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US On Tesla: टेस्ला के झिंजियांग में शोरूम खोलने के फैसले की आलोचना, अमेरिका ने कह दी यह बड़ी बात

US On Tesla: टेस्ला के झिंजियांग में शोरूम खोलने के फैसले की आलोचना, अमेरिका ने कह दी यह बड़ी बात

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Wed, 05 Jan 2022 11:24 AM IST

सार

दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने चीन के झिंजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में अपना शोरूम खोलने का फैसला किया है। इस घोषणा के बाद अमेरिका ने टेस्ला के फैसले पर कहा कि निजी क्षेत्र को चीन द्वारा किए गए मानवाधिकार के हनन और नरसंहार के लिए विरोध करना चाहिए। 
 

एलन मस्क, सीईओ टेस्ला कंपनी
– फोटो : self

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दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने चीन के झिंजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में अपना शोरूम खोलने का फैसला किया है। लेकिन इसकी घोषणा के साथ ही कंपनी को अमेरिका की ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका ने टेस्ला के फैसले पर कहा कि निजी क्षेत्र को चीन द्वारा किए गए मानवाधिकार के हनन और नरसंहार के लिए विरोध करना चाहिए। 

व्हाइट हाउस की ओर से आया ये बयान
बीते शुक्रवार को किए गए अपने इस फैसले के साथ इलेक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला उन कंपनियों में शामिल हो गई है, जो पहले चीनी क्षेत्र में बिजनेस करने के मामले में विवादों में फंस चुकी हैं। व्हाइट हाउस ने निजी कंपनियों से झिंजियांग में चीन द्वारा मानवाधिकारों के हनन और नरसंहार का विरोध करने का आग्रह किया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियां जो अपनी आपूर्ति श्रृंखला के भीतर जबरन मजदूरी और मानवाधिकारों के हनन को संबोधित करने में विफल रहती हैं, उन्हें अमेरिका में गंभीर कानूनी परेशानियों और ग्राहक जोखिम का सामना करना पड़ता है।

चीन के खिलाफ अमेरिकी अभियान तेज
साकी ने जोर देते हुए कहा कि मैं महज एक कंपनी के बारे में बात नहीं कर सकता, लेकिन एक सामान्य मामले के रूप में, हम मानते हैं कि निजी क्षेत्र को झिजियांग में पीआरसी के मानवाधिकारों के हनन और नरसंहार का विरोध करना चाहिए। गौरतलब है कि हालिया दिनों में, अमेरिका ने झिजियांग में धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन करने के लिए चीन के खिलाफ अपने अभियान को तेज कर दिया है। यही नहीं जो बाइडन प्रशासन ने चीन के मानवाधिकारों के हनन के विरोध में अगले महीने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार का फैसला किया है।

इस वजह से हो रही है आलोचना
रिपोर्ट के अनुसार, झिंजियांग प्रांत हालिया वर्षों में पश्चिमी सरकारों और चीन के बीच मतभेदों का केंद्र बन गया है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ और अधिकार समूह का अनुमान है कि उइगर्स, मुस्लिम अल्पसंख्यकों समेत दस लाख से अधिक सदस्यों को वहां शिविरों में कैद किया गया है। हालांकि, चीन ने प्रांत में जबरन मजदूरी कराने या अन्य दुर्व्यवहार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि शिविर वोकेशनल ट्रेनिंग प्रदान करते हैं और कंपनियों को वहां की पॉलिसी का सम्मान करना चाहिए।
 

विस्तार

दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने चीन के झिंजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में अपना शोरूम खोलने का फैसला किया है। लेकिन इसकी घोषणा के साथ ही कंपनी को अमेरिका की ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका ने टेस्ला के फैसले पर कहा कि निजी क्षेत्र को चीन द्वारा किए गए मानवाधिकार के हनन और नरसंहार के लिए विरोध करना चाहिए। 

व्हाइट हाउस की ओर से आया ये बयान

बीते शुक्रवार को किए गए अपने इस फैसले के साथ इलेक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला उन कंपनियों में शामिल हो गई है, जो पहले चीनी क्षेत्र में बिजनेस करने के मामले में विवादों में फंस चुकी हैं। व्हाइट हाउस ने निजी कंपनियों से झिंजियांग में चीन द्वारा मानवाधिकारों के हनन और नरसंहार का विरोध करने का आग्रह किया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियां जो अपनी आपूर्ति श्रृंखला के भीतर जबरन मजदूरी और मानवाधिकारों के हनन को संबोधित करने में विफल रहती हैं, उन्हें अमेरिका में गंभीर कानूनी परेशानियों और ग्राहक जोखिम का सामना करना पड़ता है।

चीन के खिलाफ अमेरिकी अभियान तेज

साकी ने जोर देते हुए कहा कि मैं महज एक कंपनी के बारे में बात नहीं कर सकता, लेकिन एक सामान्य मामले के रूप में, हम मानते हैं कि निजी क्षेत्र को झिजियांग में पीआरसी के मानवाधिकारों के हनन और नरसंहार का विरोध करना चाहिए। गौरतलब है कि हालिया दिनों में, अमेरिका ने झिजियांग में धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन करने के लिए चीन के खिलाफ अपने अभियान को तेज कर दिया है। यही नहीं जो बाइडन प्रशासन ने चीन के मानवाधिकारों के हनन के विरोध में अगले महीने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार का फैसला किया है।

इस वजह से हो रही है आलोचना

रिपोर्ट के अनुसार, झिंजियांग प्रांत हालिया वर्षों में पश्चिमी सरकारों और चीन के बीच मतभेदों का केंद्र बन गया है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ और अधिकार समूह का अनुमान है कि उइगर्स, मुस्लिम अल्पसंख्यकों समेत दस लाख से अधिक सदस्यों को वहां शिविरों में कैद किया गया है। हालांकि, चीन ने प्रांत में जबरन मजदूरी कराने या अन्य दुर्व्यवहार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि शिविर वोकेशनल ट्रेनिंग प्रदान करते हैं और कंपनियों को वहां की पॉलिसी का सम्मान करना चाहिए।

 

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