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Mega Constellation Plan Of China: चीन करीब 13 हजार उपग्रह छोड़ने की तैयारी में, इसका मतलब क्या? चीन के इस कदम से भारत समेत दूसरे देशों को जासूसी का डर क्यों?

सार

अंतरिक्ष में छोड़े जाने वाले कुल 12,992 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में 498.897 किलोमीटर से लेकर 1144.24 किलोमीटर ऊंचाई पर परिक्रमा करेंगे। कहा जा रहा है कि चीन के इस प्लान का उद्देश्य 5जी सेवा को गति देना है।
 

चीन ने लॉन्च किया उपग्रह (फाइल फोटो)
– फोटो : Twitter

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चीन अंतरिक्ष में करीब 13 हजार छोटे उपग्रह छोड़ने की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्री फॉर नेशनल डिफेंस ने कहा है कि इसके तहत छोटे उपग्रहों का विकास किया जाएगा। यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि उपग्रहों का उपयोग किस लिए किया जाएगा, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका मकसद एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स स्टारलिंक से प्रतिस्पर्धा करने की है। स्पेसएक्स स्टारलिंक की तरह चीन के उपग्रह भी पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करेंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा पहुंचाई जा सके।

इसे 5G मोबाइल इंटरनेट रोलआउट का हिस्सा कहा जा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ इससे पूरी दुनिया में जासूसी बढ़ने का अंदेशा भी होने लगा रहा है। दरअसल अंतरिक्ष की ओर बढ़ाया गया चीन का हर कदम भारत समेत दुनिया के अन्य देशों के सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच चिंता पैदा कर देता है।
क्या है मेगा कॉन्स्टेलेशन? 
मेगा कॉन्स्टेलेशन ऐसे तंत्र को कहा जाता है जब हजारों उपग्रह धरती के अलग-अलग हिस्सों को कवर करने के लिए एक साथ काम करते हैं। ये इंटरनेट सेवाओं को बेहतर करने के लिए सैटेलाइट जमीन से कुछ सौ मील ऊपर संचालित होते हैं। उपग्रह इंटरनेट के लिए यह चीनी सरकार की शीर्ष-स्तर की परियोजना मानी जाती है, क्योंकि इसके जरिए चीन पूरी दुनिया में संचार सेवाएं प्रदान करना चाहता है जिससे वह पश्चिमी देशों के ऑपरेटरों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके। 

चीन की इस मेगा कॉन्स्टेलेशन परियोजना का पहला विवरण 2020 के अंत में जारी किया गया था, जब सरकार ने निचली सतह के पृथ्वी कक्षा उपग्रह नक्षत्रों के स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ को आवेदन किया था। इन्हें ‘GW’ नाम दिया गया था और इसके तहत कुल 12,992 उपग्रह थे। ये उपग्रह 310 मील से 711 मील तक की परिक्रमा करेंगे। यह  योजना 2026 तक चलेगी।

इस परियोजना से जुड़ी फर्मों ने चीन के शहर चोंगकिंग में विकास करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट भी कर लिया है। साइंस एंड टेक्नोलॉजी डेली के अनुसार, जिस कंपनी को चोंगकिंग में एक उपग्रह केंद्र बनाने का ठेका दिया गया था, उसने कहा कि इस शहर में श्रम और आर्थिक सहित विभिन्न रणनीतिक लाभ प्रदान की जा रही है।
जासूसी का अंदेशा क्यों है? 
कोरोना महामारी के बाद चीन और पश्चिम देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। दूसरी तरफ चीन ताइवान पर लगातार अपने दावे करके लोकतंत्र प्रिय देशों को भी नाराज कर रहा है। चीन के विरोधी दुनिया के कई देशों को लगता है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान को मुख्य भूमि चीन के साथ मिलाने की कोशिश कर सकते हैं। लिहाजा चीन की मेगा कॉन्स्टेलेशन प्लान को लेकर दुनिया चिंतित है। माना जा रहा है कि चीन अपने इस चाल से दूसरे देशों पर नजर रख सकता है।

इतनी बड़ी संख्या में उपग्रहों के भेजने से यह आशंका बढ़ रही है कि चीन इसका इस्तेमाल अमेरिका और उसके सहयोगी देशों और ताइवान का समर्थन करने वाले देशों की जासूसी करने के लिए कर सकता है। चीन के निशाने पर भारत भी हो सकता है। कहा जा रहा है कि इतनी ऊंचाई पर चीन की गतिविधियों को ट्रैक कर पाना दुनिया के लिए मुश्किल हो सकता है।

चीन की पहले की योजनाएं भी शक के दायरे में
चीन पहले ही दो अर्थ ऑब्जर्वेशन सैलेटाइट भी लॉन्च कर चुका है। चीन की यह योजना पहले से शक के घेरे में है। वैसे बीजिंग दुनिया से यह कहता रहा है कि ये उपग्रह समुद्री तूफान, पर्यावरण और जल संरक्षण पर नजर रखते हैं, लेकिन दुनिया के कई देशों को लगता है कि कहीं चीन इसके जरिए भी जासूसी तो नहीं कर रहा? चीन के अंतरिक्ष अभियानों पर नजर रखने वाली विदेशी एजेंसियों का कहना है कि चीन इन उपग्रहों के जरिए क्या हासिल करना चाहता है इसका खुलासा नहीं हो पाया है।  
अंतरिक्ष में इंटरनेट के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ने वाली है? 
दुनिया भर के विशेषज्ञ यही अंदाजा लगा रहे हैं कि अंतरिक्ष में चीन के तेज कदम बढ़ाने से यह प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। दुनिया के उपग्रह व्यवसाय में अभी स्पेसएक्स स्टारलिंक सबसे विकसित है, जिसके लगभग 2,000 उपग्रह पहले से ही चालू हैं। एलन मस्क की योजना कुल 42 हजार उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ने की है। हाल ही में फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से स्पेसएक्स ने 49 स्टारलिंक उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े हैं। इन उपग्रहों की मदद से एलन मस्क पूरी दुनिया में इंटरनेट सेवा शुरू करने जा रहे हैं।

कहा जा रहा है कि चीन अब दुनिया के सबसे अमीर इंसान एलन मस्क को अंतरिक्ष में सीधी टक्कर देने की तैयारी शुरू कर चुका है। वहीं अमेजन भी हजारों समान उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना बना रहा है तो यूरोपीय संघ भी इसका विकल्प तलाश रहा है। कहा जा रहा है कि अब फ्रिक्वेंसी पर कब्जे को लेकर होड़ मचेगी।
अंतरिक्ष में तेजी से बढ़ रहा चीन
2016 के बाद से, चीन के अंतरिक्ष उद्योग ने तेजी से प्रगति की है और अंतरिक्ष के बुनियादी ढांचे में काफी सुधार किया है। बीजिंग ने BeiDou नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम और अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के पहले चरण को पूरा किया है, उपग्रह संचार और प्रसारण की सेवा क्षमता में निरंतर सुधार करके कई सफलताएं हासिल की है। चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम  2021 के श्वेत पत्र में कहा गया है कि अगले पांच वर्षों में चीन अंतरिक्ष शक्ति के निर्माण की दिशा में एक नई यात्रा शुरू करेगा, जिसके तहत वेंटियन और मेंगटियन प्रायोगिक मॉड्यूल, शेनझोउ मानवयुक्त अंतरिक्ष यान और तियानझोउ कार्गो अंतरिक्ष यान लॉन्च करने की योजना है।  
 

विस्तार

चीन अंतरिक्ष में करीब 13 हजार छोटे उपग्रह छोड़ने की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्री फॉर नेशनल डिफेंस ने कहा है कि इसके तहत छोटे उपग्रहों का विकास किया जाएगा। यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि उपग्रहों का उपयोग किस लिए किया जाएगा, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका मकसद एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स स्टारलिंक से प्रतिस्पर्धा करने की है। स्पेसएक्स स्टारलिंक की तरह चीन के उपग्रह भी पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करेंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा पहुंचाई जा सके।

इसे 5G मोबाइल इंटरनेट रोलआउट का हिस्सा कहा जा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ इससे पूरी दुनिया में जासूसी बढ़ने का अंदेशा भी होने लगा रहा है। दरअसल अंतरिक्ष की ओर बढ़ाया गया चीन का हर कदम भारत समेत दुनिया के अन्य देशों के सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच चिंता पैदा कर देता है।

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