रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित भारतीय डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर’ ने 94वें अकादमी पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फीचर श्रेणी में नामांकन प्राप्त किया है। डॉक्यूमेंट्री को ‘असेंशन’, ‘एटिका’, ‘फ्ली’ और ‘समर ऑफ द सोल’ के साथ नामांकित किया गया है। राइटिंग विद फायर एकमात्र भारतीय फिल्म है, जिसे इस साल के ऑस्कर पुरस्कारों में नामांकित किया गया है।
किस बारे में है ‘राइटिंग विद फायर’?
‘राइटिंग विद फायर’ दलित महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे अखबार ‘खबर लहरिया’ पर प्रकाश डालता है। इस अखबार की शुरुआत साल 2002 में दिल्ली स्थित एनजीओ निरंतर द्वारा बुंदेलखंड क्षेत्र के चित्रकूट में की गई थी। ‘राइटिंग विद फायर’ में ‘खबर लहरिया’ के प्रिंट से डिजिटल में शिफ्ट होने की जर्नी को दर्शाया गया है। इस फिल्म में मीरा और उनके साथी पत्रकारों की कहानी बताई गई है। जो नई तकनीक सीखते हुए पितृसत्ता पर सवाल उठाती हैं, पुलिस बल की अक्षमता की जांच करती हैं, और जाति व लिंग हिंसा के पीड़ितों के बारे में लिखती हैं।
‘राइटिंग विद फायर’ के बारे में क्या कह रही है दुनिया?
ऑनलाइन बातचीत के दौरा फेमिनिस्ट आइकॉन ग्लोरिया स्टीनम ने फिल्म को “वास्तविक जीवन” से प्रेरित होने के लिए सराहा। उन्होंने कहा, ‘भारत मेरा दूसरा घर है। मैं कॉलेज के बाद दो साल तक वहां रही। हम (अमेरिका और भारत) दुनिया के दो सबसे बड़े, सबसे विविध लोकतंत्र हैं। हमें एक-दूसरे की जरूरत है, और एक-दूसरे से सीखने की जरूरत है।”
वैराइटी ने फिल्म को “भारत की पत्रकारिता के गौरव के लिए उत्साहजनक, प्रेरणादायक श्रद्धांजलि” कहा। हॉलीवुड रिपोर्टर ने अपनी समीक्षा में लिखा, “फिल्म की अंतरंगता और तात्कालिकता की भावना दर्शकों को ऐसा महसूस कराती है कि वह खुद उन पत्रकारों के साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे हैं।” वहीं वाशिंगटन पोस्ट ने इसे “सबसे प्रेरक पत्रकारिता फिल्म” कहा।
अन्य महत्वपूर्ण सम्मान
इससे पहले राइटिंग विद फायर का 2021 में सनडांस फिल्म फेस्टिवल में विश्व प्रीमियर हुआ था। इस फेस्टिवल में डॉक्यूमेंट्री ने दो पुरस्कार – द ऑडियंस अवॉर्ड और एक स्पेशल जूरी अवॉर्ड भी जीते। अब तक इस डॉक्यूमेंट्री को 20 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।