ज्योतिष डेस्क, अमरउजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Tue, 11 Jan 2022 11:53 AM IST
सार
Makar Sankranti 2022: भगवान सूर्यदेव का धनु राशि से अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में प्रवेश होगा। यानि सूर्यदेव के उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म, व्रज, बुध और आदित्य का समागम हो रहा है।
मकर संक्रांति 2022
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विस्तार
Makar Sankranti 2022: 14 जनवरी को सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मकर संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। इसी दिन सूर्य देव मकर राशि में गोचर करेंगे। साथ ही अभी शनि देव भी मकर राशि में ही विराजमान हैं। इस बार मकर संक्रांति इसलिए भी विसेश हैं क्योंकि इस दिन कुछ खास योग भी बनने जा रहे हैं। यह योग काफी शुभ माने जा रहे हैं। इस योग के कारण संक्रांति 15 जनवरी को भी मनाई जा सकेगी। भगवान सूर्यदेव का धनु राशि से अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में प्रवेश होगा। यानि सूर्यदेव के उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म, व्रज, बुध और आदित्य का समागम हो रहा है। खास यह भी कि मकर संक्रांति का वाहन शेर है, जो शुभफलदायक माना जा रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग तथा अश्विनी नक्षत्र का स्वामी भी मंगल है। सूर्य धनु राशि से मकर राशि में 14 जनवरी 2022 की रात्रि 8 बजकर 34 मिनट पर प्रवेश करेंगे।
स्नान-दान का महत्व
मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मकर संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है। मकर संक्रान्ति के दिन खाई जाने वाली वस्तुओं में जी भरकर तिलों का प्रयोग किया जाता है। मकर संक्रांति के दिन कुछ कार्यों का विशेष महत्व है जिसमें दान के साथ-साथ पूजा-पाठ सहित तमाम चीजें शामिल हैं। मान्यता के अनुसार इस त्योहार के दिन दान देने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के पुण्यकाल में काला तिल, तिल निर्मित मिष्ठान्न, गुड़, काला कंबल, गौ एवं वस्त्रादि दान से सुख- समृद्धि के साथ आरोग्यता की प्राप्ति होती है। यदि पवित्र नदी या तीर्थ स्थल में स्नान संभव न हो तो किसी भी नदी में स्नान अथवा पवित्र नदियों का ध्यान करके घर में भी जल में तिल डालकर स्नान करना पुण्यप्रद रहेगा।