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GST Return: जीएसटी वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा 28 फरवरी तक बढ़ी

GST Return: जीएसटी वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा 28 फरवरी तक बढ़ी

पीटीआई, दिल्ली
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 30 Dec 2021 03:15 AM IST

सार

वार्षिक रिटर्न फाइल करना केवल दो करोड़ रुपये से अधिक के कुल वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं के लिए अनिवार्य है।

सांकेतिक तस्वीर….
– फोटो : अमर उजाला

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सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीएसटी वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा बुधवार को 28 फरवरी तक बढ़ा दी। मार्च 2021को वित्त वर्ष 2020-21 समाप्त हो जाएगा। अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट किया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए फॉर्म जीएसटीआर-9 में वार्षिक रिटर्न और फॉर्म जीएसटीआर-9C में स्व-प्रमाणित समाधान विवरण प्रस्तुत करने की नियत तिथि बढ़ा दी गई है।

जीएसटीआर-9 माल और सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत करदाताओं द्वारा वार्षिक रूप से दाखिल किया जाने वाला वार्षिक रिटर्न है। इसमें विभिन्न कर शीर्षों के तहत की गई या प्राप्त की गई जावक और आवक आपूर्ति के बारे में विवरण शामिल हैं। जीएसटीआर-9 जीएसटीआर-9सी और  लेखा परीक्षित वार्षिक वित्तीय विवरण के बीच सामंजस्य का एक विवरण है।

वार्षिक रिटर्न फाइल करना केवल दो करोड़ रुपये से अधिक के कुल वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं के लिए अनिवार्य है, जबकि सुलह विवरण केवल पांच करोड़ रुपये से अधिक के कुल कारोबार वाले पंजीकृत व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत किया जाना है।

विस्तार

सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीएसटी वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा बुधवार को 28 फरवरी तक बढ़ा दी। मार्च 2021को वित्त वर्ष 2020-21 समाप्त हो जाएगा। अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट किया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए फॉर्म जीएसटीआर-9 में वार्षिक रिटर्न और फॉर्म जीएसटीआर-9C में स्व-प्रमाणित समाधान विवरण प्रस्तुत करने की नियत तिथि बढ़ा दी गई है।

जीएसटीआर-9 माल और सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत करदाताओं द्वारा वार्षिक रूप से दाखिल किया जाने वाला वार्षिक रिटर्न है। इसमें विभिन्न कर शीर्षों के तहत की गई या प्राप्त की गई जावक और आवक आपूर्ति के बारे में विवरण शामिल हैं। जीएसटीआर-9 जीएसटीआर-9सी और  लेखा परीक्षित वार्षिक वित्तीय विवरण के बीच सामंजस्य का एक विवरण है।

वार्षिक रिटर्न फाइल करना केवल दो करोड़ रुपये से अधिक के कुल वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं के लिए अनिवार्य है, जबकि सुलह विवरण केवल पांच करोड़ रुपये से अधिक के कुल कारोबार वाले पंजीकृत व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत किया जाना है।

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