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Olaf Scholz: हैमबर्ग के पहले मेयर से लेकर चांसलर बनने तक का सफर, जानिए कौन हैं ओलाफ स्कोल्ज?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बर्लिन
Published by: मुकेश कुमार झा
Updated Wed, 08 Dec 2021 05:36 PM IST

सार

Olaf Scholz appointed as Germany new chancellor: जर्मनी की संसद ने ओलाफ स्कोल्ज को देश का नया चांसलर नियुक्त किया है।

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जर्मनी में एंजेला मर्केल के 16 साल के कार्यकाल के बाद एक नए युग की शुरुआत हो गई है। यहां की संसद ने बुधवार को ओलाफ स्कोल्ज को देश का नया चांसलर निर्वाचित किया है। स्कोल्ज को 736 में से 395 सांसदों का समर्थन मिला। जर्मनी के राष्ट्रपति चांसलर के तौर पर स्कोल्ज के नाम की औपचारिक घोषणा करेंगे और संसद के अध्यक्ष आज ही उन्हें शपथ दिलाएंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ओलाफ देश के नौवें चांसलर हैं। नए चांसलर के रूप में ओलाफ के पास जर्मनी के आधुनिकीकरण, जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी से निपटने की चुनौती होगी। ऐसे में आइए एक नजर डालते हैं उनके हैमबर्ग के पहले मेयर से लेकर जर्मनी के चांसलर बनने तक के सफर के बारे में…

उत्तर-पश्चिमी जर्मनी से आने वाले स्कोल्ज छोटे उम्र में ही राजनीति में शामिल हो गए थे और समाजवादी आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। उन्होंने कानून की पढ़ाई की है। एसपीडी के भीतर उन्हें एक रूढ़िवादी नेता माना जाता है। 62 वर्षीय ओलाफ इससे पहले तक एंजेला के डिप्टी थे। जर्मनी की राजनिति में वो कई उच्च पदों पर आसीन रहे हैं। वह 2018 से 2021 तक जर्मनी के वित्त मंत्री रहे हैं। ओलाफ 1998 से 2011 तक सांसद रहे हैं। 1970 के दशक में वो एसपीडी के सदस्य बने और 1998 से 2011 तक बुंडेस्टाग के सदस्य रहे। 

ओलाफ 2011-18 के बीच हैमबर्ग शहर के पहले मेयर भी रहे हैं और इस दौरान उन्होंने शहर की वित्तीय सेहत सुधारने में बड़ी कामयाबी हासिल की। इसके बाद वो बुंडेस्टाग (जर्मन संसद) के सदस्य बन गए। उन्होंने 2001 में हैम्बर्ग सरकार में काम किया। उस समय ऑर्टविन रुंडे हैम्बर्ग के मेयर थे। एसपीडी के महासचिव के चुनाव से पहले ओलाफ ने 2002 में एसपीडी नेता और चांसलर गेरहार्ड श्रोडर के साथ काम किया। 2004 में महासचिव का पद छोड़ने के बाद वह बुंडेस्टाग में अपनी पार्टी के मुख्य सचेतक बने। इसके बाद 2007 में वो एंजेला मर्केल सरकार में श्रम और सामाजिक मामलों के मंत्री बने।

विस्तार

जर्मनी में एंजेला मर्केल के 16 साल के कार्यकाल के बाद एक नए युग की शुरुआत हो गई है। यहां की संसद ने बुधवार को ओलाफ स्कोल्ज को देश का नया चांसलर निर्वाचित किया है। स्कोल्ज को 736 में से 395 सांसदों का समर्थन मिला। जर्मनी के राष्ट्रपति चांसलर के तौर पर स्कोल्ज के नाम की औपचारिक घोषणा करेंगे और संसद के अध्यक्ष आज ही उन्हें शपथ दिलाएंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ओलाफ देश के नौवें चांसलर हैं। नए चांसलर के रूप में ओलाफ के पास जर्मनी के आधुनिकीकरण, जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी से निपटने की चुनौती होगी। ऐसे में आइए एक नजर डालते हैं उनके हैमबर्ग के पहले मेयर से लेकर जर्मनी के चांसलर बनने तक के सफर के बारे में…

उत्तर-पश्चिमी जर्मनी से आने वाले स्कोल्ज छोटे उम्र में ही राजनीति में शामिल हो गए थे और समाजवादी आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। उन्होंने कानून की पढ़ाई की है। एसपीडी के भीतर उन्हें एक रूढ़िवादी नेता माना जाता है। 62 वर्षीय ओलाफ इससे पहले तक एंजेला के डिप्टी थे। जर्मनी की राजनिति में वो कई उच्च पदों पर आसीन रहे हैं। वह 2018 से 2021 तक जर्मनी के वित्त मंत्री रहे हैं। ओलाफ 1998 से 2011 तक सांसद रहे हैं। 1970 के दशक में वो एसपीडी के सदस्य बने और 1998 से 2011 तक बुंडेस्टाग के सदस्य रहे। 

ओलाफ 2011-18 के बीच हैमबर्ग शहर के पहले मेयर भी रहे हैं और इस दौरान उन्होंने शहर की वित्तीय सेहत सुधारने में बड़ी कामयाबी हासिल की। इसके बाद वो बुंडेस्टाग (जर्मन संसद) के सदस्य बन गए। उन्होंने 2001 में हैम्बर्ग सरकार में काम किया। उस समय ऑर्टविन रुंडे हैम्बर्ग के मेयर थे। एसपीडी के महासचिव के चुनाव से पहले ओलाफ ने 2002 में एसपीडी नेता और चांसलर गेरहार्ड श्रोडर के साथ काम किया। 2004 में महासचिव का पद छोड़ने के बाद वह बुंडेस्टाग में अपनी पार्टी के मुख्य सचेतक बने। इसके बाद 2007 में वो एंजेला मर्केल सरकार में श्रम और सामाजिक मामलों के मंत्री बने।

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