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साधा निशाना: जो बाइडन ने कहा- चीनी राष्ट्रपति ने जी-20 और कॉप26 में शामिल न होकर एक बड़ी गलती की

एएनआई, वाशिंगटन
Published by: Jeet Kumar
Updated Wed, 03 Nov 2021 01:37 AM IST

सार

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन कॉप 26 को दुनिया के लिए काफी अहम माना जा रहा है। कार्बन उत्सर्जन में चीन का काफी योगदान है। लेकिन चीन के मुखिया का सम्मेलन में मौजूद न होना जाहिर तौर पर सवाल खड़ करता है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन
– फोटो : पीटीआई

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चीन और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर शीतयुद्ध चल रहा है। दोनों देश एक दूसरे पर निशाना साधने से नहीं चूकते। अब अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने चीन के राष्ट्रपति पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग ने जी-20, कॉप26 में शामिल न होकर एक बड़ी गलती की।

बाइडन ने रूस और चीन के जी-20, कॉप26 में शामिल न होने पर कहा कि मुझे लगता है कि यह एक बड़ी गलती हो गई है। दुनिया चीन की ओर देखेगी और कहेगी कि उन्होंने क्या मूल्य वर्धित किया। उन्होंने यहां सीओपी में दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करने की क्षमता खो दी है। उसी तरह मैं रूस के संबंध में तर्क दूंगा।

20 माह से चीन के बाहर नहीं निकले जिनपिंग, सत्ता खोने का डर भी वजह
रोम में जी-20 देशों की बैठक और ग्लासगो में जलवायु वार्ता में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हिस्सा नहीं लिया। बीते 20 महीने से जिनपिंग ने चीन के बाहर कदम नहीं रखा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से आज तक आमने-सामने मुलाकात नहीं की है। चीन सरकार ने खुद तो नहीं कहा, लेकिन कुछ जानकार इसकी वजह कोरोना महामारी बता रहे हैं। लेकिन खबर यह भी है कि जिनपिंग देश की सत्ता पर नियंत्रण बचाने में जुटे हैं।

अगले साल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस है। यहां जिनपिंग पांच और साल के लिए खुद को चीन का लीडर बरकरार रख सकते हैं। इसके लिए वह अभी से अंदरूनी राजनीति साध रहे हैं। चीन पर अध्ययनरत रोडियम समूह के नोआ बर्किन इसे ‘बंकर मानसिकता’ का उदाहरण बताते हैं।

बाइडन का 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को घटाने का वादा
सीनेट में बिल्ड बैक बेटर पैकेज से जुड़े बिल के पारित होने के लिए जरूरी है कि पूरी डेमोक्रेटिक पार्टी एकजुट रहे। 100 सदस्यीय सदन में पार्टी के 50 सदस्य हैं। इसके अलावा उप-राष्ट्रपति का एक अतिरिक्त वोट उसके पास है। अगर पार्टी एकजुट रहे, तो वह इस बिल को पारित करवा सकती है।

लेकिन मेंचिन के ताजा विरोध के बाद अब इसकी संभावना फिर धूमिल हो गई है। अब सारी निगाहें प्रोग्रेसिव धड़े पर हैं। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस धड़े ने अपना रुख नरम किया, तो उससे उसकी छवि खराब होगी। साथ ही देश के प्रगतिशील जन संगठनों का विरोध उसे झेलना पड़ सकता है।

विस्तार

चीन और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर शीतयुद्ध चल रहा है। दोनों देश एक दूसरे पर निशाना साधने से नहीं चूकते। अब अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने चीन के राष्ट्रपति पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग ने जी-20, कॉप26 में शामिल न होकर एक बड़ी गलती की।

बाइडन ने रूस और चीन के जी-20, कॉप26 में शामिल न होने पर कहा कि मुझे लगता है कि यह एक बड़ी गलती हो गई है। दुनिया चीन की ओर देखेगी और कहेगी कि उन्होंने क्या मूल्य वर्धित किया। उन्होंने यहां सीओपी में दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करने की क्षमता खो दी है। उसी तरह मैं रूस के संबंध में तर्क दूंगा।

20 माह से चीन के बाहर नहीं निकले जिनपिंग, सत्ता खोने का डर भी वजह

रोम में जी-20 देशों की बैठक और ग्लासगो में जलवायु वार्ता में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हिस्सा नहीं लिया। बीते 20 महीने से जिनपिंग ने चीन के बाहर कदम नहीं रखा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से आज तक आमने-सामने मुलाकात नहीं की है। चीन सरकार ने खुद तो नहीं कहा, लेकिन कुछ जानकार इसकी वजह कोरोना महामारी बता रहे हैं। लेकिन खबर यह भी है कि जिनपिंग देश की सत्ता पर नियंत्रण बचाने में जुटे हैं।

अगले साल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस है। यहां जिनपिंग पांच और साल के लिए खुद को चीन का लीडर बरकरार रख सकते हैं। इसके लिए वह अभी से अंदरूनी राजनीति साध रहे हैं। चीन पर अध्ययनरत रोडियम समूह के नोआ बर्किन इसे ‘बंकर मानसिकता’ का उदाहरण बताते हैं।

बाइडन का 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को घटाने का वादा

सीनेट में बिल्ड बैक बेटर पैकेज से जुड़े बिल के पारित होने के लिए जरूरी है कि पूरी डेमोक्रेटिक पार्टी एकजुट रहे। 100 सदस्यीय सदन में पार्टी के 50 सदस्य हैं। इसके अलावा उप-राष्ट्रपति का एक अतिरिक्त वोट उसके पास है। अगर पार्टी एकजुट रहे, तो वह इस बिल को पारित करवा सकती है।

लेकिन मेंचिन के ताजा विरोध के बाद अब इसकी संभावना फिर धूमिल हो गई है। अब सारी निगाहें प्रोग्रेसिव धड़े पर हैं। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस धड़े ने अपना रुख नरम किया, तो उससे उसकी छवि खराब होगी। साथ ही देश के प्रगतिशील जन संगठनों का विरोध उसे झेलना पड़ सकता है।

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