एजेंसी, वाशिंगटन डीसी।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 21 Jan 2022 06:15 AM IST
सार
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल ही चेताया था कि इस समय विकसित हो रहीं या हाल में प्रमाणित 43 एंटीबायोटिक्स में इतना दम नहीं रह गया है कि वे एएमआर के मामलों से लड़ सकें।
सांकेतिक तस्वीर…
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
विशेषज्ञों के अनुसार इन दवाओं के बिना सोचे समझे और अत्याधिक उपयोग की वजह से बैक्टीरिया अब ‘सुपर-बग’ में बदल रहे हैं। यह 12.70 मौतें एचआईवी/एड्स या मलेरिया से हो रही मौतों से कहीं अधिक हैं। अध्ययन में शामिल वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रो. क्रिस मरे के अनुसार माना जा रहा था कि साल 2050 तक एएमआर की वजह से मरने वालों की संख्या एक करोड़ पहुंच जाएगी।
तैयार हो रहीं 43 एंटीबायोटिक भी बेकार : डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल ही चेताया था कि इस समय विकसित हो रहीं या हाल में प्रमाणित 43 एंटीबायोटिक्स में इतना दम नहीं रह गया है कि वे एएमआर के मामलों से लड़ सकें। पिट्सबर्ग विवि में प्रोफेसर कॉर्नेलियस क्लेंसी के अनुसार समय आ चुका है कि हम बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने के नए तरीके तलाशें।
निमोनिया से मौतें भी नहीं रोक पा रहे
रिपोर्ट के अनुसार अब हम निमोनिया जैसे संक्रमणों में भी मौतें नहीं रोक पा रहे हैं। सबसे ज्यादा एएमआर मौतें इसी से हुईं। रक्त और उदर संबंधी संक्रमण भी जानलेवा बन रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान इससे लोगों का ध्यान हटा है, लेकिन हमें एएमआर को लंबे समय तक सहने के लिए तैयार रहना होगा।