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Gold Saving : सोने-चांदी के आभूषणों में बचत से भारतीयों का मोह भंग, 5 साल से लगातार घट रही सेविंग

Gold Saving : सोने-चांदी के आभूषणों में बचत से भारतीयों का मोह भंग, 5 साल से लगातार घट रही सेविंग

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Wed, 02 Feb 2022 12:24 PM IST

सार

Savings In Gold-Silver Jewelery Decline In FY21: वित्त वर्ष 2020-21 में सोना और चांदी के आभूषणों के रूप में घरेलू बचत पांच साल में सबसे कम दर्ज की गई है। एनएसओ और एसबीआई रिसर्च द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो महामारी के दौरान 2020-21 में सोने और चांदी के आभूषणों के रूप में घरेलू बचत घटकर 38,444 करोड़ रुपये रही, जो 2019-20 में 43,136 करोड़ रुपये रही थी।
 

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भारत में सोने को निवेश और बचत का महत्वपूर्ण विकल्प माना जाता है, लेकिन अब भारतीय सोने-चांदी के आभूषणों में सेविंग करने से दूरी बना रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिसर्च में जो बात सामने आई है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि गोल्ड सेविंग के प्रति लोगों का मोह भंग होता जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि बीते 5 सालों के आंकड़े देखें तो गोल्ड सेविंग में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 

बीते 5 सालों से लगातार आई कमी
वित्त वर्ष 2020-21 में सोना और चांदी के आभूषणों के रूप में घरेलू बचत पांच साल में सबसे कम दर्ज की गई है। एनएसओ और एसबीआई रिसर्च द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि कोरोना महामारी के दौरान वित्त वर्ष 2020-21 में सोने और चांदी के आभूषणों के रूप में घरेलू बचत घटकर 38,444 करोड़ रुपये रह गई। यह वित्त वर्ष 2019-20 में 43,136 करोड़ रुपये रही थी। इससे पिछले वर्षों की बात करें तो वित्त वर्ष 2018-19 में गोल्ड सेविंग घटकर 42,673 करोड़ रुपये रह गई थी, जो 2017-18 में 46,665 करोड़ रुपये थी। एसबीआई की रिसर्च के मुताबिक, गोल्ड सेविंग में आ रही गिरावट से भारतीयों के बचत से जुड़े व्यवहार में बदलाव के संकेत मिलते हैं। 

सोने को छोड़ यहां लगा रहे पैसा
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सोने और चांदी के आभूषणों में नहीं बल्कि अब फाइनेंसियल असेट्स के रूप में बचत का विकल्प चुन रहे हैं। सोमवार को जारी इकोनॉमिक सर्वे 2022 रिपोर्ट के मुताबिक भी भारतीय कैपिटल मार्केट में ज्यादा पैसा लगा रहे हैं। इक्विटी कैश सेगमेंट में रिटेल निवेशकों की संख्या में इजाफा हुआ है, एनएसई पर अप्रैल-अक्तूबर 2021 की अवधि के दौरान इंडिविजुअल निवेशकों का कुल टर्नओवर 39 फीसदी से बढ़कर 45 फीसदी हो गया है।

एनएसओ के डाटा पर एक नजर
बीती 31 जनवरी को जारी एनएसओ के डाटा से कोरोना महामारी के दौरान हाउसहोल्ड डेट यानी घरेलू कर्ज की कुछ ये कहानी बयां करती है। रिपोर्ट की मानें तो जहां वित्त वर्ष 2020-21 में कुल फाइनेंसियल सेविंग्स बढ़कर 7.1 लाख करोड़ रुपये (किसी वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा) हो गई, वहीं कुल फाइनेंसियल लायबिलिटीज यानी देनदारियां सिर्फ 18,669 करोड़ रुपये बढ़ीं।

विस्तार

भारत में सोने को निवेश और बचत का महत्वपूर्ण विकल्प माना जाता है, लेकिन अब भारतीय सोने-चांदी के आभूषणों में सेविंग करने से दूरी बना रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिसर्च में जो बात सामने आई है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि गोल्ड सेविंग के प्रति लोगों का मोह भंग होता जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि बीते 5 सालों के आंकड़े देखें तो गोल्ड सेविंग में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 

बीते 5 सालों से लगातार आई कमी

वित्त वर्ष 2020-21 में सोना और चांदी के आभूषणों के रूप में घरेलू बचत पांच साल में सबसे कम दर्ज की गई है। एनएसओ और एसबीआई रिसर्च द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि कोरोना महामारी के दौरान वित्त वर्ष 2020-21 में सोने और चांदी के आभूषणों के रूप में घरेलू बचत घटकर 38,444 करोड़ रुपये रह गई। यह वित्त वर्ष 2019-20 में 43,136 करोड़ रुपये रही थी। इससे पिछले वर्षों की बात करें तो वित्त वर्ष 2018-19 में गोल्ड सेविंग घटकर 42,673 करोड़ रुपये रह गई थी, जो 2017-18 में 46,665 करोड़ रुपये थी। एसबीआई की रिसर्च के मुताबिक, गोल्ड सेविंग में आ रही गिरावट से भारतीयों के बचत से जुड़े व्यवहार में बदलाव के संकेत मिलते हैं। 

सोने को छोड़ यहां लगा रहे पैसा

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सोने और चांदी के आभूषणों में नहीं बल्कि अब फाइनेंसियल असेट्स के रूप में बचत का विकल्प चुन रहे हैं। सोमवार को जारी इकोनॉमिक सर्वे 2022 रिपोर्ट के मुताबिक भी भारतीय कैपिटल मार्केट में ज्यादा पैसा लगा रहे हैं। इक्विटी कैश सेगमेंट में रिटेल निवेशकों की संख्या में इजाफा हुआ है, एनएसई पर अप्रैल-अक्तूबर 2021 की अवधि के दौरान इंडिविजुअल निवेशकों का कुल टर्नओवर 39 फीसदी से बढ़कर 45 फीसदी हो गया है।

एनएसओ के डाटा पर एक नजर

बीती 31 जनवरी को जारी एनएसओ के डाटा से कोरोना महामारी के दौरान हाउसहोल्ड डेट यानी घरेलू कर्ज की कुछ ये कहानी बयां करती है। रिपोर्ट की मानें तो जहां वित्त वर्ष 2020-21 में कुल फाइनेंसियल सेविंग्स बढ़कर 7.1 लाख करोड़ रुपये (किसी वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा) हो गई, वहीं कुल फाइनेंसियल लायबिलिटीज यानी देनदारियां सिर्फ 18,669 करोड़ रुपये बढ़ीं।

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