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सुप्रीम कोर्ट ने कहा : ऑनर किलिंग मामले को हल्के में नहीं ले सकते, यूपी सरकार से जवाब मांगा

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Sat, 02 Apr 2022 05:41 AM IST

सार

पीठ ने कहा, यह ऑनर किलिंग का मामला है और हम इसे हल्के में नहीं ले सकते। पीठ ने हालांकि कहा, क्या हमें इस याचिका पर केवल इस आधार पर विचार करना चाहिए कि मणिकांत मिश्रा ने शादी का विरोध किया था। कोई विशेष आरोप नहीं हैं। एफआईआर में यह नहीं कहा गया है कि वह घटना के वक्त वहां मौजूद था या नहीं। पीठ ने कहा कि इस मामले में उसे ‘भूसे से अनाज अलग’ करना होगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह ऑनर किलिंग मामले को हल्के में नहीं ले सकता। उसने एक महिला द्वारा चाचा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। चाचा ने अंतरजातीय विवाह पर पिछले साल महिला के पति की हत्या की कथित तौर पर साजिश रची थी।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी करने से पहले याचिकाकर्ता दीप्ति मिश्रा की ओर से पेश वकील एमएस आर्य से कड़े सवाल किए। 24 जुलाई 2021 को दीप्ति के पति व गोरखपुर जिले के उरवा ब्लॉक में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी अनीश कुमार की हत्या कर दी गई थी। 

पीठ का मानना था कि प्राथमिकी में दीप्ति के चाचा के खिलाफ खासतौर पर कोई विशेष आरोप नहीं थे। प्राथमिकी में केवल यह कहा गया था कि चाचा ने शादी का विरोध किया था। वकील ने कहा, दीप्ति मिश्रा के चाचा मणिकांत मिश्रा और दो बेटे मारपीट में शामिल थे और पूर्व में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। इस संबंध में मृतक (महिला का पति) द्वारा कई शिकायतें दर्ज कराई गई थीं।

महिला ने याचिका में कहा है कि यह मामला ऑनर किलिंग से संबंधित है, जिसमें उसके पति को उसके रिश्तेदारों ने केवल इसलिए मार डाला था कि वह धोबी जाति का था और उसकी शादी एक ब्राह्मण लड़की से हुई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल 17 दिसंबर को मणिकांत मिश्रा को जमानत दी थी।

भूसे से अनाज अलग करना होगा..
पीठ ने कहा, यह ऑनर किलिंग का मामला है और हम इसे हल्के में नहीं ले सकते। पीठ ने हालांकि कहा, क्या हमें इस याचिका पर केवल इस आधार पर विचार करना चाहिए कि मणिकांत मिश्रा ने शादी का विरोध किया था। कोई विशेष आरोप नहीं हैं। एफआईआर में यह नहीं कहा गया है कि वह घटना के वक्त वहां मौजूद था या नहीं। पीठ ने कहा कि इस मामले में उसे ‘भूसे से अनाज अलग’ करना होगा।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह ऑनर किलिंग मामले को हल्के में नहीं ले सकता। उसने एक महिला द्वारा चाचा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। चाचा ने अंतरजातीय विवाह पर पिछले साल महिला के पति की हत्या की कथित तौर पर साजिश रची थी।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी करने से पहले याचिकाकर्ता दीप्ति मिश्रा की ओर से पेश वकील एमएस आर्य से कड़े सवाल किए। 24 जुलाई 2021 को दीप्ति के पति व गोरखपुर जिले के उरवा ब्लॉक में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी अनीश कुमार की हत्या कर दी गई थी। 

पीठ का मानना था कि प्राथमिकी में दीप्ति के चाचा के खिलाफ खासतौर पर कोई विशेष आरोप नहीं थे। प्राथमिकी में केवल यह कहा गया था कि चाचा ने शादी का विरोध किया था। वकील ने कहा, दीप्ति मिश्रा के चाचा मणिकांत मिश्रा और दो बेटे मारपीट में शामिल थे और पूर्व में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। इस संबंध में मृतक (महिला का पति) द्वारा कई शिकायतें दर्ज कराई गई थीं।

महिला ने याचिका में कहा है कि यह मामला ऑनर किलिंग से संबंधित है, जिसमें उसके पति को उसके रिश्तेदारों ने केवल इसलिए मार डाला था कि वह धोबी जाति का था और उसकी शादी एक ब्राह्मण लड़की से हुई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल 17 दिसंबर को मणिकांत मिश्रा को जमानत दी थी।

भूसे से अनाज अलग करना होगा..

पीठ ने कहा, यह ऑनर किलिंग का मामला है और हम इसे हल्के में नहीं ले सकते। पीठ ने हालांकि कहा, क्या हमें इस याचिका पर केवल इस आधार पर विचार करना चाहिए कि मणिकांत मिश्रा ने शादी का विरोध किया था। कोई विशेष आरोप नहीं हैं। एफआईआर में यह नहीं कहा गया है कि वह घटना के वक्त वहां मौजूद था या नहीं। पीठ ने कहा कि इस मामले में उसे ‘भूसे से अनाज अलग’ करना होगा।

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