देश के इकलौते ग्रामीण महिलाओं के नेतृत्व में संचालित मीडिया सामूहिक खबर लहरिया ने सोमवार को कहा कि ऑस्कर में नामांकित हुई उन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री राइटिंग विद फायर में उनका प्रतिनिधित्व गलत बताया गया है। रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित, “राइटिंग विद फायर” की कहानी खबर लहरिया नामक अखबार के प्रिंट से डिजिटल तक के सफर, इस सफर में आने वाली परेशानी, प्रतिरोध, समाज और मीडिया के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है। इसके केंद्र में मीरा, सुनीता और श्यामकली हैं, जो खबर लहरिया से जुड़ी पत्रकार हैं।
28 मार्च को ऑस्कर से पहले एक लंबे ब्लॉग पोस्ट में खबर लहरिया ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री – जिसे टीम ने हाल ही में देखा – उनकी कहानी का सिर्फ एक हिस्सा है, “और आंशिक कहानियों में कभी-कभी पूरी तरह से विकृत करने का एक तरीका होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि “फिल्म काफी गतिशील और शक्तिशाली है, लेकिन इसमें खबर लहरिया का एक संगठन के रूप में रिपोर्टिंग पर फोकस करना गलत दिखाया गया है।
टीम ने आगे कहा कि डॉक्यूमेंट्री में उनके पत्रकारिता मूल्यों को प्रदर्शित नहीं किया गया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में धूम मचा दी है। उन्होंने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि दलितों के नेतृत्व वाली उनकी टीम में मुस्लिम, ओबीसी और उच्च जाति की महिलाएं भी शामिल हैं, जो निष्पक्ष पत्रकारिता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सिर्फ “दिल को छू लेने वाली” सफलता की कहानी नहीं है।
अपने इस लंबे से पोस्ट में खबर लहरिया ने यह निष्कर्ष निकाला कि टीम ने “अप्रत्याशित रूप से” फिल्म के जरिए पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। ऐसे में हम उम्मीद करते है कि फिल्म में इस बात पर जोर दिया जाए कि ऐसा क्या है जिसने “महिलाओं के नेतृत्व वाले, इस स्वतंत्र ग्रामीण मीडिया समूह को संभव बनाया है। यह ऑस्कर जाने वाली कहानी से ज्यादा जटिल कहानी होगी। गौरतलब है कि फिल्म ने डॉक्यूमेंट्री (फीचर) श्रेणी में अकादमी पुरस्कारों के 94 वें संस्करण में अंतिम नामांकन सूची में स्थान हासिल किया है।