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रिपोर्ट: अमेरिका यदि मदद करे तो सीपीईसी को खत्म कर सकता है पाकिस्तान, चीन पर अधिक निर्भरता है वजह

एजेंसी, इस्लामाबाद।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 26 Feb 2022 12:20 AM IST

सार

एशिया टाइम्स ने पाकिस्तानी अफसरों के हवाले से कहा कि चीन पर ज्यादा निर्भरता की वजह से पाकिस्तान आर्थिक संकट झेल रहा है। अगर चीन को अलग करना है तो अमेरिका को सहायता करनी ही होगी।

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एक समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पर अधिक निर्भरता के लिए बढ़ते आर्थिक संकट और अंतरराष्ट्रीय अलगाव के बीच पाकिस्तानी अफसर चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को खत्म करने के लिए तैयार हैं। हालांकि उनकी शर्त है कि ऐसा तभी संभव है जब अमेरिका इसी तरह के सौदे की पेशकश करे।

एशिया टाइम्स ने अंदरूनी सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि पश्चिमी देशों के प्रति संवेदनशील पाकिस्तानी अधिकारियों ने सीपीईसी को रद्द करने या किनारे करने की पेशकश की है, लेकिन वाशिंगटन को इसी तरह की वित्तीय सहायता की पेशकश करना होगी।

इसे देखते हुए लगता है कि इमरान खान सरकार अमेरिका के साथ रिश्तों को गर्म करने की कोशिश कर रही है। यहां तक कि अमेरिकी सरकार द्वारा वित्त पोषित यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के लिए वर्षों तक काम करने वाले पाकिस्तानी विश्लेषक मोईद यूसुफ को इमरान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी नियुक्त किया है।

हालांकि जुलाई 2019 में आईएमएफ के बेलआउट पैक्ज के अलावा उसे कुछ खास हासिल नहीं हो पाया है। वहीं, पाक ने सीपीईसी के कर्ज के जाल में होने संबंधी खबरों को खारिज किया है।

अमेरिका ने वियतनाम युद्ध से कुछ नहीं सीखा : अल्वी
पाक एक तरफ अमेरिका से रिश्ते बढ़ाना चाहता है और दूसरी तरफ उस पर तंज कस रहा है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने आश्चर्य जताया कि वाशिंगटन ने अतीत से कुछ नहीं सीखा और वह एक अन्य जाल में घिर गया है। 

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने वियतनाम युद्ध से कुछ भी सीखे बिना यूक्रेन संघर्ष में हाथ फंसाया है। बता दें कि इसी बीच पीएम इमरान खान ने रूस का दौरा कर राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। विश्लेषकों ने इस दौरे को बुरा वक्त और मूर्खतापूर्ण करार दिया है।

विस्तार

एक समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पर अधिक निर्भरता के लिए बढ़ते आर्थिक संकट और अंतरराष्ट्रीय अलगाव के बीच पाकिस्तानी अफसर चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को खत्म करने के लिए तैयार हैं। हालांकि उनकी शर्त है कि ऐसा तभी संभव है जब अमेरिका इसी तरह के सौदे की पेशकश करे।

एशिया टाइम्स ने अंदरूनी सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि पश्चिमी देशों के प्रति संवेदनशील पाकिस्तानी अधिकारियों ने सीपीईसी को रद्द करने या किनारे करने की पेशकश की है, लेकिन वाशिंगटन को इसी तरह की वित्तीय सहायता की पेशकश करना होगी।

इसे देखते हुए लगता है कि इमरान खान सरकार अमेरिका के साथ रिश्तों को गर्म करने की कोशिश कर रही है। यहां तक कि अमेरिकी सरकार द्वारा वित्त पोषित यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के लिए वर्षों तक काम करने वाले पाकिस्तानी विश्लेषक मोईद यूसुफ को इमरान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी नियुक्त किया है।

हालांकि जुलाई 2019 में आईएमएफ के बेलआउट पैक्ज के अलावा उसे कुछ खास हासिल नहीं हो पाया है। वहीं, पाक ने सीपीईसी के कर्ज के जाल में होने संबंधी खबरों को खारिज किया है।

अमेरिका ने वियतनाम युद्ध से कुछ नहीं सीखा : अल्वी

पाक एक तरफ अमेरिका से रिश्ते बढ़ाना चाहता है और दूसरी तरफ उस पर तंज कस रहा है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने आश्चर्य जताया कि वाशिंगटन ने अतीत से कुछ नहीं सीखा और वह एक अन्य जाल में घिर गया है। 

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने वियतनाम युद्ध से कुछ भी सीखे बिना यूक्रेन संघर्ष में हाथ फंसाया है। बता दें कि इसी बीच पीएम इमरान खान ने रूस का दौरा कर राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। विश्लेषकों ने इस दौरे को बुरा वक्त और मूर्खतापूर्ण करार दिया है।

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