इनकम टैक्स रेड को ऐसे समझें
इनकम टैक्स रेड या आयकर छापेमारी दरअसल, आयकर की धारा 132 के तहत आती है। इसके तहत अधिकारी किसी व्यक्ति के कारोबार या घर कहीं पर भी छापा मार सकता है। ये कार्रवाई किसी भी समय पर की जा सकती है। साथ ही इसके खत्म होने की भी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। कार्रवाई के दौरान गड़बड़ मिलने पर जब्ती के साथ-साथ पूरे परिसर में मौजूद किसी भी व्यक्ति की तलाशी ली जा सकती है, जिसमें स्थानीय पुलिस की मदद भी ली जाती है।
तोड़-फोड़ करने की भी छूट
गौरतलब है कि आयकर विभाग की टीम को रेड के दौरान अगर बड़ी गड़बड़ी के सबूत मिलते हैं या फिर कोई संदेह होता है तो टीम में शामिल अधिकारी सख्ती भी बरतने के लिए स्वतंत्र होते हैं। यहां तक की रेड के दौरान अधिकारी जानकारी बाहर निकालने के लिए ताले या दीवारों तक को तोड़ सकते हैं। रेड 2-3 दिनों तक चल सकती है और इस दौरान घर या दफ्तर में मौजूद लोग बिना आयकर अधिकारियों की इजाजत के बाहर नहीं जा सकते। आयकर अधिकारी रेड मारते जाते हैं और से तमाम चीजें अपने कब्जे में लेते जाते हैं।
इसलिए पड़ता है आयकर छापा
आपको बता दें कि वित्त मंत्रालय के तहत आने वाली आयकर विभाग, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और प्रवर्तन निदेशायल यानी ईडी जैसी एजेंसियां ऐसे लोगों पर पैनी नजर रखती हैं, जो टैक्स नहीं भरते या फिर जिनकी टैक्स और कमाई में अंतर आता है। अथवा ऐसे लोग आयकर विभाग के रडार पर होते हैं जिन पर टैक्स चोरी का शक होता है। इसके अलावा कई बार इन एजेंसियों को काले धन या फिर टैक्स चोरी से जुड़ी गुप्त सूचना मिलती है तो ऐसे में उन पर नजर रखने के सही मौका देख छापेमार कार्रवाई की जाती है।
पूरी तैयारी से पड़ती है रेड
आयकर विभाग की कोशिश यह होती है कि छापा ऐसे वक्त मारा जाए, जब व्यक्ति को उसका अंदाजा ना हो। ऐसे में उसे संभलने का बिल्कुल भी मौका ना मिले। अधिकतर रेड सुबह तड़के या फिर देर रात में इसी लिए अंजाम दी जाती हैं। दरअसल, ऐसे समय में कार्रवाई इसलिए की जाती है, ताकि तेजी से आरोपी के घर में पहुंचा जा सके और कुछ समझ पाने से पहले उसे दबोच लिया जाए। जब छापा मारा जाता है तो आयकर अधिकारियों के साथ पुलिस बल और कभी-कभी तो अर्ध-सैनिक बल भी मौजूद होता है।
इन कारणों से पड़ती है रेड
गैरकानूनी तरीके से 1 करोड़ से अधिक की धनराशि कैश में रखना, जिसका कोई सोर्स न हो। आय के साधन से अधिक धन हासिल किया हो या फिर भारी मात्रा में सोना-चांदी मौजूद हो और उसका कोई लेखा-जोखा ना हो। इसके अलावा बैंक अकाउंट के जरिए भी बड़े ट्रांजैक्शन होते हों और इसकी तुलना में टैक्स रिटर्न कम भरा जाता हो। इस तरह के मामले आयकर विभाग की छापेमार कार्रवाई की प्रमुख वजह होते हैं। नशीले पदार्थों या कोई भी तस्करी, धोखाधड़ी, नकली करेंसी, नकली स्टांप और अन्य गैर-कानूनी कामों के माध्यम से जमा बेहिसाब दौलत का साक्ष्य मिलेन पर भी छापा पड़ सकता है।
ये सामान जब्त नहीं कर सकती टीम
अगर आयकर विभाग का छापा किसी दुकान या शोरूम में मारा गया है तो वहां बेचने के लिए रखे गए सामान को जब्त नहीं किया जा सकता। ऐसे माल की दस्तावेजों में एंट्री हो सकती है। वहीं कुछ खास स्थितियों में इस माल या कनसाइनमेंट से जुड़े कागजातों को जब्त किया जा सकता है। इसके अलावा दुकान या घर से भारी मात्रा में कैश या सोना या और कीमती चीजें मिलती हैं, जिसका लेखा-जोखा व्यक्ति के पास हो यानी उसने आईटीआर में इस संपत्ति को सार्वजनिक किया हो, वह सामान भी छापेमारी करने आई टीम जब्त नहीं कर सकती है।
अपने अधिकारों को भी जानें
अगर आपके घर आयकर विभाग की टीम छापेमारी के लिए पहुंची हो तो आप सबसे पहले उस टीम से सर्च वारंट दिखाने के साथ उनका पहचान पत्र दिखाने को कह सकते हैं। वहीं अगर छापा मारने आई टीम घर की महिलाओं की तलाशी लेना चाहे तो ऐसा सिर्फ महिला कर्मी ही कर सकती है। अगर सभी पुरुष हैं तो वह चाहकर भी घर की महिला की तलाशी नहीं ले सकते, भले ही अधिकारियों को महिला के कपड़ों में कुछ छुपे होने का शक हो। आयकर अधिकारी आपको खाना खाने या आपके बच्चों के स्कूल बैग चेक करने के बाद उन्हें स्कूल जाने से नहीं रोक सकते हैं।