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सुप्रीम कोर्ट: रिश्ता नहीं रखने वाली बेटी, पिता से किसी तरह का खर्च लेने की हकदार नहीं

एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 18 Mar 2022 04:46 AM IST

सार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेटी के रुख से साफ जाहिर होता है कि वह अपने पिता से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। उसे आगे की राह चुनने का पूरा अधिकार है। उसे किससे रिश्ता रखना है, यह उसका फैसला है। उक्त मामले में वह पिता से किसी तरह का खर्च लेने की हकदार भी नहीं होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा, अगर कोई बेटी अपने पिता से किसी तरह का रिश्ता नहीं रखना चाहती तो, वह उससे किसी भी तरह का खर्चा लेने की हकदार भी नहीं होगी।जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने तलाक की एक अर्जी पर आदेश में यह टिप्पणी की।

पीठ ने याचिकाकर्ता पति को रिश्तों में कड़वाहट के कारण उसकी पत्नी से तलाक की अनुमति दे दी। साथ ही उसे दो महीने के अंदर 10 लाख रुपये कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया, यह रकम उसकी पत्नी को आगे के रखरखाव के लिए दिया जाएगा।

पीठ ने इस दौरान उसकी 20 वर्षीय बेटी की शिक्षा व शादी के खर्चे को लेकर स्पष्ट कहा, बेटी के रुख से साफ जाहिर होता है कि वह अपने पिता से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। उसे आगे की राह चुनने का पूरा अधिकार है। उसे किससे रिश्ता रखना है, यह उसका फैसला है। उक्त मामले में वह पिता से किसी तरह का खर्च लेने की हकदार भी नहीं होगी। हालांकि अगर पिता चाहे तो वह अपनी बेटी के लिए पैसे दे सकता है, इसमें कोर्ट को कोई समस्या नहीं। 

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा, अगर कोई बेटी अपने पिता से किसी तरह का रिश्ता नहीं रखना चाहती तो, वह उससे किसी भी तरह का खर्चा लेने की हकदार भी नहीं होगी।जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने तलाक की एक अर्जी पर आदेश में यह टिप्पणी की।

पीठ ने याचिकाकर्ता पति को रिश्तों में कड़वाहट के कारण उसकी पत्नी से तलाक की अनुमति दे दी। साथ ही उसे दो महीने के अंदर 10 लाख रुपये कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया, यह रकम उसकी पत्नी को आगे के रखरखाव के लिए दिया जाएगा।

पीठ ने इस दौरान उसकी 20 वर्षीय बेटी की शिक्षा व शादी के खर्चे को लेकर स्पष्ट कहा, बेटी के रुख से साफ जाहिर होता है कि वह अपने पिता से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। उसे आगे की राह चुनने का पूरा अधिकार है। उसे किससे रिश्ता रखना है, यह उसका फैसला है। उक्त मामले में वह पिता से किसी तरह का खर्च लेने की हकदार भी नहीं होगी। हालांकि अगर पिता चाहे तो वह अपनी बेटी के लिए पैसे दे सकता है, इसमें कोर्ट को कोई समस्या नहीं। 

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