एजेंसी, मॉस्को।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 11 Feb 2022 12:35 AM IST
सार
पश्चिमी देशों में यूक्रेन में रूसी अतिक्रमण का भय बढ़ गया है और नाटो देशों ने भी इसी अनुपात में यूक्रेन में सेना एवं अन्य सैन्य साजो सामान की तैनाती बढ़ा दी है।
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विस्तार
दोनों नेताओं के बीच की यह मुलाकात तल्खी से भरी बताई जा रही है। दूसरी ओर रूस ने यूक्रेन की सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या एक लाख तक बढ़ा दी है जिससे पश्चिमी देशों में यूक्रेन में रूसी अतिक्रमण का भय बढ़ गया है और नाटो देशों ने भी इसी अनुपात में यूक्रेन में सेना एवं अन्य सैन्य साजो सामान की तैनाती बढ़ा दी है।
लावरोव ने कहा, विचारधारावाली सोच, धमकी और उपदेश देना मामले को कहीं नहीं पहुंचाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रूस के साथ उनकी बैठक दोनों देशों के बीच 4 साल में पहली द्विपक्षीय भेंट थी। दोनों देशों के संबंध पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल को इंग्लैंड में जहर दिए जाने तथा अन्य मुद्दों को लेकर मार्च 2018 में बुरी तरह बिगड़ गए थे।
रूस इस बात की गारंटी चाहता है कि यूक्रेन समेत सोवियत संघ के पूर्व देशों को नाटो की सदस्यता न दी जाए और नाटो पूर्वी यूरोप में हथियारों की तैनाती रोके और सेनाएं वापस ले। अमेरिका एवं नाटो ने इस मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
घरेलू राजनीति के कारण तनाव बढ़ा रहा पश्चिम : लावरोव
ट्रुस ने बैठक के दौरान मांग की कि रूस अपनी सेनाएं पीछे हटाए मगर लावरोव ने इससे तत्काल इनकार कर दिया और पूर्वी यूरोप में ब्रिटेन एवं नाटो सेनाओं की तैनाती का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, हम किसी को नहीं चुनौती नहीं देना चाहते बल्कि इस मामले में खुद रूस की सुरक्षा को चुनौती मिल रही है।
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश सिर्फ घरेलू राजनीति के कारण यूक्रेन के मुद्दे पर तनाव बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, रूस की रूस से योजना थी कि वह सैन्य टुकड़ियों को बेलारूस में युद्धाभ्यास के बाद वापस बुला लेगा और जब ऐसा होगा तो पश्चिमी देश दावा करेंगे कि उन्होंने रूस को तनाव घटाने के लिए बाध्य कर दिया।