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Crypto Currency News: क्रिप्टो करेंसी पर दुनिया की राहें जुदा-जुदा, कहीं पर बैन तो कहीं बने सख्त नियम

Crypto Currency News: क्रिप्टो करेंसी पर दुनिया की राहें जुदा-जुदा, कहीं पर बैन तो कहीं बने सख्त नियम

क्रिप्टो करेंसी, आज एक ऐसा मुद्दा बन चुका है जिसके भविष्य के बारे में हर कोई जानना चाहता है। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जो इसमें निवेश कर रहे हैं और वो भी जो इसे बैन करने की वकालत करते नजर आ रहे हैं। क्रिप्टो समर्थक मानते हैं कि एक दिन ये डिजिटल मुद्राएं, भविष्य की ग्लोबल करेंसी साबित होंगी। लेकिन इस मसले पर सभी देशों की अलग-अलग राय हैं। कुछ देशों में इसे लीगल टेंडर यानि आधिकारिक करेंसी मान लिया गया है तो कहीं इसके इस्तेमाल पर बैन लगा है या बैन करने की तैयारी हो रही है। 

क्रिप्टो को लेकर बन रहे अलग-अलग कानून
कई ऐसे देश भी हैं, जहां अब तक क्रिप्टो करेंसी को लेकर कोई आम राय नहीं बन पाई है और इसे एक एसेट के तौर पर ही देखा जा रहा है। लेकिन एक बात साफ है कि क्रिप्टो करेंसी की बढ़ती मांग ने इसके नकारात्मक और सकारात्मक पहलुओं पर सोच-विचार करने को मजबूर कर दिया है। क्रिप्टो रिसर्चर शिखा शर्मा का मानना है कि दुनिया भर की सरकारें क्रिप्टो करेंसी के मामले में सोच-समझकर नियम बनाना चाहती हैं। यही वजह है कि अलग-अलग देशों में क्रिप्टो को लेकर अलग-अलग कानून बन रहे हैं।

भारत में जल्द साफ होगा क्रिप्टो का भविष्य
भारत में भी बहुत जल्द क्रिप्टो का भविष्य साफ हो जाएगा। उम्मीद है कि इस हफ्ते मोदी सरकार मौजूदा शीतकालीन संसद सत्र में क्रिप्टो बिल पेश कर देगी। वहीं भारत के पड़ोसी देश चीन ने पहले ही इसे लेकर अपनी नीति साफ कर दी है। वैसे तो चीन के नीतियां हमेशा-से दोहरी रही हैं। क्रिप्टो करेंसी के मामले में भी ड्रैगन की नीति ऐसी देखने को मिल रही है। शुरुआती दौर में ट्रेडिंग और माइनिंग को चीन ने मंजूरी दे रखी थी लेकिन अचानक कुछ महीनों से क्रिप्टो के खिलाफ सख्त फैसले लिए जा रहे हैं। सबसे पहले चीन ने क्रिप्टो की माइनिंग को बंद करवाई, फिर जून में क्रिप्टो ट्रेडिंग को बैन करने का फैसला सुना दिया। जिस वजह से भी दुनिया भर की क्रिप्टो का ग्राफ तेजी से नीचे की तरफ आ गया था। माना जा रहा है कि चीन अपनी करेंसी युआन को डिजिटल वर्जन में लॉन्च करने के इरादे से ऐसा कर रहा है।

डिजिटल करेंसी पर दो भागों में बंटी दुनिया
बहरहाल, क्रिप्टो के मामले में दुनिया के कुछ ओर बड़े देशों पर नजर डालें तो दुनिया दो भागों में बंटी दिखाई दे रही है। कई देशों में डिजिटल करेंसी को बैन या रेगुलेट करने को लेकर बहस छिड़ी है। मध्य अमेरिका के देश अल सल्वाडोर ने क्रिप्टो करेंसी बिटक्वाइन को सितंबर 2021 में ही कानूनी दर्जा दे दिया था। अल सल्वाडोर ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश था। इस देश ने कानूनी मुद्रा बन जाने के बाद इस पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स भी नहीं लगाया है। इसके साथ ही देश में क्रिप्टो एंटरप्रेन्योर को तुरंत स्थायी तौर पर रहने की अनुमति दी गई। इस ऐलान के बाद तो अल-सल्वाडोर में प्रॉपर्टी के दाम आसमान छुने लगे।

अमेरिका में सबसे ज्यादा क्रिप्टो एटीएम
इसी तरह कुछ देशों में क्रिप्टो को करेंसी का दर्जा तो नहीं मिला लेकिन एसेट के रुप में मान्यता जरुर मिलने लगी है। अमेरिका में शुरुआत से ही क्रिप्टो करेंसी को लेकर एक पॉजिटिव माहौल रहा है। अमेरिका में करीब 2 करोड़ 74 लाख क्रिप्टो के निवेशक हैं। क्रिप्टो करेंसी एजुकेशन प्लेटफॉर्म क्रिप्टो हैड कि एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका क्रिप्टोकरेंसी एक्सेप्टेंस के मामले में सबसे आगे रहा है। अमेरिकियों का क्रिप्टो करेंसी में इंट्रेस्ट और सरकार का लीगल अप्रोच ने इस देश सबसे आगे रखा हैं। सबसे ज्यादा क्रिप्टो एटीएम भी अमेरिका में हैं। अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े राज्य टेक्सास में बिटक्वाइन की माइनिंग हो रही है। इससे इस शहर में बिजली की डिमांड लगातार बढ़ी है। चीन में क्रिप्टो से जुड़ी सभी गतिविधियों पर रोक लगने के बाद से टेक्सास, माइनिंग का हब बन चुका है।

अमेरिका की तर्ज पर आगे बढ़ रहा कनाडा
कनाडा ने भी अमेरिका की तर्ज पर क्रिप्टो करेंसी को एक माहौल देने की कोशिश की है। यहां इनकम टैक्स एक्ट के तहत इसे एक कमोडिटी माना गया है। इस देश में किसी भी क्रिप्टो करेंसी के ट्रांजेक्शन को बिजनेस इनकम में गिना जा रहा है। इसके अलावा रूस में भी क्रिप्टो करेंसी को लेकर कुछ सख्त नियम बनाए गए हैं। 2021 की शुरुआत में रूस ने अपने नागरिकों को माइनिंग, ट्रेड और क्रिप्टो करंसी को रखने की अनुमति दी थी। लेकिन इनका इस्तेमाल गुड्स और सर्विसेज के एक्सचेंज के लिए नहीं किया जा सकता, न ही क्रिप्टो का पेमेंट के विकल्प के तौर लेन-देन हो सकता है। रुस में इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल हो सकती है। यहां 1300 डॉलर से ज्यादा की क्रिप्टो बिना डिक्लेयरेशन के रखना अपराध है। हालांकि, रूस सरकार, अपनी रेगुलेटेड डिजिटल करंसी लाने की चाहत रखती है।

कई देश कर रहे टैक्स लगाने की तैयारी
रूस के अलावा कुछ अन्य देश भी क्रिप्ट करेंसी के साथ टैक्सेशन को जोड़ने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, भारत में वित्त मंत्रालय ने क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग से हुई आमदनी पर टैक्स लगाने की संभावना का पता लगाने के लिए एक कमेटी बनाई है। यूरोपियन यूनियन के 27 देशों में भी डिजिटल करेंसी को लेकर माथा पच्ची चल रही है। इन देशों में क्रिप्टो को लेकर अलग-अलग नियम बने हैं। यूरोप के कुछ देश जैसे फिनलैंड, बेल्जियम और यूनाइटेड किंगडम क्रिप्टोकरेंसी को एसेट मानते हैं। इन देशों में क्रिप्टो को करेंसी का दर्जा नहीं है।

ब्रिटेन में क्रिप्टो ट्रेडिंग को मान्यता
ब्रिटेन में इसे न तो कानूनी दर्जा मिला है और न ही रेगुलेशन के दायरे में लाया गया है। इसके बावजूद भी ब्रिटेन में क्रिप्टो ट्रेडिंग को मान्यता मिली हुई है क्योंकि ब्रिटेन ने इसकी ट्रेडिंग की डीलिंग के लिए रजिस्टर्ड बिजनेस को लाइसेंस देने का प्रावधान रखा है. इस देश में जिस तरह से करेंसी ट्रेडिंग पर टैक्स लगता है वैसे ही क्रिप्टो ट्रेडिंग पर टैक्स लिया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया में भी क्रिप्टो के तरफ युवा तेजी से आकर्षित हुए हैं। इसको देखते हुए इस देश में क्रिप्टोकरेंसी एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एंड काउंटर टेररिज्म फाइनेंसिंग एक्ट लागू किया गया है। क्रिप्टोकरेंसी को इस कानून के दायरे में लाकर ऑस्ट्रेलिया ने आपराधिक गतिविधियों पर इसके इस्तेमाल पर सजा का प्रावधान कर रखा है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया क्रिप्टो यानि वर्चुअल करेंसी को प्रॉपर्टी के तौर पर मान्यता देता है और इसे टैक्स के दायरे से भी बाहर रखा गया है।

भारत में क्रिप्टो बिल पेश होने का इंतजार
भारत में क्रिप्टो करेंसी के मामले में स्थिति साफ नहीं हो पाई है। सभी को क्रिप्टो बिल के संसद में पेश होने का इंतजार है। भारत में क्रिप्टो के इतिहास पर नज़र डाले तो भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने RBI के प्रतिबंध को हटाने का आदेश सुना दिया। भारत में क्रिप्टो अवैध नहीं है फिर भी इसके इस्तेमाल पर संशय बना हुआ है। भारत सरकार को क्रिप्टो में निवेश करने वालों की चिंता है। वे निवेशकों के निवेश की सुरक्षा चाहती है। टेरर फंडिंग, हवाला में क्रिप्टो का इस्तेमाल जैसे विषयों पर भी सतर्क है। हाल फिलहाल में ही क्रिप्टो के फ्रॉड और स्कैम के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनके बारे में संसद में भी चर्चा की गई है। इसके साथ ही सरकार क्रिप्टो को क्या मानेगी? लेनदेन की करेंसी या निवेश के लिए एसेट? इन सवालों का जवाब अगले कुछ दिनों में आपको मिल जाएगा।

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