संगीत, सिनेमा और सियासत से बप्पी दा का करीबी नाता रहा। मशहूर गायक किशोर कुमार का जिक्र होता तो अपने ‘किशोर मामा’ की तमाम शरारतें वह खूब चटखारे लेकर सुनाते और लता मंगेशकर का नाम आते ही अपनी ‘लता मां’ की श्रद्धा में नतमस्तक हो जाते।
बप्पी लाहिड़ी से वैसे तो बातें, मुलाकातें तमाम हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा का आसमान भी छुआ और बीच में एक दौर ऐसा भी देखा जब वह अपनी आर्थिक हालत की बात करते तो भी सकुचा जाते थे। वह कहते हैं, ‘मैं किसी से कह नहीं सकता लेकिन आप देखो कहीं कुछ अपीयरेंस वगैरह का काम बने तो।’ मैं उनको कोलकाता ले गया एक कार्यक्रम में ऐसी ही एक उपस्थिति के लिए। ‘टैक्सी नंबर 9211’ में उनका गाया गाना हिट हुआ तो एक नई राह भी खुली, दूसरे संगीतकारों के लिए अपनी आवाज देने की और फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ के गाने से उनको लगा कि अब मुश्किलें बीत जाएंगी।
बप्पी लाहिड़ी यारों के यार इंसान रहे। एक बार किसी ने मदद कर दी तो उसका एहसान ताउम्र याद रखते। कहते, ‘किशोर मामा ने ही मुझे यहां तक पहुंचाया।’ ‘नन्हा शिकारी’ उनकी पहली हिंदी फिल्म थी बतौर संगीतकार। किशोर कुमार के अलावा आशा भोसले और मुकेश ने भी इसमें गाने गाए। फिल्म ‘जख्मी’ में किशोर कुमार और आशा भोसले का गाया गाना ‘जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातें में’ का जिक्र उनकी बातों में आ ही जाता। गीतकारों गौहर कानपुरी और एस एच बिहारी से उनकी खूब पटती। लेकिन, फिल्मी दुनिया में वह लता मंगेशकर को एक तरह से पूजते थे। कहते, ‘उनको कोई क्या संगीत बताएगा। उनको ईश्वर से मिला वरदान है। उसकी कुछ छीटें भी मिल जाए तो जीवन धन्य है।’
हिंदी सिनेमा के वैसे तो तमाम कलाकारों से उनकी खूब जमी लेकिन अमरीश पुरी के साथ जमने वाली महफिलों का जिक्र वह अक्सर करते। उनके मुताबिक इंसान को संगीत का सहारा मिल जाए तो उसे फिर किसी मुश्किल का ख्याल नहीं रहता। कोलकाता यात्रा में बाप्पा भी उनके साथ थे। ये पूछने पर कि अपनी विरासत में क्या क्या वह अपने बेटे को दे चुके हैं। बप्पी लाहिड़ी बोले, ‘कोई किसी को कुछ दे नहीं सकता। ये तो खुद आगे बढ़कर लेना होता है। पिता के तौर पर जो कुछ मैं सिखा सकता था। वह सिखा दिया। इन्होंने सीखा कितना। आप इनसे पूछिए।’ बाप्पा की बातों में इस बात का दर्द दिखा भी कि वह अपने पिता की चाहना के मुताबिक उनके शागिर्द नहीं बन पाए।