बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Thu, 20 Jan 2022 11:20 PM IST
सार
FDI Inflow Slip In 2021: साल 2021 में देश में विदेशी निवेश में भारी कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र की कारोबार संबंधी संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बीते साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 26 फीसदी कम रहा है।
साल 2021 में देश में विदेशी निवेश में भारी कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र की कारोबार संबंधी संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बीते साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 26 फीसदी कम रहा है। विदेशी निवेश में आई कमी की बड़ी वजह ये रही कि 2020 के समान 2021 में बड़े विलय एवं अधिग्रहण के सौदे नहीं देखे गए।
एम एंड ए सौदे नहीं होने का असर
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) के निवेश रूझान मॉनिटर के मुताबिक, भारत में एफडीआई प्रवाह 26 फीसदी कम रहा, क्योंकि 2020 में जो एम एंड ए सौदे हुए थे वे साल 2021 में नहीं हो सके। भारत में 2020 में एफडीआई 27 फीसदी बढ़कर 64 अरब डॉलर रहा था, जो 2019 में 51 अरब डॉलर था। रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 की दूसरी लहर का भारत की आर्थिक गतिविधियों पर बहुत असर रहा और अप्रैल 2021 में दूसरी लहर के कारण भारत में ग्रीनफिल्ड परियोजनाएं 19 फीसदी संकुचन के साथ 24 अरब डॉलर हो गईं।
वैश्विक एफडीआई में हुआ इजाफा
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 77 फीसदी बढ़कर कोविड-19 से पहले के स्तर से भी अधिक अनुमानित 1650 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2020 में 929 अरब डॉलर था। यूएनसीटीएडी की महासचिव रेबेका ग्रिन्सपन ने कहा कि विकासशील देशों में निवेश प्रवाह उत्साहजनक है लेकिन न्यूनतम विकसित देशों में उद्योगों में नए निवेश में ठहराव चिंता का प्रमुख विषय है। रिपोर्ट में कहा गया कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में एफडीआई में अब तक का सबसे बड़ा उछाल आया है और यहां एफडीआई 2021 में अनुमानित 777 अरब डॉलर पहुंच गया जो 2020 के मुकाबले तीन गुना है। रिपोर्ट में कहा गया कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में एफडीआई प्रवाह 30 फीसदी वृद्धि के साथ करीब 870 अरब डॉलर हो गया, जबकि दक्षिण एशिया में यह 24 फीसदी गिरकर 2021 में 54 अरब डॉलर रहा।
विस्तार
साल 2021 में देश में विदेशी निवेश में भारी कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र की कारोबार संबंधी संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बीते साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 26 फीसदी कम रहा है। विदेशी निवेश में आई कमी की बड़ी वजह ये रही कि 2020 के समान 2021 में बड़े विलय एवं अधिग्रहण के सौदे नहीं देखे गए।
एम एंड ए सौदे नहीं होने का असर
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) के निवेश रूझान मॉनिटर के मुताबिक, भारत में एफडीआई प्रवाह 26 फीसदी कम रहा, क्योंकि 2020 में जो एम एंड ए सौदे हुए थे वे साल 2021 में नहीं हो सके। भारत में 2020 में एफडीआई 27 फीसदी बढ़कर 64 अरब डॉलर रहा था, जो 2019 में 51 अरब डॉलर था। रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 की दूसरी लहर का भारत की आर्थिक गतिविधियों पर बहुत असर रहा और अप्रैल 2021 में दूसरी लहर के कारण भारत में ग्रीनफिल्ड परियोजनाएं 19 फीसदी संकुचन के साथ 24 अरब डॉलर हो गईं।
वैश्विक एफडीआई में हुआ इजाफा
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 77 फीसदी बढ़कर कोविड-19 से पहले के स्तर से भी अधिक अनुमानित 1650 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2020 में 929 अरब डॉलर था। यूएनसीटीएडी की महासचिव रेबेका ग्रिन्सपन ने कहा कि विकासशील देशों में निवेश प्रवाह उत्साहजनक है लेकिन न्यूनतम विकसित देशों में उद्योगों में नए निवेश में ठहराव चिंता का प्रमुख विषय है। रिपोर्ट में कहा गया कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में एफडीआई में अब तक का सबसे बड़ा उछाल आया है और यहां एफडीआई 2021 में अनुमानित 777 अरब डॉलर पहुंच गया जो 2020 के मुकाबले तीन गुना है। रिपोर्ट में कहा गया कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में एफडीआई प्रवाह 30 फीसदी वृद्धि के साथ करीब 870 अरब डॉलर हो गया, जबकि दक्षिण एशिया में यह 24 फीसदी गिरकर 2021 में 54 अरब डॉलर रहा।
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