पीएम मोदी ने की धुआंधार रैलियां
जिस तरीके कोविड के मामले पूरे देश भर में बढ़ रहे थे, उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा था कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा के चुनाव में भीड़-भाड़ से बचने के लिए रैलियों और जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। शायद यही एक बड़ी वजह थी कि भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी-बड़ी योजनाओं के शुभारंभ और शिलान्यास के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर दर्जनों केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रम प्रदेश में कराए। इन कार्यक्रमों के दौरान हजारों की संख्या की भीड़ भी इकट्ठा होती रही और भाजपा के बड़े नेता न सिर्फ उन से मुखातिब होते रहे, बल्कि 2022 के विधानसभा चुनावों का पूरा रोड मैप भी तैयार करते चले गए।
पीएम ने किए कुल 17 दौरे, कई दिग्गज भी आए
प्रतिबंधों का असर भारतीय जनता पार्टी पर फिलहाल बिल्कुल होता हुआ नहीं दिख रहा है, क्योंकि पार्टी ने उत्तर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में न सिर्फ बड़ी-बड़ी रैलियां की हैं, बल्कि बड़े नेताओं की भी एंट्री हर मंडल और क्षेत्र में हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी खुद उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल में अब तक 17 दौरे कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई के दूसरे सप्ताह में बनारस से कार्यक्रमों के उद्घाटन और शिलान्यास के जरिए लोगों से मुखातिब होकर 2022 और 2024 का रोडमैप को रखना शुरू किया था। इस दौरान पीएम मोदी अलीगढ़, बनारस, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, झांसी, सुल्तानपुर, लखनऊ, ग्रेटर नोएडा, शाहजहांपुर, बलरामपुर, कानपुर, मेरठ और प्रयागराज तक विभिन्न प्रोजेक्ट के शुभारंभ और शिलान्यास के दौरान सीधे पहुंच चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी 12 बार उत्तर प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों रैलियों और जनसभाओं और बड़ी भीड़ को संबोधित कर उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल को आगे बढ़ाया है। नड्डा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन से लेकर बस्ती बदायूं गोरखपुर मेरठ एटा अंबेडकरनगर और बनारस के कार्यक्रमों में शिरकत कर चुके हैं।
देश के गृह मंत्री अमित शाह जी उत्तर प्रदेश में 12 बार विभिन्न कार्यक्रमों में जनता से सीधे मुखातिब हो चुके हैं। शाह पूर्वांचल पश्चिम अवध और बुंदेलखंड में अब तक अलग-अलग कार्यक्रमों और आयोजनों में लोगों से सीधे संपर्क साथ चुके हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के हर जिले में अमूमन दो से पांच बार पहुंच चुके हैं। भाजपा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी उत्तर प्रदेश में किसी न किसी कार्यक्रम के मार्फत प्रदेश की जनता से न सिर्फ मुखातिब हुए हैं बल्कि लोगों से संवाद किया है।
सपा भी ज्यादा पीछे नहीं
भाजपा के बाद सपा प्रदेश की ऐसी पार्टी है जो उत्तर प्रदेश की 80 फीसदी से ज्यादा जिलों तक पहुंच बना चुकी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अक्तूबर के बाद सबसे ज्यादा सक्रिय होकर प्रदेश के अलग-अलग जिलों और इलाकों में पहुंचे। सपा मुखिया के निर्देश पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला स्तर शहर स्तर ब्लॉक और ग्रामीण स्तर पर न सिर्फ सक्रियता बढ़ाई बल्कि छोटे-छोटे दलों को भी जोड़ कर समाजवादी पार्टी ने अपना कारवां ज्यादा से ज्यादा इलाकों तक पहुंचाने की कोशिश की।
इस दौरान अखिलेश यादव ने ओमप्रकाश राजभर के साथ पूर्वांचल के बड़े इलाके को कवर किया। इस दौरान अखिलेश यादव और राजभर ने मऊ में एक बड़ी जनसभा की। बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता रहे लाल जी वर्मा के साथ अंबेडकरनगर में अखिलेश यादव ने रैलियां की। समाजवादी पार्टी के प्रदेश राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि उनके नेता और कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में लगातार सक्रिय हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अपने विजय रथ के साथ प्रदेश के ज्यादातर सभी हिस्सों को कवर कर चुके हैं। इसके अलावा वह बुंदेलखंड, अवध, ब्रज और पश्चिम में भी अपने चुनावी रथ के साथ साथ बड़ी रैलियों और जन सम्मेलन में भागीदारी निभा चुके हैं।
कांग्रेस के लिए प्रियंका ने संभाला मोर्चा
प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस शुरुआती दौर से ही आंदोलनों और प्रदर्शनों के माध्यम से अलग-अलग इलाकों में दस्तक देती रही है। लखीमपुर, हाथरस, सोनभद्र, गोरखपुर और कानपुर मैं प्रियंका गांधी के अगुवाई में पार्टी ने आंदोलनों की लकीर खींची और प्रदेश के इन इलाकों के साथ साथ ज्यादातर इलाकों में पहुंचने की कोशिश की। कांग्रेस ने अपने कई कार्यक्रमों और कई अभियानों के माध्यम से प्रदेश के कार्यकर्ताओं को न सिर्फ सक्रिय किया, बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए अहम अभियान भी चलाए। इन अभियानों की कड़ी में जहां प्रतिज्ञा रैलियां और शक्ति संवाद किए गए।
वहीं, प्रियंका गांधी ने कोरोना के मरीजों के लिए दी जाने वाली किट के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़ने का अभियान भी चलाया। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं के नाम पर प्रियंका गांधी सबसे ज्यादा सक्रिय रहीं। प्रियंका गांधी समेत छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य बड़े नेताओं ने बनारस में आयोजित किसान रैली से जनता से सीधे संवाद भी किया। प्रियंका गांधी ने चित्रकूट से शक्ति संवाद शुरू किया। यह शक्ति संवाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश और रायबरेली अमेठी समेत कई अन्य जिलों में भी हुए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुताबिक “लड़की हू लड़ सकती हूं” जैसे बड़े अभियान के माध्यम से उत्तर प्रदेश के पश्चिम, मध्य, अवध मंडल को कवर किया है।
बसपा के लिए मायावती ज्यादा नजर नहीं आईं
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही बसपा सुप्रीमो मायावती फिलहाल उत्तर प्रदेश में दो कार्यक्रमों को छोड़ कर किसी भी बड़ी जनसभा रैली और कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सकी हैं। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक चुनाव आयोग के प्रतिबंध बहुजन समाज पार्टी के लिए निश्चित तौर पर ज्यादा मेहनत करने की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि, बसपा के रणनीतिकारों के मुताबिक पार्टी में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं सतीशचंद्र मिश्रा ने प्रदेश के ज्यादातर इलाकों को अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से कवर कर लिया है।
बहुजन समाज पार्टी ने इस बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग का दामन थामते हुए ब्राह्मण सम्मेलन करने की योजना बनाई है। जो अगस्त से ही शुरू किए जा चुके हैं। इन कार्यक्रमों में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के अलावा उनकी पत्नी कल्पना मिश्रा और उनके बेटे कपिल मिश्रा समेत पार्टी के दूसरे बड़े नेता शिरकत कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, सतीश चंद्र मिश्र और बसपा के नेताओं ने अब तक 97 बड़ी जनसभाएं की है, जबकि उनके बेटे कपिल ने अवध क्षेत्र में एक बड़ी जनसभा की। कल्पना मिश्रा ने पूर्वांचल में 9 जनसभाएं की। इन सबसे हटकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने 9 अक्तूबर को काशीराम की पुण्यतिथि पर एक बड़ी जनसभा का आयोजन किया था। जिसमें उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से सीधे मुखातिब होकर संवाद किया था। इसके अलावा मायावती ने पार्टी कार्यालय पर एक बड़ा ब्राम्हण सम्मेलन भी किया है।
आप की यह स्थिति
दिल्ली की सबसे बड़ी और पंजाब में दूसरे नंबर की पार्टी आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी है। हालांकि, यह बात अलग है कि आम आदमी पार्टी पूरे प्रदेश में बड़ी रैलियां और कार्यक्रम नहीं कर सकी, लेकिन प्रदेश प्रभारी संजय सिंह की अगुवाई में बीते कुछ समय से ज्यादातर जिलों में कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया गया है। पार्टी ने अब तक गाजियाबाद, नोएडा, आगरा, बिजनौर, अयोध्या, बस्ती, गोंडा और लखनऊ में तिरंगा यात्रा निकाली है। आम आदमी पार्टी की ओर से अब तक की सबसे बड़ी रैली लखनऊ में हुई है, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के बड़े नेता खुद मौजूद थे।
अन्य दलों ने ऐसे किया प्रचार
उत्तर प्रदेश में छोटी-छोटी पार्टियों के तौर पर निषाद पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और सुभाषपा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू की है लेकिन इन पार्टियों ने पूरे प्रदेश की बजाय अपने अपने क्षेत्र में ही सक्रिय होकर संपर्क करने में ज्यादा रुचि दिखाई। पूर्वांचल में हस्तक्षेप रखने वाली सुभाषपा ने अखिलेश यादव के साथ मिलकर मऊ में बड़ी रैली की थी, जिसमें पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर और अखिलेश यादव ने पूर्वांचल से लखनऊ तक एक बड़ी रैली निकाली। सुभाषपा के मुताबिक ओमप्रकाश राजभर अब तक 163 से ज्यादा जनसभाएं और रैलियां कर चुके हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल की लगातार रैलियां हो रही है। अपने प्रभाव क्षेत्र के सभी जिलों में राष्ट्रीय लोक दल ने कई अहम रैलियां, नुक्कड़ सभाएं और जनसंवाद कार्यक्रम किए हैं। इसके अलावा निषाद पार्टी ने भी लखनऊ में बड़ी रैली का आयोजन किया था। इस रैली में गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के संजय निषाद एक साथ मंच पर मौजूद रहे थे।