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साल 2021: चीन ने इस वर्ष अपनी अर्थव्यवस्था को बिगाड़ा, नए साल में संभालने की कठिन चुनौती

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: अजय सिंह
Updated Wed, 22 Dec 2021 03:36 PM IST

सार

चीन के लिए एक अनुकूल स्थिति यह है कि वहां कोविड-19 महामारी फिलहाल काबू में है। चीन की जीरो कोविड की नीति उसके लिए फायदेमंद साबित हुई है।

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चीन में 2021 आर्थिक संकट का साल रहा। इस संकट को पैदा करने में खुद चीन सरकार का हाथ रहा, जिसने प्रोपर्टी, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और कोयला क्षेत्रों पर कड़ी कार्रवाई की। अब विश्लेषकों का कहना है कि अगले साल सरकार का ध्यान आर्थिक विकास दर को बढ़ाने पर रहेगा।

हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार ने इस साल अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कार्रवाई अपनी समाजवादी साख बहाल करने के लिए की। इसका असर देश की विकास दर पर पड़ा है। अमेरिका से बढ़ते तनाव का भी खराब असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इसे देखते हुए अब अगले साल विकास दर को संभालने की कड़ी चुनौती चीन सरकार के सामने होगी।

इन्वेस्टमेंट एजेंसी मैक्वायर कैपिटल के चीन में मुख्य अर्थशास्त्री लैरी हू के मुताबिक संकेत हैं कि चीन सरकार अगले साल जीडीपी की पांच फीसदी वृद्धि दर हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसलिए संभावना है कि 2022 में सरकार वैसी कार्रवाइयों से बचेगी, जिससे इस वर्ष चीनी अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। इस साल तीसरी तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर सिर्फ 4.9 फीसदी रही। जबकि दूसरी तिमाही में यहां वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही थी।

हू ने कहा- ‘ज्यादा संभावना इस बात की है कि सरकार ने उन क्षेत्रों तक ही अपनी कार्रवाई को सीमित रखेगी, जहां राजनीतिक प्रतिरोध होने की संभावना कम है और जिन क्षेत्रों का आर्थिक विकास पर कम असर होता है। मसलन, संभव है कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, बुजुर्गों की देखभाल और आम लोगों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में आवास बनाने की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करे।’

चीन के लिए एक अनुकूल स्थिति यह है कि वहां कोविड-19 महामारी फिलहाल काबू में है। चीन की जीरो कोविड की नीति उसके लिए फायदेमंद साबित हुई है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इस नीति का घरेलू उपभोग पर बुरा असर पड़ सकता है। यात्राओं पर प्रतिबंध, बार-बार लॉकडाउन आदि से सेवा क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। जापानी एजेंसी नोमुरा ने इसी महीने जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अगले साल चीन के निर्यात में काफी गिरावट आ सकती है।

चीनी अर्थव्यवस्था के जानकार ली यांग ने अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- ‘चीन के श्रम बाजार में भारी असंतुलन है। कार्बन उत्सर्जन घटाने की उसकी नीति से बड़ी संख्या में मजदूरों की नौकरी गई है। कोचिंग उद्योग पर कार्रवाई से भी बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैँ।’ देश के कुल रोजगार का 26 फीसदी हिस्सा प्रोपर्टी सेक्टर में रहा है। इस सेक्टर के कर्ज संकट में फंस जाने से बेरोजगारी की समस्या और गंभीर होने की आशंका है।

चीन के लिए सबसे बड़ी मुश्किल कारखाना क्षेत्र में आई मुश्किलें हैं। इस वर्ष बिजली संकट के कारण फैक्टरियों का उत्पादन गिरा है। इसे संभालना तब तक संभव नहीं है, जब तक चीन अपने ऊर्जा संकट को हल नहीं कर लेता। एसेंस सिक्युरिटीज के मुख्य अर्थशास्त्री गाओ शानवेन ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- चीन ऊर्जा संक्रमण के दौर में है। अक्षय ऊर्जा को अपनाते हुए उसके सामने यह सुनिश्चित करने की चुनौती है  कि संक्रमण काल में पर्याप्त ऊर्जा उपलब्ध रहे। 

विस्तार

चीन में 2021 आर्थिक संकट का साल रहा। इस संकट को पैदा करने में खुद चीन सरकार का हाथ रहा, जिसने प्रोपर्टी, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और कोयला क्षेत्रों पर कड़ी कार्रवाई की। अब विश्लेषकों का कहना है कि अगले साल सरकार का ध्यान आर्थिक विकास दर को बढ़ाने पर रहेगा।

हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार ने इस साल अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कार्रवाई अपनी समाजवादी साख बहाल करने के लिए की। इसका असर देश की विकास दर पर पड़ा है। अमेरिका से बढ़ते तनाव का भी खराब असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इसे देखते हुए अब अगले साल विकास दर को संभालने की कड़ी चुनौती चीन सरकार के सामने होगी।

इन्वेस्टमेंट एजेंसी मैक्वायर कैपिटल के चीन में मुख्य अर्थशास्त्री लैरी हू के मुताबिक संकेत हैं कि चीन सरकार अगले साल जीडीपी की पांच फीसदी वृद्धि दर हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसलिए संभावना है कि 2022 में सरकार वैसी कार्रवाइयों से बचेगी, जिससे इस वर्ष चीनी अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। इस साल तीसरी तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर सिर्फ 4.9 फीसदी रही। जबकि दूसरी तिमाही में यहां वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही थी।

हू ने कहा- ‘ज्यादा संभावना इस बात की है कि सरकार ने उन क्षेत्रों तक ही अपनी कार्रवाई को सीमित रखेगी, जहां राजनीतिक प्रतिरोध होने की संभावना कम है और जिन क्षेत्रों का आर्थिक विकास पर कम असर होता है। मसलन, संभव है कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, बुजुर्गों की देखभाल और आम लोगों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में आवास बनाने की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करे।’

चीन के लिए एक अनुकूल स्थिति यह है कि वहां कोविड-19 महामारी फिलहाल काबू में है। चीन की जीरो कोविड की नीति उसके लिए फायदेमंद साबित हुई है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इस नीति का घरेलू उपभोग पर बुरा असर पड़ सकता है। यात्राओं पर प्रतिबंध, बार-बार लॉकडाउन आदि से सेवा क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। जापानी एजेंसी नोमुरा ने इसी महीने जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अगले साल चीन के निर्यात में काफी गिरावट आ सकती है।

चीनी अर्थव्यवस्था के जानकार ली यांग ने अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- ‘चीन के श्रम बाजार में भारी असंतुलन है। कार्बन उत्सर्जन घटाने की उसकी नीति से बड़ी संख्या में मजदूरों की नौकरी गई है। कोचिंग उद्योग पर कार्रवाई से भी बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैँ।’ देश के कुल रोजगार का 26 फीसदी हिस्सा प्रोपर्टी सेक्टर में रहा है। इस सेक्टर के कर्ज संकट में फंस जाने से बेरोजगारी की समस्या और गंभीर होने की आशंका है।

चीन के लिए सबसे बड़ी मुश्किल कारखाना क्षेत्र में आई मुश्किलें हैं। इस वर्ष बिजली संकट के कारण फैक्टरियों का उत्पादन गिरा है। इसे संभालना तब तक संभव नहीं है, जब तक चीन अपने ऊर्जा संकट को हल नहीं कर लेता। एसेंस सिक्युरिटीज के मुख्य अर्थशास्त्री गाओ शानवेन ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा- चीन ऊर्जा संक्रमण के दौर में है। अक्षय ऊर्जा को अपनाते हुए उसके सामने यह सुनिश्चित करने की चुनौती है  कि संक्रमण काल में पर्याप्त ऊर्जा उपलब्ध रहे। 

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