ईपीएस से जुड़ी पूरी जानकारी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : pixabay
लंबे समय से एम्प्लॉई पेंशन स्कीम को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। एम्प्लॉई पेंशन स्कीम यानी ईपीएस के तहत निवेश पर लगे लिमिट 15,000 को हटाने के बारे में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। कर्मचारियों को इस मामले पर कोर्ट से काफी उम्मीदें हैं। इस मामले का आपकी जिंदगी पर क्या असर पड़ने वाला है, आज हम यहां आपको समझाते हैं। सबसे पहले हमें ये समझना होगा कि आखिर ये पूरा मामला है क्या? अभी तक पेंशन योग्य वेतन अधिकतम 15,000 रुपये प्रति महीने ही थी। इसका मतलब ये कि वेतन चाहे कितना भी हो, लेकिन पेंशन की कैलकुलेशन केवल 15,000 रुपये पर ही होगी। इसी को हटाने के लिए मामला कोर्ट में लंबित है। 12 अगस्त को भारत संघ और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। आइए इस स्कीम के बारे में और अधिक जानते हैं।
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ईपीएस के लिए अभी क्या है नियम?
- आपको पता होना चाहिए की जब आप नौकरी करते हैं और ईपीएफ के सदस्य बनते हैं, उसी वक्त आप ईपीएस के भी सदस्त बन जाते हैं। इसके तहत कर्मचारी के सैलरी का 12% हिस्सा ईपीएफ में जाता है, साथ ही बराबर की रकम उसकी कंपनी की तरफ से भी दी जाती है, लेकिन इसमें से एक हिस्सा यानी 8.33 परसेंट ईपीएस में भी जाता है। पेंशन योग्य वेतन अधिकतम 15 हजार रुपये होने के अनुसार, हर महीने पेंशन का हिस्सा अधिकतम (15,000 का 8.33%) 1250 रुपये होता है। साथ ही कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी पेंशन की गणना के लिए अधिकतम वेतन 15 हजार रुपये ही मानी जाती है। इसके मुताबिक एक कर्मचारी ईपीएस के तहत अधिकतम 7,500 रुपये पेंशन ही पा सकता है।
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ऐसे होती है पेंशन की कैलकुलेशन
- ध्यान में रखने वाली बात ये है कि अगर आपने 1 सितंबर, 2014 से पहले ईपीएस में योगदान शुरू किया है, तो पेंशन के लिए मंथली सैलरी अधिकतम 6500 रुपये होगी। जबकि 1 सितंबर, 2014 के बाद ईपीएस से जुड़ने वाले कर्मचारीयों के लिए सैलरी की अधिकतम सीमा 15,000 रुपये ही होगी।
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यहां देखिए पेंशन की कैलकुलेशन का का फॉर्मूला
- इसका बेसिक फॉर्मूला हैं, मंथली पेंशन= (पेंशन योग्य सैलरी x ईपीएस योगदान के साल) / 70
- मान लीजिए कर्मचारी 1 सितंबर, 2014 के बाद ईपीएस से जुड़ा है, और उसने 30 साल तक सर्विस की है। तो उसका मंथली पेंशन,
- मंथली पेंशन = 15,000X30/7 यानी 6428 रुपये होगा।
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अधिकतम और न्यूनतम पेंशन
- इसके अलावा यहां एक और नियम है, यदि कर्मचारी ने 6 महीने या इससे ज्यादा की सर्विस की है तो इसे एक साल माना जाएगा और इससे कम होने पर इस साल की गिनती नहीं होगी। यानी की अगर कर्मचारी ने दस साल 7 महीने काम किया है तो उसे 1१ साल माना जाएगा। लेकिन दस साल 5 महीने किया है तो उसे केवल दस साल ही गिना जाएगा।