बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Sat, 09 Apr 2022 06:13 PM IST
सार
लगभग 2.2 करोड़ की जनसंख्या वाले द्विपीय देश श्रीलंका की अर्थव्यवस्था इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। शनिवार को वित्त मंत्री अली साबरी ने बताया कि देश में गंभीर आर्थिक संकट से निपटने के लिए श्रीलंका को अगले छह महीनों के भीतर लगभग तीन अरब डॉलर (22 हजार 500 करोड़ रुपये) की बाहरी सहायता की जरूरत होगी।
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इस पद से हटने के बाद फिर से वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले अली साबरी ने शनिवार को बताया कि देश में गंभीर आर्थिक संकट से निपटने के लिए ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बहाल करने में मदद के लिए श्रीलंका को अगले छह महीनों के भीतर लगभग तीन अरब डॉलर (22 हजार 500 करोड़ रुपये) की बाहरी सहायता की जरूरत होगी।
राष्ट्रपति राजपक्षे पर बढ़ा दबाव
गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की जनसंख्या वाले द्विपीय देश में आर्थिक हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग खाने-पीने और रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के लिए भी मोहताज हो गए हैं। आर्थिक संकट के साथ-साथ देश में ऊर्जा संकट भी खड़ा हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर रोज दस घंटे से ज्यादा बिजली कटौती की जा रही है। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़कों पर किए जा रहे विरोध के चलते राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर दबाव बढ़ गया है।
वित्तीय टीम का हुआ है गठन
यहां बता दें कि हाल ही में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश में वित्तीय स्थिति को सुधारने की कोशिश में एक वित्तीय सलाहकार टीम का गठन किया है। सलाहकार समूह के सदस्यों में सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के पूर्व गवर्नर इंद्रजीत कुमारस्वामी, विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री शांता देवराजन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) क्षमता विकास संस्थान के पूर्व निदेशक शर्मिनी कोरे शामिल हैं। सलाहकार समूह को आईएमएफ के साथ बातचीत में शामिल श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ चर्चा करने और मौजूदा ऋण संकट पर काबू पाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने का काम सौंपा गया है।
भारी कर्ज तक दबा श्रीलंका
श्रीलंका पर चीन, जापान, भारत और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का भारी कर्ज है, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण वो अपने कर्जों की किस्त तक नहीं दे पा रहा है। श्रीलंका 45 अरब डॉलर (करीब 3 लाख 42 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा) के कर्ज के तले दबा हुआ है। इस तरह श्रीलंका की सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ उसे विदेशी कर्ज का पेमेंट करना है तो दूसरी तरफ अपने लोगों को मुश्किल से उबारना है।
विस्तार
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इस पद से हटने के बाद फिर से वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले अली साबरी ने शनिवार को बताया कि देश में गंभीर आर्थिक संकट से निपटने के लिए ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बहाल करने में मदद के लिए श्रीलंका को अगले छह महीनों के भीतर लगभग तीन अरब डॉलर (22 हजार 500 करोड़ रुपये) की बाहरी सहायता की जरूरत होगी।
राष्ट्रपति राजपक्षे पर बढ़ा दबाव
गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की जनसंख्या वाले द्विपीय देश में आर्थिक हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग खाने-पीने और रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के लिए भी मोहताज हो गए हैं। आर्थिक संकट के साथ-साथ देश में ऊर्जा संकट भी खड़ा हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर रोज दस घंटे से ज्यादा बिजली कटौती की जा रही है। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़कों पर किए जा रहे विरोध के चलते राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर दबाव बढ़ गया है।
वित्तीय टीम का हुआ है गठन
यहां बता दें कि हाल ही में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश में वित्तीय स्थिति को सुधारने की कोशिश में एक वित्तीय सलाहकार टीम का गठन किया है। सलाहकार समूह के सदस्यों में सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के पूर्व गवर्नर इंद्रजीत कुमारस्वामी, विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री शांता देवराजन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) क्षमता विकास संस्थान के पूर्व निदेशक शर्मिनी कोरे शामिल हैं। सलाहकार समूह को आईएमएफ के साथ बातचीत में शामिल श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ चर्चा करने और मौजूदा ऋण संकट पर काबू पाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने का काम सौंपा गया है।
भारी कर्ज तक दबा श्रीलंका
श्रीलंका पर चीन, जापान, भारत और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का भारी कर्ज है, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण वो अपने कर्जों की किस्त तक नहीं दे पा रहा है। श्रीलंका 45 अरब डॉलर (करीब 3 लाख 42 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा) के कर्ज के तले दबा हुआ है। इस तरह श्रीलंका की सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ उसे विदेशी कर्ज का पेमेंट करना है तो दूसरी तरफ अपने लोगों को मुश्किल से उबारना है।
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