वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मेलबर्न
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Fri, 11 Feb 2022 04:40 PM IST
सार
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए बने क्वाड संगठन की अहम बैठक में हिस्सा लेने के लिए जयशंकर 10 से 13 फरवरी तक विदेश मंत्री के रूप में ऑस्ट्रेलिया की पहली यात्रा पर गए हुए हैं।
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विस्तार
जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री पीटर डट्टन के साथ बैठक में पिछले साल हुई टू प्लस टू वार्ता को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि रक्षा और सुरक्षा भारत-ऑस्ट्रेलिया भागीदारी के दो मुख्य स्तंभ हैं। इसके साथ ही जयशंकर ने आप्रवासन, नागरिकता, प्रवासी सेवा और बहुसांस्कृतिक मामलों के मंत्री एलेक्स हॉक से भी मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने प्रतिभा, गतिशीलता और वैश्वीकरण के साथ दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाने पर चर्चा की।
अमेरिका और जापान के विदेश मंत्रियों के साथ भी की बैठक
इसके साथ ही जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकेन से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों में विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति सकारात्मक रही है। उधर, जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने जयशंकर के साथ बैठक में विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों और पारस्परिक हितों के वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। तीनों नेता यहां होने वाली क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की अहम बैठक में शामिल होने आए हैं।
‘क्वाड’ देशों में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। इसका गठन हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरतें पूरी करने के लिए किया गया है। चारों देश मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे, समुद्री सुरक्षा, आतंक के विरोध, और क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं। इन देशों के विदेश मंत्रियों की यह तीसरी आमने-सामने मुलाकात होगी। पहली बैठक सितंबर 2019 और दूसरी अक्तूबर 2020 में हुई थी।
चारों नेताओं ने उत्तर कोरिया की मिसाइल लॉन्चिंग की निंदा की
क्वाड विदेश मंत्रियों के बाद चारों नेताओं की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किया गया। इसमें चारों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव (यूएनएससीआर) के उल्लंघन में उत्तर कोरिया की ओर से अस्थिर करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल की लॉन्चिंग की निंदा की है। चारों विदेश मंत्रियों की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि हम यूएनएससीआर के अनुरूप उत्तर कोरिया के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।