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'हमारे कदम का राजनीतिक मकसद नहीं': गलवान घाटी मुठभेड़ में शामिल जवान को मशाल वाहक बनाने पर चीन की सफाई

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 07 Feb 2022 09:01 PM IST

सार

चीन ने अत्यधिक सक्रियता से कदम उठाते हुए पीएलए के रेजिमेंटल कमांडर ची फबाओ को ओलंपिक गेम्स टॉर्च रिले के लिए मशाल वाहक बनाया था। इसके चलते भारत ने खेल के उद्घाटन समारोह का राजनयिक स्तर पर बहिष्कार किया। 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान (फाइल फोटो)
– फोटो : Twitter

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विस्तार

चीन ने गलवान घाटी में जून 2020 में हुई मुठभेड़ का हिस्सा रहे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक सैनिक को शीतकालीन ओलंपिक के लिए मशाल वाहक के तौर पर उतारने के कदम का बचाव किया है। इस मुद्दे पर चौतरफा आलोचना झेल रहे चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को विवादों पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मशाल वाहक के लिए चयन ‘मानदंडों’ को पूरा करता है। चीन ने कहा कि उसके (मशाल वाहक के) चयन को हमारे लक्ष्य और और तर्क के आधार पर देखा जाना चाहिए।

चीन ने अत्यधिक सक्रियता से कदम उठाते हुए पीएलए के रेजिमेंटल कमांडर ची फबाओ को ओलंपिक गेम्स टॉर्च रिले के लिए मशाल वाहक बनाया था। इसके चलते भारत ने खेल के उद्घाटन समारोह का राजनयिक स्तर पर बहिष्कार किया। गौरतलब है कि फबाओ जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान घायल हो गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कमांडर को सम्मानित करने के चीन के कदम को खेदजनक बताया था। शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने भी चीन के इस कदम को ‘शर्मनाक’ और ‘जानबूझ कर उकसाने वाला’ बताया है।

यहां सोमवार को प्रेस वार्ता में यह पूछे जाने पर कि क्या फबाओ को मशाल रिले में उतारना चीन के इस दृष्टिकोण के खिलाफ गया है कि ओलंपिक को खाई पाटनी चाहिए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘‘मैं जोर देते हुए यह कहना चाहता हूं कि बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के मशाल वाहक व्यापक रूप से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वे सभी संबद्ध मानदंडों को पूरा करते हैं। ’’

यह पूछे जाने पर कि क्या इस कदम ने भारत की संवेदनशीलताओं की अनदेखी की है, झाओ ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष इसे एक तर्कसंगत तरीके से देख सकते हैं। एक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से इसका ज्यादा मतलब नहीं निकालना चाहिए।’’

गौरतलब है कि गलवान झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मियों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे। इसे भारत और चीन के बीच पिछले कुछ दशकों में सबसे गंभीर सैन्य टकराव माना जाता है। चीन ने पिछले साल फरवरी में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि पांच चीनी सैन्यकर्मी गलवान झड़प में मारे गये थे।

 

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