न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विशाल तिवारी
Updated Sun, 09 Jan 2022 10:56 PM IST
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कौन हैं आयशा मलिक
तीन जून 1966 को जन्मी आयशा मलिक ने कराची ग्रामर स्कूल से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद कराची के ही गवर्नमेंट कालेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से स्नातक की उपाधि ली थी। इसके बाद लाहौर के कॉलेज ऑफ लॉ से डिग्री लेने के बाद उन्होंने अमेरिका में मेसाच्यूसेट्स के हॉवर्ड स्कूल ऑफ लॉ से एलएलएम (विधि परास्नातक) की पढ़ाई की। उन्हें 1998-1999 में ‘लंदन एच गैमोन फेलो’ भी चुना गया था।
दुनिया के लिए मिसाल बनीं न्याधीश आयशा मलिक
आयशा मलिक की नियुक्ति का पाकिस्तान की कई हस्तियों ने समर्थन किया है। मुख्य न्यायाधीश गुलज़ार अहमद ने इस ऐतिहासिक फैसले को अपना समर्थन दिया है। वहीं सत्तारूढ़ तकरीक-ए-इंसाफ पार्टी की सांसद और कानून के लिए संसदीय सचिव मलिका बुखारी ने उनकी नियुक्ति पर ट्वीट किया, ‘देश के लिए एक महत्वपूर्ण और निर्णायक पल जब एक शानदार वकील और बेहतरीन जज को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनाया गया। रवायतें टूट रही हैं।’ एक डिजिटल अधिकार वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता निघाट डैड ने कहा कि जस्टिस मलिक ने “अदालत में अपनी क्षमता” साबित कर दी है।
क्या था जस्टिस आयशा मलिक का ऐतिहासिक फैसला
जस्टिस आयशा ने पिछले साल महिला बलात्कार पीड़ितों के लिए रेप परीक्षण को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। उन्होंने अपने फैसले में कहा, “यह एक अपमानजनक प्रथा है, जिसका इस्तेमाल पीड़िता पर संदेह करने के लिए किया जाता है, न कि आरोपी और यौन हिंसा की घटना पर ध्यान केंद्रित करने के लिए।”