Desh

सहकारिता सम्मेलन : शाह ने कहा- सहकारिता आंदोलन से 50 खरब की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य कर सकते हैं हासिल

सार

इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में आयोजित सम्मेलन में शाह ने कहा, सरकार जल्द ही नई सहकारिता नीति लेकर आएगी और राज्यों के साथ सहकारिता आंदोलन को मजबूत किया जाएगा। सहकारिता आंदोलन से पीएम मोदी के 50 खरब की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।
 

ख़बर सुनें

देश के पहले सहकारिता सम्मेलन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा, गरीबों के कल्याण एवं उत्थान का एक मात्र रास्ता सहकारिता है। सरकार जल्द ही नई सहकारिता नीति लेकर आएगी और राज्यों के साथ सहकारिता आंदोलन को मजबूत किया जाएगा। शाह ने कहा, सहकारिता आंदोलन से पीएम मोदी के 50 खरब की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। जुलाई में ही सहकारिता मंत्रालय का गठन किया था।

सहकारिता सम्मेलन : शाह बोले, नई नीति से समृद्ध होगा देश
इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में आयोजित सम्मेलन में शाह ने कहा, पीएम मोदी के सहकार से समृद्धि के मंत्र से हम आजादी के अमृत महोत्सव में सहकारिता आंदोलन की नींव रख रहे हैं। इससे पूरे देश की समृद्धि की राह प्रशस्त होगी।

हमारा लक्ष्य देश के हर परिवार को सहकारिता आंदोलन के जरिये खुशहाली देना है। उन्होंने उपस्थित समितियों से आंदोलन को जारी रखने की अपील की। इसका आयोजन इफ्को, राष्ट्रीय सहकारिता संघ, अमूल, सहकार भारती, नाफेड व अन्य संगठनों ने किया।

छह करोड़ सहकारिता कार्यकर्ता देशभर में इस आयोजन से वीडियो लिंक के जरिये जुड़े। शाह ने कहा, दृढ़ संकल्प, स्पष्ट इरादा, कड़ी मेहनत व काम में एकता सहकारिता आंदोलन की सफलता के चार मंत्र हैं। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी 2002 में एक सहकारिता नीति लेकर आए थे। मोदी सरकार अब उसमें जरूरी सुधार और नए पहलू जोड़कर नई नीति तैयार करेगी।

नई सहकारिता नीति में ये शामिल

  • पांच साल में हर गांव के लिए एक पीएसी का लक्ष्य, अभी दस गांवों पर है एक
  • बहु राज्य सहकारिता अधिनियम होगा
  • पीएसी में डिजिटल मोड में होगा काम
  • स्थानीय भाषा को दी जाएगी तरजीह
  • सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषा में, पीएसी खाते जिला सहकारी बैंकों व नाबार्ड से जुड़ेंगे
  • प्राथमिक सहकारी समितियों को किसान उत्पादक संगठन में बदला जाएगा
कर समस्या का निदान
शाह ने कहा, सहकारी समितियों को कर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मैं भरोसा दिलाता हूं कि इनका समाधान होगा आपके साथ अन्याय किसी सूरत में नहीं होगा। अब समय बदलाव का है, हम इसे और मजबूत बनाएंगे।

सहकारिता हमारी संस्कृति का हिस्सा
शाह ने कहा, तमाम देशों में सहकारी समितियां कानून के जरिये बनाई गईं। हमारे यहां तो यह संस्कृति का हिस्सा है। इफ्को, अमूल, लिज्जत पापड़ जैसी सहकारी संस्थाएं दूध, खाद जैसे क्षेत्रों में मील का पत्थर साबित हुई हैं। अभी बीज, खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में भी इनके लिए मौके हैं, यहां भी निश्चित रूप से लाभ होगा। यह वक्त नकारने का नहीं बल्कि प्राथमिकता देने की है। हमें बस बेहतर शुरुआत करनी है।

विस्तार

देश के पहले सहकारिता सम्मेलन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा, गरीबों के कल्याण एवं उत्थान का एक मात्र रास्ता सहकारिता है। सरकार जल्द ही नई सहकारिता नीति लेकर आएगी और राज्यों के साथ सहकारिता आंदोलन को मजबूत किया जाएगा। शाह ने कहा, सहकारिता आंदोलन से पीएम मोदी के 50 खरब की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। जुलाई में ही सहकारिता मंत्रालय का गठन किया था।

सहकारिता सम्मेलन : शाह बोले, नई नीति से समृद्ध होगा देश

इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में आयोजित सम्मेलन में शाह ने कहा, पीएम मोदी के सहकार से समृद्धि के मंत्र से हम आजादी के अमृत महोत्सव में सहकारिता आंदोलन की नींव रख रहे हैं। इससे पूरे देश की समृद्धि की राह प्रशस्त होगी।

हमारा लक्ष्य देश के हर परिवार को सहकारिता आंदोलन के जरिये खुशहाली देना है। उन्होंने उपस्थित समितियों से आंदोलन को जारी रखने की अपील की। इसका आयोजन इफ्को, राष्ट्रीय सहकारिता संघ, अमूल, सहकार भारती, नाफेड व अन्य संगठनों ने किया।

छह करोड़ सहकारिता कार्यकर्ता देशभर में इस आयोजन से वीडियो लिंक के जरिये जुड़े। शाह ने कहा, दृढ़ संकल्प, स्पष्ट इरादा, कड़ी मेहनत व काम में एकता सहकारिता आंदोलन की सफलता के चार मंत्र हैं। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी 2002 में एक सहकारिता नीति लेकर आए थे। मोदी सरकार अब उसमें जरूरी सुधार और नए पहलू जोड़कर नई नीति तैयार करेगी।

नई सहकारिता नीति में ये शामिल

  • पांच साल में हर गांव के लिए एक पीएसी का लक्ष्य, अभी दस गांवों पर है एक
  • बहु राज्य सहकारिता अधिनियम होगा
  • पीएसी में डिजिटल मोड में होगा काम
  • स्थानीय भाषा को दी जाएगी तरजीह
  • सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषा में, पीएसी खाते जिला सहकारी बैंकों व नाबार्ड से जुड़ेंगे
  • प्राथमिक सहकारी समितियों को किसान उत्पादक संगठन में बदला जाएगा

कर समस्या का निदान

शाह ने कहा, सहकारी समितियों को कर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मैं भरोसा दिलाता हूं कि इनका समाधान होगा आपके साथ अन्याय किसी सूरत में नहीं होगा। अब समय बदलाव का है, हम इसे और मजबूत बनाएंगे।

सहकारिता हमारी संस्कृति का हिस्सा

शाह ने कहा, तमाम देशों में सहकारी समितियां कानून के जरिये बनाई गईं। हमारे यहां तो यह संस्कृति का हिस्सा है। इफ्को, अमूल, लिज्जत पापड़ जैसी सहकारी संस्थाएं दूध, खाद जैसे क्षेत्रों में मील का पत्थर साबित हुई हैं। अभी बीज, खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में भी इनके लिए मौके हैं, यहां भी निश्चित रूप से लाभ होगा। यह वक्त नकारने का नहीं बल्कि प्राथमिकता देने की है। हमें बस बेहतर शुरुआत करनी है।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: