वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हांगकांग
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Fri, 07 Jan 2022 09:57 AM IST
सार
चीन और हांगकांग ऐसे देश हैं, जो ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ पर काम कर रहे हैं। यहां पर आइसोलेशन के नियम दुनिया के अन्य देशों से कहीं ज्यादा कठिन हैं।
आइसोलेशन वार्ड
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
लंदन से हांगकांग पहुंचे एक व्यक्ति में कोरोना संक्रमण पाया गया था। इसके बाद उन्हें आइसोलेट कर दिया गया। आइसोलेशन वार्ड में रहते हुए उन्हें तीन सप्ताह से ज्यादा समय हो चुका है, इसके बावजूद वह सभी से अलग-थलग हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वह व्यक्ति 19 दिसंबर को लंदन से हांगकांग पहुंचा था। कोरोना की दोनों डोज के अलावा उसने बूस्टर खुराक भी ली थी। लंदन में हवाई जहाज में बैठने से पहले उसने कोरोना जांच करवाई थी। रिपोर्ट निगेटिव आई थी। हालांकि, हांगकांग पहुंचते ही वह संक्रमित हो गया और तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी आइसोलेशन में है।
कैसे बीतता है पूरा दिन
कोरोना संक्रमित ने बताया कि वह 24 घंटे एक बंद कमरे में बिताता है। सीएनएन ने एक रिपोर्ट में संक्रमित के हवाले से लिखा है कि उन्हें यह नहीं पता है कि वह यहां से कब निकल पाएंगे। वह ऐसा महसूस कर रहे हैं कि वह स्कूल में वापस आ गए हों। जहां आपके सुबह उठने, सोने और खाने का समय नियंत्रित है।
अस्पताल द्वारा निर्धारित की गई है दिनचर्या
हांगकांग के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के लिए दिनचर्या निर्धारित की गई है। सुबह आठ बजे एक अलार्म के माध्यम से उन्हें उठाया जाता है। उन्हें नियत समय पर भोजन दिया जाता है। बाकी दिन नेटफ्लिक्स व सोशल मीडिया पर बीतता है। इन संक्रमित व्यक्तियों के लिए दोपहर का वक्त गुजारना मुश्किल होता है, क्योंकि वह तब तक सोशल मीडिया व नेटफ्लिक्स से भी ऊब चुके होते हो।
दो बार निगेटिव रिपोर्ट के बाद भी दो सप्ताह का आइसोलेशन
हांगकांग में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए विशेष नियम बनाया गया है। आइसोलेशन वार्ड में रहते हुए उनकी दो बार निगेटिव रिपोर्ट आनी चाहिए। इसके बाद उन्हें फिर से दो सप्ताह के लिए अलग रखा जाएगा। इसके बाद ही उन्हें बाहर निकलने की अनुमति है। ऐसे मामलों में डॉक्टरों को भी नहीं पता है कि वह वापस बाहर कब आएंगे।
