भारत दौरे के दौरान ब्राह्मण विरोधी पोस्टर
भारत को लेकर उनका सबसे बड़ा विवाद नवंबर 2018 में हुआ था। जैक डोर्सी एक ‘ब्राह्मण विरोधी’ पोस्टर हाथ में लेकर खड़े थे, जिसके बाद माइक्रो ब्लॉगिंग साइट भारत में निशाने पर आ गई थी। ट्विटर पर वायरल हुई तस्वीर पर लिखा था ‘पितृसत्तात्मक ब्राह्मणवाद का नाश हो’ और इसे ट्विटर के सीईओ हाथ में लेकर खड़े थे। एक महिला पत्रकार ने यह फोटो ट्वीट की थी, जो इस ग्रुप का हिस्सा बनी थीं। इस दौरान डोर्सी भारत में थे और उन्होंने पीएम मोदी, शाहरुख खान समेत महिला पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स के मुलाकात की थी।
इस तस्वीर में जानी मानी पत्रकार बरखा दत्ता और अन्य महिला पत्रकार व एक्टिविस्ट्स डोर्सी के साथ दिखाई दे रही थीं, जिनके हाथ में यह ब्राह्मण विरोधी पोस्टर दिखाया गया था। ट्विटर पर कई बड़ी हस्तियों ने ट्वीट कर सीईओ डोर्सी की आलोचना की थी। इसे लेकर उनके खिलाफ भारत में एफआईआर भी दर्ज हुई थी।
म्यांमार को बयान को लेकर बयान से विवाद
दिसंबर 2018 में जैक डोर्सी अपनी म्यांमार यात्रा पर एक ट्वीट कर विवादों में फंस गए थे। जैक ने अपनी 10 दिनों की म्यांमार यात्रा को शानदार बताते हुए लोगों को म्यांमार घूमने की सलाह दीथी। इसके बाद कई यूजर्स ने ट्विटर सीईओ पर म्यांमार में अल्पसंख्यक मुस्लिम रोहिंग्याओं की दयनीय स्थिति और वहां सैन्य दमन को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की थी। डोर्सी ने कहा था कि ऑफिस से दूर म्यांमार में एक गुफा में ध्यान लगाना उनके लिए बेहद शानदार रहा। लोगों को यहां आना चाहिए।
भारत का गलत नक्शा दिखाया
जून 2021 में ट्विटर भारत के नक्शे को गलत तरीके से पेश करने पर विवाद में आया। केंद्र सरकार ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर को वॉर्निंग जारी की थी। ट्विटर ने लेह को चीन का हिस्सा बताया था। इसके बाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने ट्विटर को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि इस तरह का नक्शा दिखाना गैर कानूनी है। भारत की अखंडता और संप्रभुता का अपमान करने की ऐसी कोई कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
विवाद तब शुरू हुआ, जब ट्विटर पर प्रकाशित नक्शे में लेह की जिओ-लोकेशन चीन में बताई गई। इसके बाद भारत सरकार की ओर से ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी को भेजे गए पत्र में कहा गया कि लेह, लद्दाख क्षेत्र का हेडक्वार्टर है। पत्र में ट्विटर की निष्पक्षता और तथ्यों को लेकर सही रहने पर भी सवाल उठाए गए थे।
बंगलुरू में एफआईआर दर्ज हुई थी
दिसंबर 2020 में कर्नाटक के बेंगलुरु में जैक डोर्सी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस शिकायत में उन पर हिंदू भावनाओं ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। कनाडा के वैंकूवर के रहने वाले शख्स ने ट्विटर पर हिंदू देवी-देवताओं को लेकर आपत्तिजनक ट्वीट डाला था। इसको लेकर पहले कोर्ट में अपील की गई थी, जिसके बाद अदालत ने ही पुलिस से एफआईआर दर्ज करने को कहा था। शिकायतकर्ता ने कहा था कि ट्विटर पर देवी काली को लेकर आपत्तिजनक ट्वीट किया गया था, जिससे हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंची है। ये ट्वीट सितंबर, 2020 में किया गया था जो करीब 40 दिनों तक रहा। एफआईआर सिर्फ जैक डोर्सी ही नहीं बल्कि ट्विटर इंडिया के तीन अन्य डायरेक्टर्स के खिलाफ भी दर्ज की गई थी।
उपराष्ट्रपति-आरएसएस नेताओं का ब्लू टिक हटाया
5 जून 2021 को पूरे दिन भारत में भारत सरकार बनाम ट्विटर की लड़ाई चली था। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू समेत कई आरएसएस नेताओं के निजी हैंडल को अनवेरिफाइड करके ब्लू टिक को हटा दिया था। विरोध और बवाल के बाद ट्विटर ने वेंकैंया नायडू और मोहन भागवत सहित कई अन्य नेताओं के ट्विटर अकाउंट पर ब्लू टिक वापस कर दिया था। केंद्र सरकार और ट्विटर की लड़ाई पिछले साल से ही चल रही है।
किसान आंदोलन के दौरान की मनमानी
ट्विटर और सरकार के बीच ‘जंग’ इस साल की शुरुआत यानी जनवरी में शुरू हुई थी। किसान आंदोलन की आड़ में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में निकाले गए ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में हिंसा हुई थी। उस दौरान ट्विटर पर कई फेक न्यूज और भड़काऊ पोस्ट की गई थीं। इसके बाद सरकार ने ट्विटर से ऐसे अकाउंट्स के खिलाफ एक्शन लेने को कहा जो देश में माहौल खराब करना चाहते हैं और फेक न्यूज फैला रहे हैं। आखिर ट्विटर को 257 अकाउंट्स सस्पेंड करने पड़े लेकिन कुछ देर बाद ही उन हैंडल्स को बहाल कर दिया। इससे बात बिगड़ गई।
इसके बाद 4 फरवरी को सरकार ने ट्विटर को 1157 और अकाउंट्स की सूची सौंपी जो देश के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे थे। सरकार ने तथ्य रखे इनमें से अधिकतर अकाउंट्स पाकिस्तान से जुड़े लोगों के थे या खालिस्तान समर्थकों के थे। इस बार ट्विटर ने सरकार की दी हुई लिस्ट में शामिल सभी ट्विटर हैंडल्स पर कार्रवाई नहीं की बल्कि महज कुछ हैंडल्स को ही ब्लॉक किया। उसके इस कदम ने सरकार को नाराज कर दिया।