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Budget 2022: 1 फरवरी को पेश होगा देश का वित्तीय लेखा-जोखा, क्या आपको मालूम हैं बजट से जुड़े इन शब्दों के अर्थ?

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट एक फरवरी 2022 को पेश होगा, जबकि आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को आएगा। कोरोना के साये में पेश हो रहे इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। आज हम आपको कुछ खास शब्दों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका उपयोग बजट भाषण में होता और इनमें से ज्यादातर का मतलब लोगों को स्पष्ट नहीं होता। ऐसे में कुछ ऐसे शब्दों का अर्थ बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आपको सीतारमण के बजट भाषण का सार आसानी से समझ आ जाएगा। 

विनिवेश क्या होता है? 
अगर सरकार किसी पब्लिक सेक्टर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को निजी क्षेत्र में बेच देती है, तो उसे विनिवेश कहा जाता है। सरकार द्वारा यह हिस्सेदारी शेयरों के जरिए बेची जाती है। यह हिस्सेदारी किसी एक व्यक्ति या फिर किसी निजी कंपनी को बेची जा सकती है।

बांड से क्या तात्पर्य होता है?
जब केंद्र सरकार के पास पैसों की कमी हो जाती है, तो वो बाजार से पैसा जुटाने के लिए बांड जारी करती है। यह एक तरह का कर्ज होता है, जिसकी अदायगी पैसा मिलने बाद सरकार द्वारा एक तय समय के अंदर की जाती है। बांड को कर्ज का सर्टिफिकेट भी कहते हैं। 

बैलेंस ऑफ पेमेंट क्या होता है?
केंद्र सरकार का राज्य सरकारों व विश्व के अन्य देशों में मौजूद सरकारों द्वारा जो भी वित्तीय लेन-देन होता है, उसे बजट भाषा में बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है। बैलेंस बजट तब होता है जब सरकार का खर्चा और कमाई दोनों ही बराबर होता है। 

कस्टम ड्यूटी क्या होती है?
जब किसी दूसरे देश से भारत में सामान आता है तो उस पर जो कर लगता है, उसे कस्टम ड्यूटी कहते हैं। इसे सीमा शुल्क भी कहा जाता है। जैसे ही समुद्र या हवा के रास्ते भारत में सामान उतारा जाता है तो उस पर यह शुल्क लगता है । 

एक्साइज ड्यूटी क्या तात्पर्य होता है?
एक्साइज ड्यूटी उन उत्पादों पर लगता है जो देश के भीतर लगते हैं। इसे उत्पाद शुल्क भी कहते हैं। यह शुल्क उत्पाद के बनने और उसकी खरीद पर लगता है। फिलहाल देश में दो प्रमुख उत्पाद हैं, जिनसे सरकार को सबसे ज्यादा कमाई होती है। पेट्रोल, डीजल और शराब इसके सबसे बढ़िया उदाहरण हैं। 

राजकोषीय घाटा क्या होता है?
सरकार की ओर से लिया जाने वाला अतिरिक्त कर्ज राजकोषीय घाटा कहलाता है। देखा जाए तो राजकोषीय घाटा घरेलू कर्ज पर बढ़ने वाला अतिरिक्त बोझ ही है। इससे सरकार आय और खर्च के अंतर को दूर करती है। 

प्रत्यक्ष कर क्या होता है?
प्रत्यक्ष कर वह कर होता है, जो व्यक्तियों और संगठनों की आमदनी पर लगाया जाता है, चाहे वह आमदनी किसी भी स्रोत से हुई हो। निवेश, वेतन, ब्याज, आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स आदि प्रत्यक्ष कर के तहत ही आते हैं।

विकास दर को ऐसे समझें 
सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं का टोटल होता है। इस शब्द के ऊपर भी बजट में सबसे ज्यादा जोर रहता है। 

वित्त विधेयक इसे कहते हैं
इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं। इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है. संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है। यह हर साल सरकार बजट पेश करने के दौरान करती है। 

शार्ट टर्म कैपिटल असेट
36 महीने से कम समय के लिए रखे जाने वाले पूंजीगत एसेट्स को शार्ट टर्म कैपिटल असेट कहते हैं। वहीं शेयर, सिक्योरिटी और बांड आदि के मामले में यह अवधि 36 महीने की बजाय 12 महीने की है। 

अप्रत्यक्ष कर के बारे में जानें
ग्राहकों द्वारा सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उन पर लगाया जाने वाला टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है। जीएसटी, कस्टम्स ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि इनडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं।

कैपिटल असेट क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल असेट कहलाती है। यह बांड, शेयर मार्केट और कच्चा माल में से कुछ भी हो सकता है।

कैपिटल गेन्स और असेसी
पूंजीगत एसेट्स को बेचने या लेन-देने से होने वाला मुनाफा कैपिटल गेन्स कहलाता है। जबकि ऐसा व्यक्ति जो इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स भरने के लिए उत्तरदायी होता उसे असेसी कहते है।

पिछला वित्त वर्ष
यह एक वित्तीय साल है जो कर निर्धारण वर्ष से ठीक पहले आता है। यह 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है। इस दौरान कमाई गई रकम पर कर निर्धारण साल में टैक्स देना होता है। यानी 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 अगर वित्तीय साल है तो कर निर्धारण साल 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक होगा।

चालू वित्त वर्ष
यह वित्तीय साल होता है, जो कि 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है। फिलहाल सरकार वित्त वर्ष को बदलने पर विचार कर रही है। 

कर निर्धारण साल
यह कर निर्धारण साल होता है, जो किसी वित्तीय साल का अगला साल होता है।  जैसे 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक होगा।

आयकर छूट
इस शब्द से आमतौर पर हर देशवासी परिचित होता है। बजट में भी सबसे ज्यादा नजरें इसी पर टिकी होती है। दरअसल, टैक्सपेयर्स की वह इनकम जो टैक्स के दायरे में नहीं आती। यानी जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता। उसे आयकर छूट कहते हैं। 

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