स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Wed, 09 Feb 2022 09:10 AM IST
सार
साल की सर्वश्रेष्ठ भारतीय महिला खिलाड़ी पुरस्कार के लिए ऑनलाइन वोटिंग 28 फरवरी तक खुली है। विजेता की घोषणा 28 मार्च को की जाएगी। समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार एक दिग्गज महिला खिलाड़ी को मिलेगा जबकि उभरती हुई महिला खिलाड़ी को उदीयमान खिलाड़ी का पुरस्कार मिलेगा।
पीवी सिंधु, लवलीना बोरगेहेन और मीराबाई चानू
– फोटो : amar ujala graphics
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विस्तार
दो बार की ओलंपिक पदक विजेता बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू और टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता भारोत्तोलक मीराबाई चानू बीबीसी वर्ष की सर्वश्रेष्ठ भारतीय महिला खिलाड़ी के पुरस्कार की दौड़ में हैं। इन दोनों के अलावा गोल्फर अदिति अशोक, टोक्यो पैराओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली निशानेबाज अवनि लेखरा और टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन भी दौड़ में हैं। मंगलवार को इन खिलाड़ियों के नाम की घोषणा की गई।
पुरस्कार के लिए ऑनलाइन वोटिंग 28 फरवरी तक खुली है। विजेता की घोषणा 28 मार्च को की जाएगी। समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार एक दिग्गज महिला खिलाड़ी को मिलेगा जबकि उभरती हुई महिला खिलाड़ी को उदीयमान खिलाड़ी का पुरस्कार मिलेगा।
आसानी से नहीं मिलती सफलता
सिंधू ने कहा, सफलता आसानी से नहीं मिलती है। यह कुछ महीनों की नहीं बल्कि सालों की मेहनत का नतीजा है। हर दिन एक प्रक्रिया से गुजरकर आप एक मुकाम तक पहुंचते हैं। टोक्यो ओलंपिक में सिंधू ने कांस्य पदक जीता था जबकि इससे पहले रियो ओलंपिक में रजत विजेता रही थी।
गोल्फ भारत में प्रसिद्ध, खुशी होती है
अदिति ने कहा, पिछला साल बहुत ही अच्छा रहा था। मुझे खुशी है कि भारत में गोल्फ खेल प्रसिद्ध है। मैंने कुछ अच्छे प्रदर्शन किए। इसलिए पुरस्कार के लिए मेरा नाम चयन हुआ। सम्मान देने के लिए धन्यवाद।
लिफ्ट मांगकर पहुंचती थी ट्रेनिंग सेंटर
मीराबाई ने कहा कि पुरस्कार के नाम शामिल होना गर्व की बात है। इस सफलता की राह आसान नहीं थी। रियो ओलंपिक में सही तरीके से लिफ्ट नहीं कर पाने से अवसाद में चली गई थीं। तैयारी के लिए सुबह एक ट्रक वाले से लिफ्ट मांगकर ट्रेनिंग सेंटर पर पहुंचती थीं। टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद सपना पूरा हुआ।
गरीबी से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी
लवलीना ने भी खुशी जताते हुए कहा कि मुक्केबाज बनने के लिए गरीबी और सामाजिक कलंक से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। हिम्मत के बदौलत आगे बढ़ सकी। अच्छा लग रहा है कि पुरस्कार के लिए नाम दर्ज हुआ।
पापा ने हिम्मत दिलाई
अवनि ने बताया कि दुर्घटना के कारण व्हीलचेयर पर बैठने की स्थिति बन गई तब पापा ने हिम्मत दिया और शूटिंग के बारे में परिचित कराया। बाद में पूर्व निशानेबाज अभिनव बिंद्रा और शिमा से प्रेरणा मिली।