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Indian Ocean Conference: चीन के उदय के बीच समूचे एशिया में बढ़ा क्षेत्रीय मुद्दों पर तनाव, जयशंकर ने चेताया

पीटीआई, अबूधाबी
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sun, 05 Dec 2021 07:29 PM IST

सार

विदेश मंत्री ने यह बात भारत व चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई में हुए तनाव का परोक्ष जिक्र करते हुए कही।   
 

विदेश मंत्री एस जयशंकर
– फोटो : पीटीआई

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अबूधाबी में आयोजित पांचवें ‘हिंद महासागर सम्मेलन’ में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि चीन के उदय और उसकी बढ़ती क्षमताओं के कारण समूचे एशिया में द्विपक्षीय मुद्दों पर तनाव बढ़ा है। बीजिंग की हरकतों से पिछले वर्षों में हुए समझौतों पर सवालिया निशान लग रहे हैं। 

भारतीय विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्वीकृत दुनिया में यह महत्वपूर्ण है कि समुद्री परिवहन, हवाई क्षेत्रों के इस्तेमाल ‘ओवरफ्लाइट’ और निर्बाध व्यापार की स्वतंत्रता का सम्मान हो और इसे सुविधाजनक बनाया जाए। 

जयशंकर ने कहा कि हाल के वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र की भलाई पर सीधा प्रभाव डालने वाले कई घटनाक्रम हुए हैं। उन्होंने कहा कि बदलती अमेरिकी रणनीति और चीन के उदय ने हिंद महासागर के विकास को प्रभावित किया है। 

हिंद महासागर क्षेत्र के देशों की चिंताओं को व्यक्त करते हुए जयशंकर ने कहा कि समूचे एशिया में सीमा विवादों को लेकर तनाव बढ़े हैं। पिछले सालों में हुए समझौतों पर नए सिरे से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। समय निश्चित रूप से इनके उत्तर देगा। विदेश मंत्री ने यह बात भारत व चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई में हुए तनाव का परोक्ष जिक्र करते हुए कही।   

भारत ने चीन से कह दिया है कि उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा  (LAC) पर शांति व भाईचारा कायम रखने के लिए पूर्व में हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौतों का पालन करना चाहिए। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के आक्रामक रवैया के कारण पिछले साल दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था। 

चीन लगभग सभी विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। हालांकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं।

विस्तार

अबूधाबी में आयोजित पांचवें ‘हिंद महासागर सम्मेलन’ में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि चीन के उदय और उसकी बढ़ती क्षमताओं के कारण समूचे एशिया में द्विपक्षीय मुद्दों पर तनाव बढ़ा है। बीजिंग की हरकतों से पिछले वर्षों में हुए समझौतों पर सवालिया निशान लग रहे हैं। 

भारतीय विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्वीकृत दुनिया में यह महत्वपूर्ण है कि समुद्री परिवहन, हवाई क्षेत्रों के इस्तेमाल ‘ओवरफ्लाइट’ और निर्बाध व्यापार की स्वतंत्रता का सम्मान हो और इसे सुविधाजनक बनाया जाए। 

जयशंकर ने कहा कि हाल के वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र की भलाई पर सीधा प्रभाव डालने वाले कई घटनाक्रम हुए हैं। उन्होंने कहा कि बदलती अमेरिकी रणनीति और चीन के उदय ने हिंद महासागर के विकास को प्रभावित किया है। 

हिंद महासागर क्षेत्र के देशों की चिंताओं को व्यक्त करते हुए जयशंकर ने कहा कि समूचे एशिया में सीमा विवादों को लेकर तनाव बढ़े हैं। पिछले सालों में हुए समझौतों पर नए सिरे से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। समय निश्चित रूप से इनके उत्तर देगा। विदेश मंत्री ने यह बात भारत व चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई में हुए तनाव का परोक्ष जिक्र करते हुए कही।   

भारत ने चीन से कह दिया है कि उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा  (LAC) पर शांति व भाईचारा कायम रखने के लिए पूर्व में हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौतों का पालन करना चाहिए। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के आक्रामक रवैया के कारण पिछले साल दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था। 

चीन लगभग सभी विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। हालांकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं।

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