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सहमति: 2017 से जारी राजनयिक विवाद खत्म करने को दोहा पहुंचे सऊदी क्राउन प्रिंस, पढ़ें दुनिया की चार खबरें

सार

2017 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, बहरीन और मिस्र ने कतर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उसके साथ राजनयिक रिश्ते खत्म कर लिए थे।

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान
– फोटो : Instagram/Prince Mohammed bin Salman

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मध्य-पूर्व स्थित फारस की खाड़ी में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कतर और सऊदी अरब में सहमति बन गई है। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने पुष्टि की है कि वे इस क्षेत्र में सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखने के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल-सऊद के साथ हैं।

कतर के साथ दोनों देशों के बीच 2017 से जारी राजनयिक विवाद को खत्म करने के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बुधवार देर रात दोहा पहुंचे थे। थानी ने ट्वीट किया, हम क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने की अपनी संयुक्त इच्छा की पुष्टि करते हैं।

बता दें, 2017 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, बहरीन और मिस्र ने कतर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उसके साथ राजनयिक रिश्ते खत्म कर लिए थे। कई दूसरे देशों ने भी इसके बाद ऐसे ही कदम उठाए और कतर को आयात-निर्यात तक के लिए सुदूर बंदरगाहों का इस्तेमाल करना पड़ा। 

भारतीय नौका ने बचाई चार श्रीलंकाई मछुआरों की जान
मछली पकड़ने वाले एक भारतीय जहाज ने चार श्रीलंकाई मछुआरों की जान बचाई। उनकी नौका गहरे पानी में फंस गई थी। भारतीय उच्चायोग ने बृहस्पतिवार को दोनों देशों के बीच सद्भावना व दोस्ती को रेखांकित करते हुए बताया कि श्रीलंका की मछली पकड़ने वाली नौका लूलू-01, पंजीकरण संख्या आईएमयूएल-ए-0039-टीएलई दो दिसंबर 2021 को गहरे पानी में फंस गई थी।

बयान में कहा गया, मछली पकड़ने वाली एक भारतीय नौका पर सवार लोगों ने उसे चेन्नई के उत्तर में 24 समुद्री मील पर देखा। श्रीलंकाई नौका पर सवार लोगों की सुरक्षा के लिए वे उनकी ओर बढ़े और फिर उसे खींचते हुए तमिलनाडु के कट्टूपल्ली में अडानी पोर्ट पर सुरक्षित ले आए। भारतीय मिशन ने कहा, श्रीलंकाई नौका पर सवार चालक दल के चारों सदस्य सुरक्षित हैं और भारतीय अधिकारियों ने उन्हें जरूरी मदद मुहैया कराई हैं।

माली में आईईडी हमला, यूएन के 7 शांतिरक्षकों की मौत
मध्य माली में एक आईईडी धमाके के दौरान संयुक्त राष्ट्र के सात शांतिरक्षकों की मौत हो गई और तीन गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हमले के साथ ही संघर्ष ग्रस्त पश्चिमी अफ्रीकी देश में इस साल जान गंवाने वाले शांतिरक्षकों की संख्या 19 हो गई है। 

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बताया कि हताहत हुए सभी शांतिरक्षक टोगो से थे। वहीं, संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा विभाग ने बताया कि माली में इस साल शांतिरक्षकों पर हुआ यह सबसे बड़ा हमला है, जिसमें सर्वाधिक सात लोगों की मौत हुई है। माली 2012 से इस्लामी चरमपंथ से जूझ रहा है।

फ्रांस के नेतृत्व वाले सैन्य अभियान की मदद से चरमपंथी विद्रोहियों को माली के उत्तरी शहरों में सत्ता से बेदखल कर दिया गया था, लेकिन वे रेगिस्तान में फिर से एकजुट हो गए और माली की सेना तथा उसके सहयोगियों पर हमले शुरू कर दिए।

दुजारिक ने बताया कि आईईडी बांदियागरा क्षेत्र में फटा और टोगो से शांतिरक्षकों को ले जा रहा वाहन इसकी चपेट में आ गया। ये सभी शांतिरक्षक डोंट्जा से सेवारे जाने वाले संयुक्त राष्ट्र के रसद काफिले का हिस्सा थे।

ग्वादर में चीन को सैन्य ठिकाने की कोई अनुमति नहीं : पाक एनएसए
बलोचिस्तान में चीन के लगातार निवेश के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद यूसुफ ने कहा है कि हमने रणनीतिक ग्वादर बंदरगाह में चीन को किसी भी सैन्य अड्डे की पेशकश नहीं की है। यूसुफ ने दोहराया कि 60 अरब डॉलर की चीन-पाक आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना में कोई भी देश निवेश कर सकता है।

बता दें कि अरब सागर स्थित ग्वादर बंदरगाह को पाकिस्तान लंब समय से सीपीईसी के सबसे बेहतर परियोजना के रूप में रेखांकित करता रहा है। लेकिन इस प्रक्रिया में शहर का अशांत होना सुरक्षा पर कई सवाल उठाता रहा है।

पाकिस्तानी एनएसए ने बीबीसी के हार्डटॉक के लिए स्टीफन साकर के साथ एक इंटरव्यू में कहा, इस क्षेत्र में चीन को किसी सैन्य अड्डे की अनुमति नहीं दी गई है। युसूफ ने कहा है कि पाकिस्तान में चीन का आर्थिक ठिकाना है और इस क्षेत्र में अमेरिका, रूस व मध्य-पूर्वी देशों को भी पेशकश की गई थी। पाकिस्तान सभी देशों के लिए खुला हुआ है। 

दुनिया का सबसे बड़ा प्रिंटर जर्मनी के पास
जर्मनी में दुनिया का सबसे बड़ा प्रिंटर बर्लिन शहर में स्थापित किया गया है। यह प्रिंटर 50 मीटर लंबे कपड़े को पलक झपकते ही प्रिंट कर सकता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि प्रिंटर को कंप्यूटर से अटैच करके कई तरह की डिजाइनों को एक साथ छापा जा सकता है।

विस्तार

मध्य-पूर्व स्थित फारस की खाड़ी में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कतर और सऊदी अरब में सहमति बन गई है। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने पुष्टि की है कि वे इस क्षेत्र में सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखने के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल-सऊद के साथ हैं।

कतर के साथ दोनों देशों के बीच 2017 से जारी राजनयिक विवाद को खत्म करने के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बुधवार देर रात दोहा पहुंचे थे। थानी ने ट्वीट किया, हम क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने की अपनी संयुक्त इच्छा की पुष्टि करते हैं।

बता दें, 2017 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, बहरीन और मिस्र ने कतर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उसके साथ राजनयिक रिश्ते खत्म कर लिए थे। कई दूसरे देशों ने भी इसके बाद ऐसे ही कदम उठाए और कतर को आयात-निर्यात तक के लिए सुदूर बंदरगाहों का इस्तेमाल करना पड़ा। 

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