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संयुक्त राष्ट्र: भारत ने लश्कर-जैश में पनपते रिश्तों की चूक पर जताई आपत्ति, कहा- मुंबई व पठानकोट आतंकी हमले के पीड़ितों को न्याय नहीं मिला

एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 11 Feb 2022 12:41 AM IST

सार

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति सुरक्षा परिषद में ‘आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति-सुरक्षा के लिए खतरा’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, भारत को पाकिस्तानी आतंकी गुटों द्वारा 2008 के मुंबई व 2016 के पठानकोट हमलों का खामियाजा भुगतना पड़ा है और पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला है।

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भारत ने आईएस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट की नाकामी पर निराशा जताई है। इस रिपोर्ट में भारत द्वारा बार-बार इन चिंताओं के बावजूद पाक स्थित लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित आतंकी गुटों के बीच करीबी रिश्तों का जिक्र नहीं किया गया। भारत ने इस चूक पर आपत्ति जताई व कहा, हमने लंबे समय से सीमापार आतंक को झेला है और पीड़ितों को न्याय तक नहीं मिला।

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति सुरक्षा परिषद में ‘आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति-सुरक्षा के लिए खतरा’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, भारत को पाकिस्तानी आतंकी गुटों द्वारा 2008 के मुंबई व 2016 के पठानकोट हमलों का खामियाजा भुगतना पड़ा है और पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला है। उन्होंने भारत की दृढ़ मान्यता दोहराई कि दुनिया के एक भी हिस्से में यदि आतंकवाद है तो वह समूची दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।

तिरुमूर्ति ने कहा, भारत आतंकवाद की मानवीय कीमत से अवगत है और इन आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने पाक पर इशारा कर कहा, हमें नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका में 9/11 हमलों के 20 साल बाद भी ऐसे नेता हैं जो ओसामा बिन लादेन को शहीद कहकर उसका बचाव कर रहे हैं।

आतंक पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना
आईएस-दाएश के खतरों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस की 14वीं रिपोर्ट पर तिरुमूर्ति ने उन सभी पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई, जिन्होंने अफगानिस्तान, यूएई, इराक, सीरिया, कांगो और युगांडा में हाल के आतंकी हमलों में अपने प्रियजनों को खो दिया। उन्होंने अफगानिस्तान में आईएस के खतरे व देश पर तालिबान कब्जे के बाद सुरक्षा परिदृश्य में आए बदलाव का भी जिक्र किया।

अफगानिस्तान में आतंक की निंदा
तिरुमूर्ति ने निगरानी दल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, इस रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान अल-कायदा और कई आतंकी गुटों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन रहा है। रिपोर्ट में जिक्र है कि अफगानिस्तान में आईएस से संबद्ध लेवेंट-खोरासान गुट तथा अन्य विदेशी आतंकियों के बीच समन्वय बनाकर इस्लामी लड़ाकों की भर्ती की जा रही है। तिरुमूर्ति ने यहां आतंकियों को जेल से रिहा करने की भी निंदा की।

विस्तार

भारत ने आईएस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट की नाकामी पर निराशा जताई है। इस रिपोर्ट में भारत द्वारा बार-बार इन चिंताओं के बावजूद पाक स्थित लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित आतंकी गुटों के बीच करीबी रिश्तों का जिक्र नहीं किया गया। भारत ने इस चूक पर आपत्ति जताई व कहा, हमने लंबे समय से सीमापार आतंक को झेला है और पीड़ितों को न्याय तक नहीं मिला।

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति सुरक्षा परिषद में ‘आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति-सुरक्षा के लिए खतरा’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, भारत को पाकिस्तानी आतंकी गुटों द्वारा 2008 के मुंबई व 2016 के पठानकोट हमलों का खामियाजा भुगतना पड़ा है और पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला है। उन्होंने भारत की दृढ़ मान्यता दोहराई कि दुनिया के एक भी हिस्से में यदि आतंकवाद है तो वह समूची दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।

तिरुमूर्ति ने कहा, भारत आतंकवाद की मानवीय कीमत से अवगत है और इन आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने पाक पर इशारा कर कहा, हमें नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका में 9/11 हमलों के 20 साल बाद भी ऐसे नेता हैं जो ओसामा बिन लादेन को शहीद कहकर उसका बचाव कर रहे हैं।

आतंक पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना

आईएस-दाएश के खतरों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस की 14वीं रिपोर्ट पर तिरुमूर्ति ने उन सभी पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई, जिन्होंने अफगानिस्तान, यूएई, इराक, सीरिया, कांगो और युगांडा में हाल के आतंकी हमलों में अपने प्रियजनों को खो दिया। उन्होंने अफगानिस्तान में आईएस के खतरे व देश पर तालिबान कब्जे के बाद सुरक्षा परिदृश्य में आए बदलाव का भी जिक्र किया।

अफगानिस्तान में आतंक की निंदा

तिरुमूर्ति ने निगरानी दल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, इस रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान अल-कायदा और कई आतंकी गुटों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन रहा है। रिपोर्ट में जिक्र है कि अफगानिस्तान में आईएस से संबद्ध लेवेंट-खोरासान गुट तथा अन्य विदेशी आतंकियों के बीच समन्वय बनाकर इस्लामी लड़ाकों की भर्ती की जा रही है। तिरुमूर्ति ने यहां आतंकियों को जेल से रिहा करने की भी निंदा की।

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