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Russia Ukraine War: बातचीत के जरिए चीन को मनाने में नाकाम रहे जो बाइडन

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 19 Mar 2022 06:45 PM IST

सार

अमेरिकी विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि बाइडन ने इस बातचीत की पहल एक नाजुक मौके पर की। उनका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि चीन रूस को सैनिक मदद ना दे। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने इस बारे में गुरुवार को सार्वजनिक तौर पर चिंता जताई थी। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक शी जिनपिंग यूक्रेन पर रूसी हमले से विचलित नहीं हुए हैं…

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शुक्रवार को एक घंटा 52 मिनट तक चली बात से ये बात फिर जाहिर हुई कि यूक्रेन मसले पर ये दोनों देश समान धरातल पर नहीं हैं। बाइडन ने चीन को चेतावनी दी कि अगर उसने रूस को ठोस मदद पहुंचाई, तो उसके ‘परिणाम’ होंगे। लेकिन शी पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने अमेरिका और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत कर समस्या का समाधान निकालने की सलाह दे दी।

द्विपक्षीय मामलों पर भी शी के तेवर सख्त रहे। बाइडन ने कहा- अमेरिका एक नया शीत युद्ध नहीं चाहता। चीन की अंदरूनी व्यवस्था को बदलने की भी उसकी कोई इच्छा नहीं है। बाइडन ने कहा कि अमेरिका ताइवान में ‘अलगाववाद को समर्थन’ नहीं देगा। इस पर शी ने कहा- ‘चीन और अमेरिका के संबंधों में मौजूदा तनाव का कारण अमेरिका में ऐसे लोगों का मौजूद होना है, जिन्होंने दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के बीच बनी सहमतियों के अनुरूप आचरण नहीं किया है।’ साफ तौर पर उन्होंने तनाव का दोष अमेरिका के माथे डाल दिया।

…तो क्या रूस की मदद करेगा चीन?

अमेरिकी विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि बाइडन ने इस बातचीत की पहल एक नाजुक मौके पर की। उनका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि चीन रूस को सैनिक मदद ना दे। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने इस बारे में गुरुवार को सार्वजनिक तौर पर चिंता जताई थी। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक शी जिनपिंग यूक्रेन पर रूसी हमले से विचलित नहीं हुए हैं। इन अधिकारियों के मुताबिक चीन संभवतया रूस को बड़े हथियार नहीं देगा। लेकिन वह सामान्य प्रकार के सैन्य उपकरण मुहैया करा सकता है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक बिल बर्न्स ने पिछले हफ्ते कहा था कि रूस और चीन के बीच बेहद ठोस कारणों से रिश्ता मजबूत बना हुआ है। यूक्रेन पर जारी हमले को लेकर हालांकि चीन ने चिंता जताई है, लेकिन चीनी मीडिया खुल कर रूसी पक्ष का प्रचार कर रहा है। चीन की वजह से रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों का उतना असर भी नहीं हुआ है, जितनी संभावना पश्चिम के सियासी हलकों में जताई गई थी।

भ्रम में न रहे अमेरिका

पर्यवेक्षकों के मुताबिक चीन में यूक्रेन से जुड़े घटनाक्रम को बिल्कुल अलग नजरिए से देखा जा रहा है। बाइडन-शी वार्ता के बाद एक चीनी अधिकारी ने सरकार समर्थक अखबार ग्लोबल टाइम्स से कहा कि चीन ने द्विपक्षीय संबंधों का ख्याल करते हुए शिखर वार्ता के लिए बाइडन की पेशकश को स्वीकार किया। उसकी सोच यह थी कि इस बातचीत के दौरान चीन को अमेरिका से शांति वार्ता में शामिल होने और अमेरिका से ‘सही रुख अपनाने’ की अपील करने का मौका मिलेगा।

इस अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा- ‘चीन कभी भी अमेरिकी धमकियों और जोर-जबर्दस्ती को मंजूर नहीं करेगा। अगर अमेरिका ने चीन, चीनी कंपनियों और व्यक्तियों के वाजिब हितों के खिलाफ कदम उठाया, तो उसे कड़ा जवाब दिया जाएगा। अमेरिका को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए और किसी गलत गणना के आधार पर उसे कदम नहीं उठाने चाहिए।’

विस्तार

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शुक्रवार को एक घंटा 52 मिनट तक चली बात से ये बात फिर जाहिर हुई कि यूक्रेन मसले पर ये दोनों देश समान धरातल पर नहीं हैं। बाइडन ने चीन को चेतावनी दी कि अगर उसने रूस को ठोस मदद पहुंचाई, तो उसके ‘परिणाम’ होंगे। लेकिन शी पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने अमेरिका और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत कर समस्या का समाधान निकालने की सलाह दे दी।

द्विपक्षीय मामलों पर भी शी के तेवर सख्त रहे। बाइडन ने कहा- अमेरिका एक नया शीत युद्ध नहीं चाहता। चीन की अंदरूनी व्यवस्था को बदलने की भी उसकी कोई इच्छा नहीं है। बाइडन ने कहा कि अमेरिका ताइवान में ‘अलगाववाद को समर्थन’ नहीं देगा। इस पर शी ने कहा- ‘चीन और अमेरिका के संबंधों में मौजूदा तनाव का कारण अमेरिका में ऐसे लोगों का मौजूद होना है, जिन्होंने दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के बीच बनी सहमतियों के अनुरूप आचरण नहीं किया है।’ साफ तौर पर उन्होंने तनाव का दोष अमेरिका के माथे डाल दिया।

…तो क्या रूस की मदद करेगा चीन?

अमेरिकी विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि बाइडन ने इस बातचीत की पहल एक नाजुक मौके पर की। उनका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि चीन रूस को सैनिक मदद ना दे। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने इस बारे में गुरुवार को सार्वजनिक तौर पर चिंता जताई थी। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक शी जिनपिंग यूक्रेन पर रूसी हमले से विचलित नहीं हुए हैं। इन अधिकारियों के मुताबिक चीन संभवतया रूस को बड़े हथियार नहीं देगा। लेकिन वह सामान्य प्रकार के सैन्य उपकरण मुहैया करा सकता है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक बिल बर्न्स ने पिछले हफ्ते कहा था कि रूस और चीन के बीच बेहद ठोस कारणों से रिश्ता मजबूत बना हुआ है। यूक्रेन पर जारी हमले को लेकर हालांकि चीन ने चिंता जताई है, लेकिन चीनी मीडिया खुल कर रूसी पक्ष का प्रचार कर रहा है। चीन की वजह से रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों का उतना असर भी नहीं हुआ है, जितनी संभावना पश्चिम के सियासी हलकों में जताई गई थी।

भ्रम में न रहे अमेरिका

पर्यवेक्षकों के मुताबिक चीन में यूक्रेन से जुड़े घटनाक्रम को बिल्कुल अलग नजरिए से देखा जा रहा है। बाइडन-शी वार्ता के बाद एक चीनी अधिकारी ने सरकार समर्थक अखबार ग्लोबल टाइम्स से कहा कि चीन ने द्विपक्षीय संबंधों का ख्याल करते हुए शिखर वार्ता के लिए बाइडन की पेशकश को स्वीकार किया। उसकी सोच यह थी कि इस बातचीत के दौरान चीन को अमेरिका से शांति वार्ता में शामिल होने और अमेरिका से ‘सही रुख अपनाने’ की अपील करने का मौका मिलेगा।

इस अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा- ‘चीन कभी भी अमेरिकी धमकियों और जोर-जबर्दस्ती को मंजूर नहीं करेगा। अगर अमेरिका ने चीन, चीनी कंपनियों और व्यक्तियों के वाजिब हितों के खिलाफ कदम उठाया, तो उसे कड़ा जवाब दिया जाएगा। अमेरिका को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए और किसी गलत गणना के आधार पर उसे कदम नहीं उठाने चाहिए।’

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