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420 IPC Movie Review: जी5 की क्रिएटिव टीम ने फिर लगाया गोता, ग्राहकों को परोसी ‘जॉली एलएलबी’ की घटिया कॉपी

Movie Review

420 आईपीसी

कलाकार

विनय पाठक
,
रणवीर शौरी
,
गुल पनाग
और
रोहन मेहरा

लेखक

मनीष गुप्ता

निर्देशक

मनीष गुप्ता

निर्माता

राजेश केजरीवाल
और
गुरपाल सचर

हिंदी के दर्शक फॉर्मूला फिल्ममेकिंग दशकों से उलझे हुए हैं। ओटीटी के आने से उम्मीद बंधी थी कि अब बॉक्स ऑफिस का दबाव झेले बिना हिंदी सिनेमा के निर्माता निर्देशक कुछ ओरीजनल फिल्में डिजिटल के लिए बना पाएंगे। लेकिन, मामला यहां कुछ और ही हो गया है। बीते तीन चार साल से ये एक अजीब सा ढर्रा बन गया है कि जो फिल्म बाजार में सिनेमाघरों के लिए बिक न सके, उसे ओटीटी के ग्राहकों को टिका दो। ओटीटी मुफ्त का मीडियम नहीं है। इसके लिए दर्शक एक तयशुदा रकम देता है और ये बात सबसे पहले जिस ओटीटी को भारत में समझनी है वह जी5 है। वैसे तो इसका भविष्य ही सोनी कंपनी के साथ जी कंपनी की हुई डील के बाद अनिश्चित ही है लेकिन सोनी लिव और जी5 दोनों अगर मिल भी जाएंगे तो एक ‘गुल्लक’, एक ‘स्कैम’ या एक ‘राधे’ से उनका भला होने वाला नहीं अगर इनकी क्रिएटिव टीम ‘420 आईपीसी’ जैसी फिल्में अपने ग्राहकों को परोसती रही।

फिल्म ‘420 आईपीसी’ एक टैम्पलेट फिल्म है। यानी कि एक ऐसी फिल्म जिसे चेकलिस्ट के बक्से टिक करके बनाया गया हो। हर ओटीटी को अपनी सामग्री में कुछ कहानियां कानून से जुड़ी चाहिए होती हैं। वूट पर हिट हुए ‘इललीगल’ के सीजन 2 के बाद इनकी मांग और बढ़ने वाली है और जी5 को भी कुछ नहीं सूझा तो वह इस टैम्पलेट की सीरीज की बजाय फिल्म ही ले आए। एक धुरंधर नामी वकील, उसके सामने एक बच्चा सा वकील। बीच में किसी मोटे आसामी का केस और गुनाह का इशारा एक ऐसे शख्स पर जो पहली नजर में निर्दोष ही दिखता हो। कानून पर बन रही सीरीज और फिल्मों का ये मोटा मोटा तयशुदा फॉर्मूला है।

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