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रूस के साथ S-400 डील: अमेरिका बोला- CAATSA से भारत को संभावित छूट पर अभी फैसला लेना बाकी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Wed, 24 Nov 2021 09:46 AM IST

सार

अमेरिकी प्रशासन ने कहा है कि रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए उनके देश ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंशंस एक्ट (काटसा) के तहत भारत के खिलाफ संभावित छूट पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन
– फोटो : ANI

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रूस के साथ S-400 डिफेंस सिस्टम डील को लेकर भारत पर अमेरिका के CAATSA कानून के तहत प्रतिबंधों की तलवार लटकी है। ऐसे में भारत, अमेरिका से विशेष प्रावधान के तहत छूट की मांग कर रहा है। अब इसे लेकर अमेरिकी प्रशासन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी प्रशासन ने कहा है कि रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए उनके देश ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंशंस एक्ट (काटसा) के तहत भारत के खिलाफ संभावित छूट पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। प्रशासन ने कहा कि इस कानून में समान आधार पर या किसी देश विशेष के लिए छूट का कोई प्रविधान नहीं है।

अमेरिकी प्रशासन ने आगे कहा कि हाल के वर्षों में अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी का काफी विस्तार हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी रक्षा साझेदारी में यह प्रगति जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि रूस के साथ S-400 डिफेंस सिस्टम की डील रिस्क भरा है और यह कई नियमों का उल्लंघन करता है। उन्होंने आगे कहा कि हम इस मामले पर भारत से बात कर रहे हैं लेकिन यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमने भारत ही नहीं बल्कि अपने अन्य सहयोगियों से भी रूस के साथ S-400 डील को छोड़ने के लिए कहा है। 

हम खास डील के बारे में बात नहीं कर रहे, बस कानून की व्याख्या कर रहे: अमेरिका
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम किसी खास डील पर बात नहीं कर रहे। बस हम उन कानूनों और उन कानूनों के तहत आवश्यकताओं के बारे में बात कर रहे जो कि सभी देशों के हित में है। जाहिर है, कांग्रेस के सदस्यों की भी इसमें गहरी दिलचस्पी है। इसलिए, यह एक बातचीत है जो हमारे भारतीय भागीदारों के साथ चल रही है।

क्या है CAATSA कानून?
CAATSA का मतलब ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शन एक्ट’ है, आसान शब्दों में कहें तो प्रतिबंध के जरिए अमेरिका अपने विरोधियों से मुकाबला करता है। अमेरिका ने इस कानून को अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ एक दंडात्मक कार्रवाई के रूप में बनाया। यह कानून पहली बार दो अगस्त 2017 को लाया गया था, जिसके बाद इसे जनवरी 2018 में लागू किया गया था। इस कानून का मकसद अमेरिका के दुश्मन देशों ईरान, रूस और उत्तर कोरिया की आक्रामकता का मुकाबला करना है। हालांकि अब भारत के लिए खतरे की तलवार लटक रही है और इसकी वजह रूस की S-400 मिसाइल बनी है।

विस्तार

रूस के साथ S-400 डिफेंस सिस्टम डील को लेकर भारत पर अमेरिका के CAATSA कानून के तहत प्रतिबंधों की तलवार लटकी है। ऐसे में भारत, अमेरिका से विशेष प्रावधान के तहत छूट की मांग कर रहा है। अब इसे लेकर अमेरिकी प्रशासन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी प्रशासन ने कहा है कि रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए उनके देश ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंशंस एक्ट (काटसा) के तहत भारत के खिलाफ संभावित छूट पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। प्रशासन ने कहा कि इस कानून में समान आधार पर या किसी देश विशेष के लिए छूट का कोई प्रविधान नहीं है।

अमेरिकी प्रशासन ने आगे कहा कि हाल के वर्षों में अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी का काफी विस्तार हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी रक्षा साझेदारी में यह प्रगति जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि रूस के साथ S-400 डिफेंस सिस्टम की डील रिस्क भरा है और यह कई नियमों का उल्लंघन करता है। उन्होंने आगे कहा कि हम इस मामले पर भारत से बात कर रहे हैं लेकिन यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमने भारत ही नहीं बल्कि अपने अन्य सहयोगियों से भी रूस के साथ S-400 डील को छोड़ने के लिए कहा है। 

हम खास डील के बारे में बात नहीं कर रहे, बस कानून की व्याख्या कर रहे: अमेरिका

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम किसी खास डील पर बात नहीं कर रहे। बस हम उन कानूनों और उन कानूनों के तहत आवश्यकताओं के बारे में बात कर रहे जो कि सभी देशों के हित में है। जाहिर है, कांग्रेस के सदस्यों की भी इसमें गहरी दिलचस्पी है। इसलिए, यह एक बातचीत है जो हमारे भारतीय भागीदारों के साथ चल रही है।

क्या है CAATSA कानून?

CAATSA का मतलब ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शन एक्ट’ है, आसान शब्दों में कहें तो प्रतिबंध के जरिए अमेरिका अपने विरोधियों से मुकाबला करता है। अमेरिका ने इस कानून को अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ एक दंडात्मक कार्रवाई के रूप में बनाया। यह कानून पहली बार दो अगस्त 2017 को लाया गया था, जिसके बाद इसे जनवरी 2018 में लागू किया गया था। इस कानून का मकसद अमेरिका के दुश्मन देशों ईरान, रूस और उत्तर कोरिया की आक्रामकता का मुकाबला करना है। हालांकि अब भारत के लिए खतरे की तलवार लटक रही है और इसकी वजह रूस की S-400 मिसाइल बनी है।

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