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शादी की उम्र बढ़ाने पर विवाद: 'मोदी सरकार मोहल्ला चाचा की तरह काम करती है',ओवैसी ने केंद्र के कदम की निंदा की

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sat, 18 Dec 2021 09:18 AM IST

सार

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को कहा कि महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के फैसले के लिए केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
– फोटो : एएनआई (फाइल)

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के फैसले के लिए केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की है। ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी मोहल्ला चाचा की तरह है  जो कि हम क्या खाते हैं, किससे/ कब शादी करते हैं, हम किस भगवान की पूजा करते हैं,  इसका फैसला करते हैं। बता दें कि बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। वर्तमान में पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। विधेयक को संसद में पारित किया जाना बाकी है।

यह पितृसत्ता है, इसलिए हम सरकार से यही उम्मीद करते हैं: ओवैसी
ओवैसी ने कहा कि “मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है” यह पितृसत्ता है इसी की हम सरकार से उम्मीद करते हैं। 18 साल के पुरुष और महिलाएं कांट्रेक्ट साइन कर सकते हैं, बिजनेस शुरू कर सकते हैं, प्रधानमंत्री चुन सकते हैं और सांसद और विधायक का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन शादी नहीं कर सकते? वे यौन संबंधों और लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अपनी सहमति दे सकते हैं, लेकिन अपना जीवन साथी नहीं चुन सकते? उन्होंने कहा कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को 18 साल की उम्र में कानूनी रूप से शादी करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उस उम्र में अन्य सभी उद्देश्यों के लिए कानून द्वारा उन्हें वयस्कों के रूप में माना जाता है।

कानून के बावजूद बाल विवाह बड़े पैमाने पर हो रहा: ओवैसी
ओवैसी ने कहा कि कानून के बावजूद बाल विवाह बड़े पैमाने पर हो रहा है। भारत में हर चौथी महिला की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी जाती थी लेकिन बाल विवाह के केवल 785 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। अगर बाल विवाह पहले से कम हुए हैं, तो यह शिक्षा और आर्थिक प्रगति के कारण है, न कि आपराधिक कानून के कारण। उन्होंने आगे कहा के देस में 1.2 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जिनकी शादी दस साल की उम्र से पहले ही कर दी गई थी। इनमें से 84 फीसदी हिंदू परिवारों से हैं और केवल 11 फीसदी मुस्लिम हैं। 

विस्तार

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के फैसले के लिए केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की है। ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी मोहल्ला चाचा की तरह है  जो कि हम क्या खाते हैं, किससे/ कब शादी करते हैं, हम किस भगवान की पूजा करते हैं,  इसका फैसला करते हैं। बता दें कि बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। वर्तमान में पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। विधेयक को संसद में पारित किया जाना बाकी है।

यह पितृसत्ता है, इसलिए हम सरकार से यही उम्मीद करते हैं: ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि “मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है” यह पितृसत्ता है इसी की हम सरकार से उम्मीद करते हैं। 18 साल के पुरुष और महिलाएं कांट्रेक्ट साइन कर सकते हैं, बिजनेस शुरू कर सकते हैं, प्रधानमंत्री चुन सकते हैं और सांसद और विधायक का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन शादी नहीं कर सकते? वे यौन संबंधों और लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अपनी सहमति दे सकते हैं, लेकिन अपना जीवन साथी नहीं चुन सकते? उन्होंने कहा कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को 18 साल की उम्र में कानूनी रूप से शादी करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उस उम्र में अन्य सभी उद्देश्यों के लिए कानून द्वारा उन्हें वयस्कों के रूप में माना जाता है।

कानून के बावजूद बाल विवाह बड़े पैमाने पर हो रहा: ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि कानून के बावजूद बाल विवाह बड़े पैमाने पर हो रहा है। भारत में हर चौथी महिला की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी जाती थी लेकिन बाल विवाह के केवल 785 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। अगर बाल विवाह पहले से कम हुए हैं, तो यह शिक्षा और आर्थिक प्रगति के कारण है, न कि आपराधिक कानून के कारण। उन्होंने आगे कहा के देस में 1.2 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जिनकी शादी दस साल की उम्र से पहले ही कर दी गई थी। इनमें से 84 फीसदी हिंदू परिवारों से हैं और केवल 11 फीसदी मुस्लिम हैं। 

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