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समझौते पर हस्ताक्षर: परंपरागत चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए गुजरात में खुलेगा डब्ल्यूएचओ केंद्र, पीएम मोदी ने जताई खुशी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sat, 26 Mar 2022 10:49 AM IST

सार

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य विष विज्ञान, उपेक्षित (उष्णकटिबंधीय) रोग, दुर्लभ बीमारियों और पारस्परिक हित के किसी भी अन्य क्षेत्रों सहित चिकित्सा विज्ञान/स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना था।

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आयुष मंत्रालय द्वारा बीते शुक्रवार को गुजरात के जामनगर में भारत में पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर की स्थापना को अंतिम मंजूरी दे दी। इसके लिए मंत्रालय ने एक कार्यक्रम आयोजित कर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ कई समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। परंपरागत चिकित्सा पद्धति को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिलेगी और विश्व स्वास्थ्य मामलों में देश को नेतृत्व करने का मौका मिलेगा। वहीं इस समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताते हुए कहा कि भारत पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र बनने पर सम्मानित महसूस कर रहा है। यह केंद्र एक स्वस्थ ग्रह बनाने और वैश्विक भलाई के लिए हमारी समृद्ध पारंपरिक प्रथाओं का लाभ उठाने में योगदान देगा।

पारंपरिक दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभाव पर जोर
इस समझौते के जरिये परंपरागत चिकित्सा पद्धति को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिलेगी और विश्व स्वास्थ्य मामलों में देश को नेतृत्व करने का मौका मिलेगा। यह केंद्र डाटा एकत्र करने, विश्लेषण करने और प्रभाव का आकलन करने के लिए प्रासंगिक तकनीकी क्षेत्रों, उपकरणों और पद्धतियों में विकासशील मानदंड, मानक और दिशा-निर्देश तय करेगा। इसके अलावा यह पारंपरिक दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभाव और उनका तर्कसंगत उपयोग भी सुनिश्चित करेगा। बैठक के दौरान मंत्रिमंडल को आईसीएमआर और जर्मनी की डॉयचे फोर्सचुंग्सगेमइंशाफ्ट के बीच दिसंबर 2021 में हुए समक्षौते के बारे में भी बताया गया।

क्या हैं इसके मुख्य उद्देश्य
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य विष विज्ञान, उपेक्षित (उष्णकटिबंधीय) रोग, दुर्लभ बीमारियों और पारस्परिक हित के किसी भी अन्य क्षेत्रों सहित चिकित्सा विज्ञान/स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना था। इसके अलावा नवंबर 2021 में आईसीएमआर और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के बीच हुए करार के बारे में भी बताया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य भारतीय वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं के लिए क्षमता निर्माण था।

विस्तार

आयुष मंत्रालय द्वारा बीते शुक्रवार को गुजरात के जामनगर में भारत में पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर की स्थापना को अंतिम मंजूरी दे दी। इसके लिए मंत्रालय ने एक कार्यक्रम आयोजित कर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ कई समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। परंपरागत चिकित्सा पद्धति को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिलेगी और विश्व स्वास्थ्य मामलों में देश को नेतृत्व करने का मौका मिलेगा। वहीं इस समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताते हुए कहा कि भारत पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र बनने पर सम्मानित महसूस कर रहा है। यह केंद्र एक स्वस्थ ग्रह बनाने और वैश्विक भलाई के लिए हमारी समृद्ध पारंपरिक प्रथाओं का लाभ उठाने में योगदान देगा।

पारंपरिक दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभाव पर जोर

इस समझौते के जरिये परंपरागत चिकित्सा पद्धति को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिलेगी और विश्व स्वास्थ्य मामलों में देश को नेतृत्व करने का मौका मिलेगा। यह केंद्र डाटा एकत्र करने, विश्लेषण करने और प्रभाव का आकलन करने के लिए प्रासंगिक तकनीकी क्षेत्रों, उपकरणों और पद्धतियों में विकासशील मानदंड, मानक और दिशा-निर्देश तय करेगा। इसके अलावा यह पारंपरिक दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभाव और उनका तर्कसंगत उपयोग भी सुनिश्चित करेगा। बैठक के दौरान मंत्रिमंडल को आईसीएमआर और जर्मनी की डॉयचे फोर्सचुंग्सगेमइंशाफ्ट के बीच दिसंबर 2021 में हुए समक्षौते के बारे में भी बताया गया।

क्या हैं इसके मुख्य उद्देश्य

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य विष विज्ञान, उपेक्षित (उष्णकटिबंधीय) रोग, दुर्लभ बीमारियों और पारस्परिक हित के किसी भी अन्य क्षेत्रों सहित चिकित्सा विज्ञान/स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना था। इसके अलावा नवंबर 2021 में आईसीएमआर और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के बीच हुए करार के बारे में भी बताया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य भारतीय वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं के लिए क्षमता निर्माण था।

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