हिंदी सिनेमा की लोकप्रिय गीतकार माया गोविंद की हालत इन दिनों काफी नाजुक है। फिल्म ‘दलाल’ के गाने ‘गुटुर गुटुर’ को लेकर अरसे तक कवि सम्मेलनों और मुशायरों में शुद्धतावादियों के निशाने पर रहीं माया गोविंद की उम्र इस समय 82 साल है और उनके बेटे अजय उनकी दिन रात सेवा कर रहे हैं। हफ्ते भर तक अस्पताल में चले इलाज के बाद माया गोविंद को उनके बेटे घर ले आए हैं। अजय के मुताबिक, माया गोविंद के तमाम अंगों ने काम करना बंद कर दिया है। लखनऊ में जन्म लेने वाली माया गोविंद को कथक में महारत हासिल रही है। बतौर अभिनेत्री भी उन्होंने परदे पर और रंगमंच पर अपना नाम बनाया और तमाम पुरस्कार भी जीते। प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी का डांस बैले ‘मीरा’ उन्हीं का लिखा हुआ है।
लखनऊ में 17 जनवरी 1940 को जन्मी माया गोविंद ने स्नातक की शिक्षा के बाद बीएड किया। घर वाले चाहते थे कि वह शिक्षक बनें लेकिन उनकी रुचि अभिनय व रंगमंच में अधिक रही। शंभू महाराज की शिष्य रहीं माया ने कथक का खूब अभ्यास किया। साथ ही लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यापीठ से गायन का चार साल का कोर्स भी किया। ऑल इंडिया रेडियो की वह ए श्रेणी की कलाकार रही हैं। साल 1970 में संगीत नाटक अकादमी लखनऊ ने उन्हें विजय तेंदुलकर के नाटक के हिंदी रूपातरण ‘खामोश! अदालत जारी है’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनय का पुरस्कार दिया। बाद में वह दिल्ली में हुए ऑल इंडिया ड्रामा कंपटीशन में भी प्रथम आईं। फिल्म ‘तोहफा मोहब्बत का’ में भी उन्होंने अभिनय किया है।
सात साल की उम्र से कविता लिखती रहीं माया गोविंद कवि सम्मेलनों और मुशायरों का बड़ा नाम रही हैं। देश विदेश में होने वाले कवि सम्मेलनों में उनको सुनने लोग दूर दूर से आते थे। श्रृंगार और विरह के भावों को अपनी कविताओं में स्थान देने वाली माया गोविंद को बृज भाषा में रचित अपने छंदों के लिए भी खूब लोकप्रियता मिली। बतौर गीतकार अपना करियर 1972 में शुरू करने वाली माया गोविंद ने करीब 350 फिल्मों में गाने लिखे हैं। 1979 में रिलीज हुई फिल्म ‘सावन को आने दो’ में येशुदास और सुलक्षणा पंडित के गाए गाने ‘कजरे की बाती’ ने उन्हें खूब शोहरत दिलाई। निर्माता निर्देशक आत्मा राम ने उन्हें बतौर गीतकार पहला ब्रेक दिया अपनी फिल्म ‘आरोप’ में। इस फिल्म के ‘नैनों में दर्पण है’ और ‘जब से तुमने बंसी बजाई रे’ जैसे गीतों ने माया गोविंद को रातों रात मशहूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने ‘बावरी’, ‘दलाल’, ‘गज गामिनी’, ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’ और ‘हफ्ता वसूली’ जैसी तमाम बडी फिल्मों के गीत लिखे।
टेलीविजन के दौर में उनका करियर फिर से चमका। दूरदर्शन पर प्रसारित हुए धारावाहिक ‘महाभारत’ के लिए उन्होंने काफी गीत, दोहे और छंद लिखे। इसके अलावा ‘विष्णु पुराण’, ‘किस्मत’, ‘द्रौपदी’, ‘आप बीती’ आदि उनके चर्चित धारावाहिक रहे। सैटेलाइट चैनलों के दौर में भी माया गोविंद के लिखे शीर्षक गीतों की खूब धूम रही। सुपरहिट धारावाहिकों ‘मायका’ और ‘फुलवा’ के गीत उन्होंने ही लिखे। माया गोविंद ने अपने दौर के दिग्गज गायकों के साथ खूब संगत जमाई। अनुराधा पौडवाल की गाई ‘परम अर्थ गीता सार’ की रचना उन्होंने ही की है। अनूप जलोटा ने उनके भजन अपने अलबमों ‘भजन यात्रा’ और ‘कृष्णा’ में गाए हैं। इंडी पॉप के दौर में भी माया गोविंद पीछे नहीं रहीं। फाल्गुनी पाठक का सुपरहिट गीत ‘मैंने पायल है छनकाई’ उन्हीं का लिखा हुआ है।
माया गोविंद की तबीयत काफी खराब होने की खबर मिलते ही मुंबई फिल्म जगत के लेखकों व पत्रकारों में काफी चिंता देखी जा रही है। जानकारी के मुताबिक बीते हफ्ते भर तक चले इलाज में अब तक काफी मोटी रकम खर्च हो चुकी है। उनके परिजन यथासंभव उनको चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं। घर पर भी उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी रखा गया है।
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