ये बात अब लोग करीब करीब भूल चुके हैं। दिल्ली में नई सरकार बनी तो मंत्री बनने के सिर्फ नौ दिन बाद महाराष्ट्र का एक कद्दावर नेता दिल्ली में एक सड़क हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे को आठ साल होने को हैं। और, इसी महीने के आखिर में एक फिल्म रिलीज होने को है। नाम, ‘चंद्रमुखी’। महाराष्ट्र प्रशासन के कद्दावर अफसर रहे विश्वास पाटिल ने एक उपन्यास लिखा है इसी नाम से। कहानी महाराष्ट्र के एक सियासी परिवार के दिल्ली की राजनीति में दबदबे की है। नेता की राजनीतिक महत्वाकांक्षों की है और इस कहानी के सूत्र बंधते हैं महाराष्ट्र की गजब की खूबसूरत रही एक लावणी नर्तकी से।
जिनको महाराष्ट्र की राजनीति में जरा भी दिलचस्पी रही है, वह समझ गए होंगे मामला क्या है। और, करीब से समझना हो तो 27 साल पीछे जाना होगा जब महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार थी। अन्ना हजारे की महाराष्ट्र की राजनीति में अच्छी खासी दखलंदाजी थी। और, एनसीपी और बीजेपी के बीच तब भी खास बनती नहीं थी। कांग्रेस के मुख्यमंत्री रह चुके शरद पवार पर निजी हमले करने वाले नेता अब सरकार में थे। और, एनरॉन बिजली परियोजना को लेकर खूब हंगामा चल रहा था।
बृहन्नमुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी की टीम घर घर जाकर नियमित सर्वे कर रही थी। सर्वे टीम के साथ स्थानीय पत्रकार भी हो लिया करते थे। उस दिन ये टोली एक घर के बार पहुंची तो उस फ्लैट पर बरखा मुंडे नाम की प्लेट लगी हुई थी। चौकीदार से पूछने पर पता चला कि यह फ्लैट ‘मुंडे साब’ का है और वह यहां रोज आते हैं। बस यहीं से महाराष्ट्र की राजनीति में जो भूचाल आया, उसकी कहानी कहती है नई मराठी फिल्म ‘चंद्रमुखी’।
निर्देशक प्रसाद ओक की इस फिल्म को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में हलचल शुरू हो चुकी है। लोग जानना चाह रहे हैं कि ये फिल्म कितनी काल्पनिक है और इसकी कितनी घटनाएं वास्तविक हैं। फिल्म में फिल्म ‘चंद्रमुखी’ का शीर्षक रोल अमृता खानविलकर कर रही हैं। वह कहती हैं, ‘इस भूमिका को निभाने का अवसर पाकर ही मैं धन्य हूं। इसमें प्यार, रोमांस, समर्पण और संघर्ष के गहन रंग हैं। मैंने चंद्रमुखी के किरदार में अपना दिल और आत्मा डाल दी है और इसे पर्दे पर चित्रित करने के लिए चरित्र को जिया है। फिल्म पूरी टीम के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हमें उम्मीद है कि प्रयासों की सराहना की जाएगी।’
कहते हैं कि अमृता जिस लावणी नर्तकी का किरदार कर रही हैं, उसे लेकर महाराष्ट्र की सियासत में एक जुमला बहुत मशहूर रहा है, ‘बरखा बहार आई’। मामला तब खूब उछला था। बात सार्वजनिक हो जाने के बाद मुंडे के इस्तीफे तक की नौबत आ गई। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मुंडे के खिलाफ कार्यवाही का मन बना रहा था। इसी बीच मुंडे शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे की शरण में जा पहुंचे। ठाकरे ने आनन-फानन में मुंबई के शिवाजी पार्क में एक बड़ी सभा का आयोजन किया। सभा में ठाकरे ने अपने भाषण में खुलकर मुंडे और बरखा के संबंधों की चर्चा की और मुंडे की तरफ मुखातिब होते हुए कहा, ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’।