्ता में शामिल नहीं होगा जिसमें दो अन्य प्रमुख देश चीन और पाकिस्तान शामिल होंगे। विदेश विभाग ने इसके लिए लॉजिस्टिक मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन कहा कि अमेरिका रूसी नेतृत्व वाले मंच को ‘रचनात्मक’ मानता है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘हम आगे चलकर उस मंच में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन हम इस सप्ताह भाग लेने की स्थिति में नहीं हैं।’

रूसी दूत जमीर काबुलोव ने शुक्रवार को मास्को में चार देशों की वार्ता की घोषणा करते हुए कहा था कि उनका लक्ष्य ‘अफगानिस्तान में बदलती स्थिति को लेकर एक सामान्य स्थिति पर काम करना होगा।

अमेरिका ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की निंदा की
अमेरिका ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों की निंदा की है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ‘धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता मानव का अधिकार है। दुनिया भर में हर व्यक्ति, चाहे उनकी धार्मिक संबद्धता या विश्वास कुछ भी हो, उसे उत्साह से मनाने के लिए सुरक्षित और समर्थित महसूस करना चाहिए।’

प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों की हालिया रिपोर्टों की निंदा करता है।

चार देशों के विदेश मंत्रियों ने की वर्चुअल बैठक
अफगानिस्तान संकट और मध्य एशिया के बदलते राजनीतिक समीकरणों ने देशों के लिए एक नई तरह की रणनीति एवं साझेदारी बनाने के लिए प्रेरित किया है। क्षेत्र में अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए दुनिया के देश नए समूह बनाने की ओर अग्रसर होने लगे हैं। इसी बीच सोमवार को अमेरिका, भारत, इस्राइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्रियों की एक वर्चुअल बैठक हुई।

इस बैठक के समाप्त होने पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ‘यह चार देशों अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, इस्राइल और भारत का एक समूह है, जिसमें हम कई हितों को साझा करते हैं। यह बैठक मंत्रियों के लिए कई विषयों पर चर्चा करने का एक अवसर था।’

नेड प्राइस ने कहा कि इस बैठक में संबंधित क्षेत्रों में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के विस्तार सहित, जलवायु परिवर्तन पर चर्चा, ऊर्जा सहयोग और समुद्री सुरक्षा, जैसे कई मुद्दों की एक पूरी श्रृंखला पर चर्चा हुई।

जयशंकर वर्चुअल बैठक में हुए शामिल
विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को इस्राइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने समकक्षों के साथ एक वर्चुअल बैठक में शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य आपसी सहयोग को बढ़ाना था।
 

इस्राइल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अपनी पहली यात्रा पर पहुंचे जयशंकर ने इस्राइल के विदेश मंत्री याइर लापिद, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाह्यान के साथ वर्चुअल बैठक में शामिल हुए। सूत्रों ने बताया कि इस दौरान आर्थिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन, लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने और कोविड-19 से निपटने के लिए समन्वित प्रयास पर चर्चा हुई।

विस्तार

रूस ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर एक अहम बैठक बुलाई है। 20 अक्तूबर को होने वाली ‘मास्को फार्मेट’ वार्ता में भाग लेने के लिए रूस ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल को भी आमंत्रित किया है। रूस ने तालिबान के प्रतिनिधियों को भी बैठक में आमंत्रित किया है। अगस्त में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद यह पहली बैठक होगी।

अमेरिका ने वार्ता में शामिल होने से किया इनकार

अमेरिका ने कहा कि वह रूस द्वारा घोषित अफगानिस्तान पर वार्ता में शामिल नहीं होगा जिसमें दो अन्य प्रमुख देश चीन और पाकिस्तान शामिल होंगे। विदेश विभाग ने इसके लिए लॉजिस्टिक मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन कहा कि अमेरिका रूसी नेतृत्व वाले मंच को ‘रचनात्मक’ मानता है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘हम आगे चलकर उस मंच में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन हम इस सप्ताह भाग लेने की स्थिति में नहीं हैं।’

रूसी दूत जमीर काबुलोव ने शुक्रवार को मास्को में चार देशों की वार्ता की घोषणा करते हुए कहा था कि उनका लक्ष्य ‘अफगानिस्तान में बदलती स्थिति को लेकर एक सामान्य स्थिति पर काम करना होगा।

अमेरिका ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की निंदा की

अमेरिका ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों की निंदा की है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ‘धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता मानव का अधिकार है। दुनिया भर में हर व्यक्ति, चाहे उनकी धार्मिक संबद्धता या विश्वास कुछ भी हो, उसे उत्साह से मनाने के लिए सुरक्षित और समर्थित महसूस करना चाहिए।’

प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों की हालिया रिपोर्टों की निंदा करता है।

चार देशों के विदेश मंत्रियों ने की वर्चुअल बैठक

अफगानिस्तान संकट और मध्य एशिया के बदलते राजनीतिक समीकरणों ने देशों के लिए एक नई तरह की रणनीति एवं साझेदारी बनाने के लिए प्रेरित किया है। क्षेत्र में अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए दुनिया के देश नए समूह बनाने की ओर अग्रसर होने लगे हैं। इसी बीच सोमवार को अमेरिका, भारत, इस्राइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्रियों की एक वर्चुअल बैठक हुई।

इस बैठक के समाप्त होने पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ‘यह चार देशों अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, इस्राइल और भारत का एक समूह है, जिसमें हम कई हितों को साझा करते हैं। यह बैठक मंत्रियों के लिए कई विषयों पर चर्चा करने का एक अवसर था।’

नेड प्राइस ने कहा कि इस बैठक में संबंधित क्षेत्रों में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के विस्तार सहित, जलवायु परिवर्तन पर चर्चा, ऊर्जा सहयोग और समुद्री सुरक्षा, जैसे कई मुद्दों की एक पूरी श्रृंखला पर चर्चा हुई।

जयशंकर वर्चुअल बैठक में हुए शामिल

विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को इस्राइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने समकक्षों के साथ एक वर्चुअल बैठक में शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य आपसी सहयोग को बढ़ाना था।

 

इस्राइल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अपनी पहली यात्रा पर पहुंचे जयशंकर ने इस्राइल के विदेश मंत्री याइर लापिद, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाह्यान के साथ वर्चुअल बैठक में शामिल हुए। सूत्रों ने बताया कि इस दौरान आर्थिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन, लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने और कोविड-19 से निपटने के लिए समन्वित प्रयास पर चर्चा हुई।

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