यूरोपीय संघ के अधिकारी ने यूक्रेन की स्थिति के संबंध में संघ के 27 सदस्यों की भारत से अपेक्षाओं के सवाल को टालते हुए कहा कि समूह ने भारतीय पक्ष को अपनी स्थिति, दृष्टिकोण और आकलन के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि हम विशेष रूप से इस तथ्य पर जोर दे रहे हैं कि यूरोपीय सुरक्षा को रेखांकित करने वाले सिद्धांतों और नियमों का सम्मान किया जाना चाहिए।
यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत को यूक्रेन की स्थिति पर अपनी चिंताओं और पूर्वी यूरोपीय देश के खिलाफ किसी भी रूसी आक्रमण की स्थिति में बड़े पैमाने पर होने वाले बदलावों से जुड़ी योजना के बारे में सूचित किया है। यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने बुधवार को भारतीय पत्रकारों के समूह को बताया कि यूरोपीय संघ भारत के साथ लगातार बातचीत कर रहा है, जिसे वह ‘मित्र और भागीदार’ के रूप में देखता है, ताकि नई दिल्ली को रूसी सैनिकों की ओर से उठाए गए किसी भी बड़े कदम के बाद बदले हुए घटनाक्रम में यूक्रेन की स्थिति के बारे में आकलन और चिंताओं से अवगत कराया जा सके। इस बीच व्हाइट हाउस ने कहा है कि अब रूस कभी भी हमला कर सकता है।
यूरोपीय संघ ने नाटो और उसके अमेरिका जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर यूक्रेन के खिलाफ रूस के किसी भी आक्रामकता भरे कदम के जवाब में उठाए जाने वाले कदमों और एक मजबूत प्रतिक्रिया की योजना तैयार की है। अधिकारी ने कहा कि ऐसी स्थिति में बड़े गंभीर परिणाम सामने आएंगे। यूरोपीय संघ, यूक्रेन के साथ खड़ा है, लेकिन साथ ही हम बातचीत और राजनयिक समाधान के लिए सभी रास्ते तलाशने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
यूरोपीय संघ के अधिकारी ने यूक्रेन की स्थिति के संबंध में संघ के 27 सदस्यों की भारत से अपेक्षाओं के सवाल को टालते हुए कहा कि समूह ने भारतीय पक्ष को अपनी स्थिति, दृष्टिकोण और आकलन के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि हम विशेष रूप से इस तथ्य पर जोर दे रहे हैं कि यूरोपीय सुरक्षा को रेखांकित करने वाले सिद्धांतों और नियमों का सम्मान किया जाना चाहिए। चाहे वह यूरोप में हो या बाकी दुनिया अंतरराष्ट्रीय शासन की एक नियम-आधारित प्रणाली है जो सभी के लिए रुचिकर है।
भारत ने रूस के खिलाफ कुछ नहीं कहा
उन्होंने कहा कि भारत ने रूस के साथ अपने घनिष्ठ रणनीतिक संबंधों को देखते हुए यूक्रेन सीमा पर रूस की कार्रवाईयों के खिलाफ कोई बात नहीं कही है। हालांकि भारत ने यूक्रेन में तनाव बढ़ाने वाले सभी कदमों का विरोध किया है और सभी देशों के सुरक्षा हितों को सुनिश्चित करते हुए तत्काल सैनिकों की सीमा से वापसी और शांतिपूर्ण माहौल में कूटनीतिक बातचीत करने पर जोर दिया है।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में जाएंगे विदेश मंत्री जयशंकर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इसी हफ्ते म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में शिरकत करने के लिए यूरोप की यात्रा पर जाएंगे। वह फ्रांस द्वारा बुलाई गई मंत्रिस्तरीय इंडो-पैसिफिक मंच की बैठक में भी भाग लेंगे। संभव है कि इस दौरान यूक्रेन के खिलाफ रूस यदि कोई आक्रामक रुख अख्तियार करता है तो भारत को अपने यूरोपीय संघ के भागीदारों के दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
विदेश मंत्री जयशंकर 18 से 20 फरवरी तक अपनी यूरोप की यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीति को लेकर हो रही दुनिया की सबसे बड़ी बैठक में शिरकत करेंगे। इस बीच उनके ईयू के विदेश मामलों और सुरक्षा नीति प्रमुख जोसेप बोरेल के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। वहीं रूस इस साल सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा। इसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर फ्रांस जाएंगे और वहां 22 फरवरी को इंडो-पैसिफिक मंच की बैठक में हिस्सा लेंगे।
बातचीत की दिशा में हैं हमारे प्रयास : ईयू
यूरोपीय संघ के अधिकारी ने आगे कहा कि हम जो बताना चाहते हैं, वह यह है कि हमारे सभी प्रयास बातचीत की दिशा में हैं, लेकिन हम अपने सिद्धांतों पर दृढ़ हैं, जिन पर बातचीत नहीं की जा सकती, क्योंकि वे यूरोप की सुरक्षा तंत्र के सार को परिभाषित करते हैं। अधिकारी ने कहा कि यूरोप में सुरक्षा तंत्र को एकतरफा रूप से फिर से परिभाषित करने के प्रयास स्वीकार्य नहीं हैं, क्योंकि यह उन मूल सिद्धांतों को कमजोर करेगा जिन पर इसका निर्माण किया गया है, चाहे वह हेलसिंकी अंतिम अधिनियम 1975 हो या 1990 का पेरिस चार्टर हो।
सैन्य जमावड़ा दोनों पक्षों के लिए खतरा
अधिकारी ने कहा कि सैनिकों और हथियारों का भारी मात्रा में एक जगह एकत्र होना, यूक्रेन के सामने ही नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से दोनों पक्षों के लिए खतरा है। पिछले सात वर्षों में यूक्रेन को क्रीमिया के अवैध कब्जे और डोनबास की स्थिति जैसी आक्रामक घटनाओं जैसे अन्य कृत्यों का सामना करना पड़ा है।
यूक्रेन सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े और अभ्यास करने के सवाल पर ईयू के अधिकारी ने कहा कि संघ को आशा है कि रूस सैनिकों को वापस बुलाएगा और हेलसिंकी अंतिम अधिनियम व पेरिस चार्टर के अंतर्गत बातचीत और अपनी चिंताओं को जाहिर करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
उम्मीद की किरण नजर आई
उन्होंने कहा कि बीते दो दिनों में हमें उम्मीद की किरण नजर आई है, परंतु जमीनी हकीकत अभी भी अस्पष्ट है.. हमें आशा है कि यह अच्छे संकेत जल्द ही साकार होंगे। हम देखेंगे कि क्या यह संकेत जमीनी स्तर पर ठोस रूप में सामने आते हैं या नहीं।
अब कभी भी हो सकता है हमला : व्हाइट हाउस
यूक्रेन संकट को लेकर गहराती आशंकाओं के बीच अमेरिका ने एक बार फिर कहा है कि रूस अब कभी भी हमला कर सकता है। व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा कि चूंकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में शिरकत के लिए भेजा है। जहां यह दोनों ही नेता दुनिया के दूसरे देशों को मॉस्को के खिलाफ एकजुट करने के प्रयास करेंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने आशंका जताई कि ऐसी स्थिति में हमला कभी भी हो सकता है।
साकी ने रोज होने वाली प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि रूस कभी भी हमला कर सकता है। यह किसी मनगढ़ंत बहाने से होगा, जिसे वह आक्रमण करने की वजह बताएगा। हम इसके बारे में पहले ही बात कर चुके हैं, हमने अतीत में भी ऐसे हथकंडों को देखा है। मसलन रासायनिक हथियार होने के आरोप, रूसी सैनिकों पर ऐसे हमले की कहानी जो वास्तव में हुआ ही नहीं या फिर डोनबास में उकसावे का कोई दावा भी किया जा सकता है।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि ऐसे में आपको अपनी आंखें खुली रखनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में, साकी ने संवाददाताओं से कहा कि कई तरह के झूठे दावे और बहाने हो सकते हैं, जो आक्रमण की बताए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हैरिस और ब्लिंकन दोनों ही नेता 18 से 20 फरवरी तक होने वाले सम्मेलन में शिरकत के लिए जर्मनी की उड़ान भरने जा रहे हैं।
भारत-यूक्रेन के बीच बढ़ेगी उड़ानों की संख्या: सूत्र
रूस के साथ सीमा पर तनावपूर्ण हालात को देखते हुए यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों की सुविधा के लिए भारतीय अधिकारी उड़ानों की संख्या बढ़ाने पर कई एयरलाइंस के साथ बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, उड़ानों की संख्या में बढ़ोतरी मुख्य रूप से भारतीय छात्रों के लिए है, जिन्हें वहां के हालात को देखते हुए यूक्रेन छोड़ने पर विचार करने को कहा गया है।
यूक्रेन में भारतीय नागरिक और भारत में उनके परिवारों के सवालों का जवाब देने के लिए यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय द्वारा नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जा रहे हैं। कीव स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीयों, विशेषकर छात्रों से कहा था कि वे देश से बाहर जाने पर विचार करें और आक्रमण की आशंका के बीच देश के भीतर गैर-जरूरी यात्रा से बचें।
तेज होगी सैन्य वापसी : रूसी रक्षा मंत्रालय
यूक्रेन सीमा पर मंडराते युद्ध के बादलों को छांटते हुए रूस ने मंगलवार शाम को अपनी सैन्य टुकड़ियां वापस बुलाने की घोषणा की थी। अब उसने कहा है कि वह और अधिक सैनिकों व हथियारों को उनके ठिकानों पर तेजी से लौटा रहा है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति को अब भी यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंका है। उन्होंने कहा, यदि ऐसा हुआ तो अमेरिका व सहयोगी देश ‘निर्णायक’ जवाब देंगे।
इस द्वंद्व के बीच रूसी रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि रूस के दक्षिणी सैन्य यूनिटों के सैन्य उपकरणों का एक काफिला क्रीमिया पुल को पार कर गया है। इन यूनिटों ने क्रीमियाई प्रायद्वीप के युद्धाभ्यास में भाग लिया था जो रेलमार्ग से अपने ठिकानों पर लौट रही हैं। इसमें बख्तरबंद वाहन, टैंक, पैदल सेना संबंधी वाहन, स्वचालित तोपखाने और बड़ी मात्रा में हथियार शामिल हैं।
रूस ने यूक्रेन की तीन दिशाओं- पूर्व, उत्तर और दक्षिण में करीब 1.50 लाख सैनिकों के साथ अभ्यास किया, जिससे युद्ध की आशंकाओं को बल मिला। दूसरी तरफ, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, उन्हें अब भी रूसी हमले की आशंका है। उनेंने कहा, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का ऐसा कोई भी कदम खुद को चोट पहुंचाने वाला साबित होगा। उन्होंने मॉस्को को आगाह किया कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश ‘निर्णायक’ रूप से प्रतिक्रिया देंगे।
सैन्य वापसी के संकेत नहीं : नाटो
रूसी सैन्य वापसी के बीच नाटो ने घोषणा की है कि उसे सैन्य वापसी का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति के समान नाटो को भी आशंका है कि रूस जल्द ही यूक्रेन पर हमला कर सकता है। हालांकि मॉस्को ने ऐसी किसी भी योजना से इनकार किया है। नाटो महासचिव जींस स्टोलटेनबर्ग ने कहा, संगठन को ऐसा कोई संकेत नहीं दिखा है कि मॉस्को यूक्रेन और उसके आसपास अपने सैनिकों के स्तर में कमी ला रहा हो। उन्होंने यह बात ब्रुसेल्स में नाट के रक्षा मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता से पहले कही। उन्होंने कहा, यदि रूस वास्तव में बलों को वापस लेता है तो वे उसका स्वागत करेंगे।
हमें सतर्क रहना चाहिए : ब्रिटेन
ब्रिटिश रक्षामंत्री बेन वॉलेस ने रूसी सैन्य वापसी पर कहा, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या यह कार्रवाई वास्तविक है, क्योंकि रूसी सेना अभी पूरी तरह वापस नहीं लौटी है। उन्होंने कहा, हमने फील्ड अस्पतालों और रणनीतिक हथियार प्रणालियों जैसी चीजों का निरंतर निर्माण देखा है। जब तक हम एक उचित सैन्य वापसी नहीं देखते, मुझे लगता है कि हम सभी को क्रेमलिन से यात्रा की दिशा के बारे में सतर्क रहना चाहिए। इस बीच, बुधवार को भी रूसी लड़ाकू जेट विमानों ने बेलारूस के ऊपर प्रशिक्षण उड़ान भरी।
यूक्रेन में नहीं भेजे अमेरिकी सैनिक
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, द्वितीय विश्वयुद्ध की जरूरत थी, लेकिन यदि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो यह मर्जी से छेड़ा गया युद्ध या बिना वजह की जंग होगी। बाइडन बोले, मैं उकसावे के लिए नहीं, बल्कि सच बोलने के लिए ये चीजें कहता हूं क्योंकि सच, जवाबदेही मायने रखती है। अगर रूस आने वाले कुछ दिनों और हफ्तों में हमला करता है तो यूक्रेन के लिए मानवीय क्षति बहुत ज्यादा होगी। उन्होंने यूक्रेन में अमेरिकी सैनिकों को भेजने से भी इनकार किया और कहा, हमने सिर्फ यूक्रेनी सेना को उनकी रक्षा करने में मदद करने के लिए उपकरण भेजे हैं। हमने उन्हें प्रशिक्षण और परामर्श दिया है।
यूक्रेन में राष्ट्रीय एकता दिवस
यूक्रेन ने रूसी हमलों की खबरों के बीच बुधवार को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसके तहत कीव में एक खेल मैदान में 200 मीटर का राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, हम खुशी के साथ शांति से रहने की इच्छा से एकजुट हैं। हम अपने घर की रक्षा तभी कर सकते हैं जब हम एकजुट हों।
रूस की कीव से दूतावास स्थानांतरित करने की योजना नहीं
एक सूत्र ने समाचार एजेंसी स्पुतनिक को बताया कि रूस की यूक्रेन में अपने दूतावास को कीव से स्थानांतरित करने की कोई योजना नहीं है। रूस के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि रूसी पक्ष अस्थायी रूप से दूतावास को खार्कोव य ओडेसा ले जाने की कोई योजना नहीं बना रहा है। सूत्र ने बताया कि हमारे विदेशी शिन काम करना जारी रखे हैं और ऐसी कोई योजना नहीं है।
पुतिन से डूमा ने कहा- लुहांस्क व दोनेस्क को अलग देश की मान्यता दें
रूस की संसद डूमा ने प्रस्ताव पारित कर यूक्रेन के अलगाववादी प्रांतों लुहांस्क और दोनेस्क को तत्काल अलग देश की मान्यता देने की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अपील की है। प्रस्ताव में अपील की गई है कि 2014 में यूक्रेन से स्वायत्त घोषित किए गए इन दोनों प्रातों को मान्यता दी जाए। रूस यदि इन्हें स्वतंत्र देशों के रूप में मान्यता देता है तो ऐसा करने वाला वह पहला देश होगा।
रूस ने यूक्रेन पर मिंस्क-2 समझौते का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है। इस समझौते में दोनों पक्षों में क्षेत्र से सैन्य बल हटाने पर सहमति बनी है और यूक्रेन को लुहांस्क और दोनेस्क के प्रतिनिधियों से स्थानीय प्रशासन के सवालों पर चर्चा करने को कहा गया है। हालांकि यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने चेतावनी दी है कि रूसी राष्ट्रपति यदि मान्यता के प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं तो यह स्वत: और कानूनन मिंस्क समझौते के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा।
सोमालिया की राजधानी के बाहर अल-शबाब के हमले में छह की मौत
सोमालिया की राजधानी के बाहरी इलाके में अल-शबाब आतंकी संगठन ने एक भीषण हमले को अंजाम दिया जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए हैं। सोमालिया की सरकार ने कहा कि सुबह हुए हमले में मोगादिशु के बाहर स्थित पुलिस की चौकियों को निशाना बनाया गया। अल-कायदा से जुड़ा आतंकी संगठन अल-शबाब मोगादिशु को निशाना बनाता रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने चेताया है कि यह समूह सोमालिया के वर्तमान चुनावी संकट का फायदा उठाकर और हमले कर सकता है। देश में चुनाव में एक साल से अधिक समय से विलंब हो रहा है।
विस्तार
यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत को यूक्रेन की स्थिति पर अपनी चिंताओं और पूर्वी यूरोपीय देश के खिलाफ किसी भी रूसी आक्रमण की स्थिति में बड़े पैमाने पर होने वाले बदलावों से जुड़ी योजना के बारे में सूचित किया है। यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने बुधवार को भारतीय पत्रकारों के समूह को बताया कि यूरोपीय संघ भारत के साथ लगातार बातचीत कर रहा है, जिसे वह ‘मित्र और भागीदार’ के रूप में देखता है, ताकि नई दिल्ली को रूसी सैनिकों की ओर से उठाए गए किसी भी बड़े कदम के बाद बदले हुए घटनाक्रम में यूक्रेन की स्थिति के बारे में आकलन और चिंताओं से अवगत कराया जा सके। इस बीच व्हाइट हाउस ने कहा है कि अब रूस कभी भी हमला कर सकता है।
यूरोपीय संघ ने नाटो और उसके अमेरिका जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर यूक्रेन के खिलाफ रूस के किसी भी आक्रामकता भरे कदम के जवाब में उठाए जाने वाले कदमों और एक मजबूत प्रतिक्रिया की योजना तैयार की है। अधिकारी ने कहा कि ऐसी स्थिति में बड़े गंभीर परिणाम सामने आएंगे। यूरोपीय संघ, यूक्रेन के साथ खड़ा है, लेकिन साथ ही हम बातचीत और राजनयिक समाधान के लिए सभी रास्ते तलाशने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
यूरोपीय संघ के अधिकारी ने यूक्रेन की स्थिति के संबंध में संघ के 27 सदस्यों की भारत से अपेक्षाओं के सवाल को टालते हुए कहा कि समूह ने भारतीय पक्ष को अपनी स्थिति, दृष्टिकोण और आकलन के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि हम विशेष रूप से इस तथ्य पर जोर दे रहे हैं कि यूरोपीय सुरक्षा को रेखांकित करने वाले सिद्धांतों और नियमों का सम्मान किया जाना चाहिए। चाहे वह यूरोप में हो या बाकी दुनिया अंतरराष्ट्रीय शासन की एक नियम-आधारित प्रणाली है जो सभी के लिए रुचिकर है।
भारत ने रूस के खिलाफ कुछ नहीं कहा
उन्होंने कहा कि भारत ने रूस के साथ अपने घनिष्ठ रणनीतिक संबंधों को देखते हुए यूक्रेन सीमा पर रूस की कार्रवाईयों के खिलाफ कोई बात नहीं कही है। हालांकि भारत ने यूक्रेन में तनाव बढ़ाने वाले सभी कदमों का विरोध किया है और सभी देशों के सुरक्षा हितों को सुनिश्चित करते हुए तत्काल सैनिकों की सीमा से वापसी और शांतिपूर्ण माहौल में कूटनीतिक बातचीत करने पर जोर दिया है।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में जाएंगे विदेश मंत्री जयशंकर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इसी हफ्ते म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में शिरकत करने के लिए यूरोप की यात्रा पर जाएंगे। वह फ्रांस द्वारा बुलाई गई मंत्रिस्तरीय इंडो-पैसिफिक मंच की बैठक में भी भाग लेंगे। संभव है कि इस दौरान यूक्रेन के खिलाफ रूस यदि कोई आक्रामक रुख अख्तियार करता है तो भारत को अपने यूरोपीय संघ के भागीदारों के दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
विदेश मंत्री जयशंकर 18 से 20 फरवरी तक अपनी यूरोप की यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीति को लेकर हो रही दुनिया की सबसे बड़ी बैठक में शिरकत करेंगे। इस बीच उनके ईयू के विदेश मामलों और सुरक्षा नीति प्रमुख जोसेप बोरेल के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। वहीं रूस इस साल सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा। इसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर फ्रांस जाएंगे और वहां 22 फरवरी को इंडो-पैसिफिक मंच की बैठक में हिस्सा लेंगे।
बातचीत की दिशा में हैं हमारे प्रयास : ईयू
यूरोपीय संघ के अधिकारी ने आगे कहा कि हम जो बताना चाहते हैं, वह यह है कि हमारे सभी प्रयास बातचीत की दिशा में हैं, लेकिन हम अपने सिद्धांतों पर दृढ़ हैं, जिन पर बातचीत नहीं की जा सकती, क्योंकि वे यूरोप की सुरक्षा तंत्र के सार को परिभाषित करते हैं। अधिकारी ने कहा कि यूरोप में सुरक्षा तंत्र को एकतरफा रूप से फिर से परिभाषित करने के प्रयास स्वीकार्य नहीं हैं, क्योंकि यह उन मूल सिद्धांतों को कमजोर करेगा जिन पर इसका निर्माण किया गया है, चाहे वह हेलसिंकी अंतिम अधिनियम 1975 हो या 1990 का पेरिस चार्टर हो।
सैन्य जमावड़ा दोनों पक्षों के लिए खतरा
अधिकारी ने कहा कि सैनिकों और हथियारों का भारी मात्रा में एक जगह एकत्र होना, यूक्रेन के सामने ही नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से दोनों पक्षों के लिए खतरा है। पिछले सात वर्षों में यूक्रेन को क्रीमिया के अवैध कब्जे और डोनबास की स्थिति जैसी आक्रामक घटनाओं जैसे अन्य कृत्यों का सामना करना पड़ा है।
यूक्रेन सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े और अभ्यास करने के सवाल पर ईयू के अधिकारी ने कहा कि संघ को आशा है कि रूस सैनिकों को वापस बुलाएगा और हेलसिंकी अंतिम अधिनियम व पेरिस चार्टर के अंतर्गत बातचीत और अपनी चिंताओं को जाहिर करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
उम्मीद की किरण नजर आई
उन्होंने कहा कि बीते दो दिनों में हमें उम्मीद की किरण नजर आई है, परंतु जमीनी हकीकत अभी भी अस्पष्ट है.. हमें आशा है कि यह अच्छे संकेत जल्द ही साकार होंगे। हम देखेंगे कि क्या यह संकेत जमीनी स्तर पर ठोस रूप में सामने आते हैं या नहीं।
अब कभी भी हो सकता है हमला : व्हाइट हाउस
यूक्रेन संकट को लेकर गहराती आशंकाओं के बीच अमेरिका ने एक बार फिर कहा है कि रूस अब कभी भी हमला कर सकता है। व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा कि चूंकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में शिरकत के लिए भेजा है। जहां यह दोनों ही नेता दुनिया के दूसरे देशों को मॉस्को के खिलाफ एकजुट करने के प्रयास करेंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने आशंका जताई कि ऐसी स्थिति में हमला कभी भी हो सकता है।
साकी ने रोज होने वाली प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि रूस कभी भी हमला कर सकता है। यह किसी मनगढ़ंत बहाने से होगा, जिसे वह आक्रमण करने की वजह बताएगा। हम इसके बारे में पहले ही बात कर चुके हैं, हमने अतीत में भी ऐसे हथकंडों को देखा है। मसलन रासायनिक हथियार होने के आरोप, रूसी सैनिकों पर ऐसे हमले की कहानी जो वास्तव में हुआ ही नहीं या फिर डोनबास में उकसावे का कोई दावा भी किया जा सकता है।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि ऐसे में आपको अपनी आंखें खुली रखनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में, साकी ने संवाददाताओं से कहा कि कई तरह के झूठे दावे और बहाने हो सकते हैं, जो आक्रमण की बताए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हैरिस और ब्लिंकन दोनों ही नेता 18 से 20 फरवरी तक होने वाले सम्मेलन में शिरकत के लिए जर्मनी की उड़ान भरने जा रहे हैं।